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सत्ता में आने के बाद जर्मन ग्रीन पार्टी क्या करना चाहती है

येंस थुराऊ
२३ अप्रैल २०२१

ग्रीन पार्टी ने चांसलर पद के उम्मीदवार के चयन के साथ ही सितंबर में होने वाले चुनाव की अपनी तैयारी शुरू कर दी है. तो अब महत्वपूर्ण सवाल यह है कि पार्टी सरकार में आने के बाद क्या करना चाहती है.

Weltspiegel Annalena Baerbock Landesdelegiertenkonferenz Bündnis 90/Die Grünen
तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

जर्मनी की संघीय सरकार में पहली बार ग्रीन पार्टी मुख्य राजनीतिक शक्ति बनने का मौका पा सकती है. साल 1998 में महज 6.7 फीसद वोट पाने के बाद साल 1998 से 2005 के बीच यह पार्टी मध्य-वामपंथी सोशल डेमोक्रेट्स के साथ सरकार में शामिल हुई थी. गठबंधन में शामिल होना निश्चित तौर पर उनकी बड़ी ग़लती थी, जैसा कि कुछ लोग पहले से ही संभावा भी जता रहे थे. अब 23 साल बाद, चीजें काफी बदल गई हैं. पार्टी करीब 20 फीसद मतों के साथ काफी अच्छी स्थिति में है, जर्मनी की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और उससे आगे सिर्फ अंगेला मैर्केल की कंजर्वेटिव पार्टी ही है जहां काफी उथल-पुथल मची हुई है.

हाल के दिनों में ग्रीन पार्टी ने तमाम अन्य पार्टियों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं, सिवाय धुर दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी यानी एएफडी के. जर्मनी के राज्यों में ग्रीन पार्टी का अन्य सभी बड़े दलों के साथ गठबंधन है, सिवाय बवेरियन क्रिश्चियन सोशल यूनियन यानी सीएसयू के. हालांकि इस पार्टी की 'बड़ी बहन' के तौर पर जानी जाने वाली अंगेला मैर्केल की क्रिश्चियन डिमॉक्रेटिक यूनियन यानी सीडीयू के साथ उसने कई गठबंधन बना रखे हैं.

पिछले कई सालों से जर्मनी की यह पर्यावरणवादी पार्टी मध्य-वाम गठबंधन के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है. ये लोग आज जितना लचीला रुख अपनाए हुए हैं, इससे पहले यह कभी नहीं दिखा. हालांकि कुछ आलोचक यह भी कह सकते हैं कि उनके पास इससे पहले कभी भी इस तरह की मनमानी नीति वाले घोषणापत्र नहीं थे.

लेकिन जिन लोगों ने पहले हुए ग्रीन पार्टी के सम्मेलनों को देखा है और वहां चलने वाली घंटों अराजक बहसों को सुना है, वे अब बदली हुई स्थितियों को देखकर हैरान हैं. ग्रीन पार्टी में जो एकता इस समय दिख रही है वो इससे पहले कभी नहीं दिखी थी. आज पार्टी अपने नेतृत्व के पीछे एकजुट होकर खड़ी है और राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ लोग भद्दी टिप्पणियां करने से बच रहे हैं.

वे लोग जर्मन संविधान को बचाने की बातें कर रहे हैं जो कि अभी भी इस पार्टी के लिए बड़ा अजनबी सा लगता है. फिलहाल उनका पूरा ध्यान इस बात पर है कि सत्ता में आने में रुकावट डालने वाले किसी रास्ते पर न जाएं.

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पर्यावरण संरक्षण, विदेश नीति

जहां तक नीतियों का संबंध है तो ग्रीन पार्टी अपने चालीस साल पुराने सिद्धांत- पर्यावरण संरक्षण पर अडिग है. खासतौर पर, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ लड़ाई उसके चुनावी एजेंडे में भी प्रमुखता से रही है. पार्टी का कहना है कि वह साल 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों में 70 फीसद तक की कटौती करना चाहती है. जबकि मौजूदा सरकार का लक्ष्य 55 फीसद तक कमी लाना है.

इस लक्ष्य को पाने के लिए जर्मनी के 'ऊर्जा संक्रमण' को नवीनीकृत स्रोतों की ओर बढ़ाना होगा और सड़कों पर ज्यादा से ज्यादा विद्युत कारों को चलाना होगा. दूसरी पार्टियां भी यह सब चाहती हैं लेकिन ग्रीन पार्टी को अपने उच्च मानदंडों को पाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी होगी.

जहां तक विदेश नीति का सवाल है, ग्रीन पार्टी के साथ बहुत अधिक निरंतरता रहेगी. अन्य पार्टियों की तरह वे भी एक मजबूत यूरोप पर दांव लगा रहे हैं यानी यूरोपियन संघ को फिर मजबूत बनाने पर जोर दे रहे हैं. वे ट्रांसअटलांटिक संबंधों को सुधारने पर भी दांव लगा रहे हैं. हालांकि पार्टी के अंदर अभी भी कुछ लोग "एनएटीओ से बाहर निकलो” जैसे नारों पर सोचते हैं लेकिन पार्टी का नेतृत्व और पार्टी में ज्यादातर लोग इसे अलग रूप में देख रहे हैं.

