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सफेद हाथी न बन जाएं स्टेडियम

१३ अगस्त २०१२

लंदन ओलंपिक खत्म होने के साथ बड़े खेलों के अगले मेजबान उन बारीकियों को समझने में लग गए कि कैसे कामचलाऊ स्टेडियमों का आगे इस्तेमाल हो सकता है. कहीं ऐसा न हो कि अरबों लग जाए और बाद में घर के बाहर हाथी बांधने जैसा साबित हो.

तस्वीर: dapd

ब्राजीली शहर रियो द जनेरो और कतर इस बात को बेहतर ढंग से समझने की कोशिश कर रहे हैं. रियो को जहां 2016 का अगला ओलंपिक आयोजित करना है, वहीं मध्य पूर्व के कतर में 2022 का वर्ल्ड कप फुटबॉल होना है. इन दोनों देशों ने एलान कर रखा है कि वे ऐसे स्टेडियम तैयार करेंगे, जिनका बाद में दूसरा इस्तेमाल हो सके. कतर ने तो यहां तक कह दिया है कि वह अपने कुछ स्टेडियमों को पूरा का पूरा दूसरे देशों में भेज देगा.

कल के लिए

लंदन ने ओलंपिक के लिए बहुत से ऐसे आयोजन स्थल तैयार किए, जिनका बाद में दूसरा इस्तेमाल हो सके. कतर और रियो की नजरें खास तौर पर उन जगहों पर हैं. लंदन ओलंपिक स्टेडियम का डिजाइन तैयार करने वाली कंपनी पॉपुलस के निदेशक क्रिस्टोफर ली का कहना है, "लंदन को हम एक खाके के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि आने वाले सालों में ओलंपिक या वर्ल्ड कप आयोजित करने वाले देश इसी तरह के कदम उठाएंगे." आने वाले दिनों में रियो ओलंपिक के अलावा रूस के सोची शहर में 2014 के विंटर ओलंपिक और चीन के नानजिंग में 2014 के युवा ओलंपिक होने हैं.

बीजिंग ओलंपिक तक ज्यादातर देशों ने स्थायी ओलंपिक स्टेडियम बनाए लेकिन लंदन ने तरीके बदल दिए. इसने 34 ओलंपिक आयोजन स्थलों में लगभग साढ़े सात लाख सीटें लगाईं, जिनमें 57,000 को हटा दिया जाएगा. पॉपुलस के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन ओलंपिक खेलों (सिडनी 2000, एथेंस 2004 और बीजिंग 2008) में मिल कर इतनी सीटें हटाई गई थीं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जिन 34 स्थलों पर ओलंपिक खेल हुए, उनमें से सिर्फ आठ स्थायी रूप से बनाए गए हैं. 80,000 की क्षमता वाले ओलंपिक स्टेडियम के सीटों की संख्या भी घटा कर 25,000 की जा सकती है. 12,000 दर्शकों की क्षमता वाला बास्केट बॉल ग्राउंड सहित सात जगह अस्थायी हैं, जबकि बाकी पहले से वहां थे.

लंदन के मेयर बोरिस जॉनसन का कहना है, "लंदन और दूसरी जगहों में यह फर्क है कि हमने इन बातों का बारीकी से ध्यान रखा. हम दूसरे मेजबान से अलग हैं और हमारे आठ में से छह का भविष्य पहले ही तय हो चुका है."

जोखिम बाकी है

लंदन का सबसे बड़ा जोखिम मुख्य स्टेडियम का भविष्य तय करना है. वेस्ट हैम यूनाइटेड फुटबॉल क्लब इस स्टेडियम को लेना चाहता है लेकिन इसके साथ शर्त यह है कि इसके मूल रूप में बदलाव नहीं किया जाएगा. दौड़ने वाली ट्रैक वहां रखनी होगी. इसके बाद भी फुटबॉल देखने के लिए 60,000 लोगों की सीट बनाई जा सकती है. फुटबॉल के अलावा क्रिकेट, रग्बी और यहां तक कि फॉर्मूला वन ने भी इस स्टेडियम में दिलचस्पी दिखाई है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/dpaweb

ओलंपिक का इतिहास रहा है कि मेजबान देश अपने बजट से आगे निकल जाते हैं. बड़े बड़े स्टेडियम बनाए जाते हैं, जो बाद में धूल फांकते नजर आते हैं. ग्रीस ने 2004 ओलंपिक के लिए लगभग 12 अरब यूरो की लागत से 36 जगह बनाए थे. इनमें से ज्यादातर बंद पड़े हैं और ज्यादातर स्टेडियमों की दीवारों पर बच्चों और मनचलों ने ग्रैफिटी बना दी है. इन्हें किराए पर देने की काफी कोशिश हुई लेकिन कोई तैयार नहीं हुआ. अब ये सिर्फ सफेद हाथी हैं.

