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सदियों पुरानी बेड़ियां तोड़कर यज्ञ कराएंगी महिलाएं

Priya Esselborn६ नवम्बर २०११

सदियों तक भारत में महिलाओं को वेद मंत्रों के उच्चारण की मनाही रही. परिस्थितियां बदल रही हैं लेकिन अब भी यह एक ऐसा क्षेत्र हैं जिसमें महिलाओं के लिए जगह बहुत कम है. हां, सोमवार से बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है.

तस्वीर: UNI

हरिद्वार में एक धार्मिक समारोह में वेद मंत्रों के उच्चारण के लिए 108 महिलाओं को चुना गया है. ये महिलाएं लाखों लोगों की भीड़ के सामने मंत्रोच्चार करेंगी और उसके साथ ही सदियों से बंधी बेड़ियों के ताले खुल जाएंगे. यह एक शुरुआत होगी जिसके बाद महिलाओं के लिए विवाह समेत कई धार्मिक संस्कार कराने के रास्ते खुल जाएंगे.

इस कदम से खुश लखनऊ की मानवाधिकार कार्यकर्ता और मनोविज्ञान की प्रोफेसर मंजू अग्रवाल कहती हैं, "महिलाओं के लिए यह एक बड़ी जीत है जिसका इंतजार बहुत समय से था. एक ऐसे देश में जहां महिलाओं को वेद मंत्र सुनने तक की इजाजत नहीं थी, वहां यह एक बड़ी जीत है."

तस्वीर: UNI India

हरिद्वार में मंत्रोच्चार करने वाली महिलाओं को ब्रह्मवादिनी यानी ईश्वर की वाणी बोलने वाली नाम दिया गया है. बहुत सावधानी से चुनने के बाद इन महिलाओं को छह महीने तक प्रशिक्षण दिया गया. 108 महिलाओं को विशेषतौर पर चुना गया क्योंकि हिंदू परंपराओं में इस संख्या का विशेष स्थान है.

इस समारोह को आयोजित करने वाले गायत्री परिवार के अमरेंद्र सिंह कहते हैं, "एक कठिन प्रक्रिया के जरिए इन महिलाओं को चुना गया है. सभी महिलाओं को मंत्रों की समझ, उच्चारण और भाषा के ज्ञान जैसी कसौटियों पर परखा गया." ये महिलाएं न सिर्फ मंत्रोच्चार करेंगी बल्कि यज्ञ भी करवाएंगी. अब तक महिलाओं को यज्ञ करवाने का अधिकार भी नहीं था.

ज्यादातर महिलाएं 25 से 30 साल के बीच की हैं. हालांकि कुछ महिलाओं की उम्र 50 वर्ष से भी ज्यादा है. इनमें से ज्यादातर महिलाएं पढ़ी लिखी हैं और वे आर्थिक रूप से मजबूत परिवारों से हैं. कुछ महिलाएं आदिवासी और दलित समुदाय से भी हैं. इन्हें भी खासतौर से शामिल किया गया है क्योंकि हिंदू पौराणिक परंपराओं में दलितों और आदिवासियों को भी उसी समस्या से जूझना पड़ा है जो महिलाओं के सामने आती रहीं.

तस्वीर: DW

हरिद्वार में होने वाला समारोह गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मशती के मौके पर आयोजित हो रहा है. इस नई परंपरा की शुरुआत के लिए भी आचार्य को ही श्रेय दिया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय गायत्री परिवार के अध्यक्ष प्रणव पंड्या कहते हैं, "अपने पूरे जीवन में आचार्य ने महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने के लिए प्रयत्न किए. सार्वजनिक तौर पर महिलाओं के मंत्रोच्चार का यह कार्यक्रम उन्हीं के सिद्धांतों का नतीजा है."

कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर महिलाएं भी खासी उत्साहित हैं. 48 साल की दीना त्रिवेदी श्रम कल्याण में पोस्ट ग्रैजुएशन करने के बाद सरकारी नौकरी कर रही थीं. लेकिन जीवन को गहराई से समझने की उनकी इच्छा ने उन्हें नौकरी छोड़ने पर मजबूर कर दिया. वह कहती हैं, "मैंने जीवन को एक अलग स्तर पर जीने के लिए ही नौकरी छोड़ी. मैं तभी से मंत्रोच्चार कर रही हूं. इससे मेरे व्यक्तिव में सुधार हुआ है. मैं अब ज्यादा केंद्रित हूं."

उम्मीद की जा रही है कि हरिद्वार के इस कार्यक्रम में 50 लाख से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे.

रिपोर्टः रॉयटर्स/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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