लेकिन रूस और चीन के संबंध में ग्रीन पार्टी के लोग कुछ ज्यादा ही आलोचनात्मक रुख अपनाए हुए हैं. उदाहरण के तौर पर, ये लोग विवादित नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना का विरोध कर रहे हैं जो कि रूस से बाल्टिक सागर होते हुए जर्मनी पहुंच रही है. जबकि अंगेला मैर्केल की सरकार अभी भी इसके पक्ष में है. ग्रीन पार्टी ने खुले तौर पर रूस, चीन और बेलारूस में विरोधी समूहों का समर्थन किया है. और हम उम्मीद कर सकते हैं कि वीगर मुसलमानों के साथ बर्ताव मामले में ग्रीन पार्टी चीन से कुछ ज्यादा स्पष्ट शब्दों में टिप्पणी करने को कहेगी.

मजबूत और निवेशक राज्य

आर्थिक और सामाजिक नीतियों के संदर्भ में, ऐसा लगता है कि ग्रीन पार्टी एक मजबूत और ज्यादा निवेश करने वाले राज्य की नीति का समर्थऩ करेगी. उनकी चुनावी योजना को हालांकि जून में पार्टी कांग्रेस में अंतिम रूप दिया जाएगा लेकिन उम्मीद की जा रही है कि उसमें खर्चीली योजनाओं की भरमार होगी. मसलन, नौकरियों में परिवर्तन करने वालों के लिए, जर्मनी में हर जगह डिजिटल कार्यों के लिए और दीर्घकालीन निवेश के लिए उनके चुनावी घोषणा पत्र में बहुत कुछ हो सकता है. हालांकि यह देखना अभी बाकी है कि कोविड महामारी के बाद खाली हो चुके खजाने के साथ ये सब लक्ष्य प्राप्त करने की क्या कार्ययोजना होगी.

अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि सीडीयू और सीएसयू जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन में इन योजनाओं को कैसे क्रियान्वित किया जाएगा. ये दोनों पार्टियां पहले ही कह चुकी हैं कि वे जल्द से जल्द जर्मनी की पवित्र "ब्लैक जीरो” नीति की ओर लौटना चाहती हैं. इस वजह से ग्रीन पार्टी ज्यादा आमदनी वालों पर ज्यादा टैक्स लगाना चाहती है जो कि सीडीयू और सीएसयू के साथ गठबंधन में संभव नहीं लग रहा है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Schmidt

अधिक सामाजिक विभाजन के खिलाफ

सामाजिक नीति के संदर्भ में ग्रीन पार्टी का फोकस विदेशी लोगों को नापसंद करने की भावना, नस्लवाद और लैंगिक भेदभाव से लड़ना है. साथ ही वे ध्रुवीकरण के खिलाफ भी लड़ने के पक्षधर हैं. हालांकि यह बहुत मुश्किल होगा क्योंकि बुंडेस्टैग के उप राष्ट्रपति क्लाउडिया रोठ जैसे ग्रीन पार्टी के कई नेता देश के धुर-दक्षिणपंथियों के लिए घृणा के पात्र बन गए हैं.

ग्रीन पार्टी के मौजूदा नेतृत्व के पास सरकार चलाने का बहुत कम अनुभव है लेकिन उन्हें संसदीय समूह और राज्यों में मिले मजबूत आधार से काफी मदद मिल सकती है.

ओमिड नूरीपोर जैसे विदेश नीति के जानकारों, फ्रांत्सिका ब्रांटनर जैसे यूरोपीय मामलों के जानकार और ब्रिटा हैसलमैन जैसे पुराने सांसदों के पास काफी अनुभव है. ऐसे अनुभवी नेताओं के रहते ग्रीन पार्टी के मौजूदा नेताओं को चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर के विदेश मंत्री रह चुके जोश्का फिशर जैसे नेताओं से बहुत ज्यादा सलाह की जरूरत नहीं पड़ेगी. हालांकि ग्रीन पार्टी के तमाम नेता आज भी उनके विचारों को बहुत ही आस्था के साथ अपनाते हैं.

यदि ग्रीन पार्टी सरकार में शामिल होती है, भले ही जूनियर सहयोगी के रूप में या फिर चांसलर के पद पर, साल 2022 में उनके लिए कम से कम एक सर्कल पूरा हो जाएगा. वे जब सत्ता में होंगे तो जर्मनी का आखिरी परमाणु संयंत्र बंद हो रहा होगा और यह उनकी एक ऐसी जीत होगी जो कि इस पार्टी की स्थापना के साथ ही उसका महत्वपूर्ण लक्ष्य रहा है. लेकिन यह भी संभव है कि आज की ग्रीन पार्टी तमाम ऐसे मुद्दों पर शांत रहते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करेगी जिनका वह अब तक विरोध करती रही है.

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