सत्ता से बेदखल मुरसी
४ जुलाई २०१३चेतावनी के 48 घंटे खत्म होते होते सेना तैयारी पूरी कर चुकी थी. बस घड़ी की सुइयों ने बदले वक्त का एलान किया और हलचल नजर आने लगी. मुरसी के रक्षा मंत्री और सेना के प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल सिसी ने बुधवार को सरकारी टेलीविजन पर मुरसी को हटाने का एलान कर दिया. इसके पहले ही पुलिस मुरसी के सहयोगियों और मुस्लिम ब्रदरहुड के दूसरे प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले चुकी थी.
मिस्र के चीफ जास्टिस आदली अल मंसूर को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया है. सेना की योजना के मुताबिक नए राष्ट्रपति का चुनाव होने तक वह देश के प्रमुख का कार्यभार संभालेंगे. उम्मीद की जा रही है कि गुरुवार को उन्हें शपथ दिला दी जाएगी. सेना ने राजनीतिक इस्लामी ताकतों के तैयार संविधान को भी निलंबित कर दिया है.
सरकारी मीडिया ने खबर दी है कि मुस्लिम ब्रदरहुड के 300 अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किए गए हैं. गुरुवार को काहिरा की सड़कों पर जश्न मनता दिखा. धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी मुरसी को हटाने की खबर सुनने के बाद खुशी से नाचने गाने लगे. आतिशबाजी हुई और गाड़ियों के हॉर्न बजा कर लोगों ने खुशी का इजहार किया. सरकारी समाचार एजेंसी मीना ने मुरसी के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़पों में तीन लोगों के मौत की खबर दी है. सिकंदरिया में जश्न के बीच सात मुरसी समर्थकों के सुरक्षा बलों से झड़प में मारे जाने की खबर आई है. मुरसी के हटने से पहले हफ्ते भर के विरोध प्रदर्शन में 50 लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है.
सेना का कहना है कि सत्ता में बदलाव की अंतिम तैयारियों के लिए मुरसी को हिरासत में रखा गया है. उनके विरोधियों ने मुरसी पर जो आरोप लगाए हैं उसके लिए बाद में मुकदमा चलाया जा सकता है. मुरसी के समर्थकों की ओर से हमले की आशंका को देखते हुए काहिरा और दूसरी जगहों पर बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों और बख्तरबंद गाड़ियों को तैनात किया गया है. खास तौर से मुरसी समर्थकों की रैलियों के आस पास सेना की बड़ी संख्या में तैनाती की गई है. सेना ने सरकारी मीडिया को भी अपने कब्जे में ले लिया है और मुस्लिम ब्रदहहुड के टीवी स्टेशनों को बंद कर दिया है. मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक शाखा के प्रमुख को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.
मिस्र से मुरसी को हटाए जाने से एक बार फिर वहां एक साल पहले वाली अनिश्चितता की स्थिति बन गई है और भविष्य में खतरनाक रंजिश की आशंका मजबूत हो रही है. अरब वसंत के दौरान होस्नी मुबारक को हटाने के लिए जिस तरह से लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया उसकी तुलना में पिछले दिनों हुआ विरोध प्रदर्शन कहीं बड़ा था. महज चार दिन तक सड़कों पर बैठ कर ही लोगों ने सेना को बैरकों से बाहर निकाल कर सत्ता परिवर्तन कराने पर विवश कर दिया.
मिस्रवासी मुस्लिम ब्रदरहुड को ज्यादा अधिकार देने की वजह से मुरसी से नाराज हुए. इसके अलावा देश की खराब आर्थिक हालत, महंगाई और बेरोजगारी की समस्या से निबटने की तरफ मुरसी को न बढ़ते देख उनके लिए चुप बैठना नामुकिन हो गया. सेना ने भले ही आज उन्हें मुरसी से मुक्ति दिलाई है लेकिन यह आशंका बहुतों के मन में है कि क्या सेना देश को लोकतंत्र की ओर ले जाएगी.
एनआर/एजेए (एपी, एएएफपी)