बीजिंग ने भी ओलंपिक के लिए 12 नए स्टेडियम तैयार किए थे. बीजिंग ओलंपिक में कुल 32 स्टेडियम थे और वे भी ज्यादातर खाली पड़े हैं. दक्षिण अफ्रीका ने अभी दो साल पहले फुटबॉल वर्ल्ड कप कराया था. इसके लिए 10 आलीशान स्टेडियम तैयार हुए. अब उनका कुछ नहीं हो रहा है.

कम नुकसान

स्थायी और अस्थायी स्टेडियमों को बनाने में लगभग बराबर पैसा लगता है लेकिन अस्थायी स्टेडियमों के रख रखाव के लिए बाद में पैसा नहीं लगता. वित्तीय संकट से जूझ रहे ग्रीस को 2005 में ओलंपिक स्टेडियमों के रख रखाव में 10 करोड़ यूरो लग रहे थे. जबकि चीन के तैराकी केंद्र को पिछले साल खासा नुकसान देखना पड़ा.

तस्वीर: Reuters

लंदन खेलों के आयोजकों को सलाह देने वाली कंपनी डेलॉयट के जेम्स ग्रेवन का मानना है, "ऐसे स्थायी जगहों के रख रखाव में जितना पैसा खर्च होता है, उससे इनका मूल्य घटा कर निगेटिव हो जाता है." ब्राजील के शहर रियो ने ओलंपिक समिति को जो प्रस्ताव भेजा है, उसके मुताबिक वह नौ स्थायी और छह अस्थायी स्टेडियम बनाना चाहता है. वहां जो स्टेडियम हैं, उन्हीं में ज्यादातर खेल होंगे और चर्चा चल रही है कि लंदन के बास्केटबॉल स्टेडियम को ही रियो में दोबारा लगाया जाएगा. रियो के एक अधिकारी का कहना है कि वह बीजिंग नहीं, बल्कि लंदन को प्रेरणा के लिहाज से देख रहे हैं.

खेल कंसलटेंसी आर्काडिस के पॉल मिचेल का कहन है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ (आईओसी) इस बात पर भी ध्यान रख रहा है कि खेल खत्म होने के बाद शहर इससे कैसे निपटता है, "आईओसी चाहता है कि शहरों को किसी तरह सफेद हाथी से बचना चाहिए. उन्हें इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि शहर चीजों को किफायती ढंग से आगे बढ़ाए."

आईओसी के एक प्रवक्ता का कहना है, "हम इस बात को सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अगले मेजबानों को लंदन के स्टेडियम मिलें." ग्रेवन का कहना है कि अगर इस तरह के अस्थायी स्टेडियम बनाए जा सकें तो आने वाले दिनों में छोटे देश भी ओलंपिक का आयोजन कर सकते हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

कतर के लिए मौका

कतर के लिए यह साबित करने का मौका है. वह तीन पुराने स्टेडियमों की मरम्मत करना चाहता है, जबकि नौ नए स्टेडियम बनाए जाएंगे. इन स्टेडियमों को पूरा का पूरा खोल कर कहीं और स्थापित किया जा सकेगा. यह एक बड़ी वजह थी कि अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संस्था ने उसे 2022 का वर्ल्ड कप आयोजित करने वाला देश चुना.

इसके अलावा अस्थायी स्टेडियमों से पर्यावरण को भी कम नुकसान पहुंचता है. लंदन ओलंपिक का बास्केटबॉल स्टेडियम पूरी तरह रियो जा सकता है, जबकि ग्रेट ब्रिटेन में 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स होने हैं और आयोजकों ने पहले ही शिकागो से बात कर रखी थी कि अगर उन्हें 2016 का ओलंपिक मेजबान बनाया जाता है तो क्या वे कॉमनवेल्थ गेम्स की सीटें लेंगे. हालांकि बाद में मेजबानी रियो को मिल गई.

लंदन में बकिंघम पैलेस के पास बीच वॉलीबॉल खेलने के कोर्ट बनाए गए, जिसके लिए 4000 टन रेत शहर में लाया गया. अब ये रेत लंदन के छह कम्युनिटी सेंटर के खेल विभाग को दिया जाएगा.

एजेए/एएम (रॉयटर्स)

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