वैज्ञानिकों ने पहली बार 10,000 किलोमीटर लंबी गुरुत्व तरंगों को कैमरे में कैद किया है. शुक्र ग्रह को अपनी आगोश में लेने वाली इन तरंगों को 359 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार वाला तूफान भी कुछ न कर सका.
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जापान की एक मेट्रोलॉजिकल सैटेलाइट काफी समय से शुक्र ग्रह का चक्कर लगा रही है. इस दौरान हमारे सौर मंडल की सबसे बड़ी गुरुत्व तरंगें सामने आईं. तस्वीरों में 10,000 किलोमीटर लंबी तरंगें आगे बढ़ते दिखाई पड़ रही हैं.
उपग्रह से यह तस्वीर शुक्र की कक्षा में चक्कर लगाते समय ली गई. जापानी वैज्ञानिकों का यह शोध पत्र हाल ही में "नेचर जियोसाइंस" पत्रिका में छपा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक शुक्र के बाहरी वायुमंडल में 359 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलती हैं. लेकिन इतनी तेज हवाओं के बावजूद इस लहर पर कोई असर नहीं पड़ा. वह लगातार आगे बढ़ती रही. इसी के आधार पर माना जा रहा है कि यह गुरुत्व तरंगें हैं.
टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "ताजा अध्ययन स्थायी गुरुत्व तरंगों के साफ सबूत दिखाता है और यह भी दिखाता है कि स्थायी गुरुत्व तरंगें बहुत बड़ी हो सकती हैं- यह शायद सौर मंडल में दर्ज सबसे बड़ी तरंग है."
गुरुत्व तरंगों में अंतर
वायुमंडलीय गुरुत्व तरंगें तब पैदा होती हैं जब कोई तरल गुणों वाला पदार्थ, जैसे गैस, द्रव या प्लाज्मा अपनी संतुलित अवस्था खो देता है. ऐसा शुक्र और पृथ्वी पर लगातार होता रहता है. लेकिन ब्रह्मांड की सफर करने वाली गुरुत्व तरंगें अलग होती हैं. ये तरंगें अनंतकाल से ब्रह्मांड में गतिशील हैं. यह लहरों की तरह सफर करती हैं.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि शुक्र की तेज हवाएं एक बड़े पहाड़ से टकरा रही हैं और इस टक्कर के चलते वायुमंडल का संतुलन गड़बड़ा रहा है. उबड़ खाबड़ सतह पर बहती तेज हवा से गुरुत्वबल और हवा के अणुओं के बीच तनाव पैदा होता है और ऐसी लहरें दिखाई पड़ती हैं. शोध में शामिल जापानी वैज्ञानिक माकोटो तागुची कहते हैं, "हम कह सकते हैं कि ऊंचे इलाके स्थायी गुरुत्व तरंगें पैदा करने में अहम भूमिका निभाती हैं."
(जानिये क्या है सौर तूफान)
क्या है सौर तूफान
कभी कभी सूर्य से अथाह ऊर्जा निकलती है. इस दौरान अंतरिक्ष पर नजर रखने वाली प्रयोगशालाएं सूर्य की कई जबरदस्त तस्वीरें जुटाती हैं. आखिर क्या है इस अद्भुत चमक का राज.
तस्वीर: Reuters
सूर्य में विस्फोट
सूर्य की सतह पर अचानक बेहद चमकदार प्रकाश दिखने की घटना को सन फ्लेयर कहा जाता है. धरती से ऐसा हर रोज नहीं दिखाई पड़ता. कभी कभार होने वाली इस घटना के दौरान सूर्य के कुछ हिस्से असीम ऊर्जा छोड़ते हैं. इस ऊर्जा से एक खास चमक पैदा होती है जो आग की लपटों जैसी नजर आती है.
तस्वीर: Reuters
सन फ्लेयर से सौर तूफान
अगर यह असीम ऊर्जा लगातार कई दिनों तक निकलती रहे तो इसके साथ सूर्य से अति सूक्ष्म नाभिकीय कण भी निकलते है. यह ऊर्जा और कण ब्रह्मांड में फैल जाते हैं. असल में यह बहुत जबरदस्त नाभिकीय विकीरण है, जिसे सौर तूफान भी कहा जाता है.
तस्वीर: AP
अहम है दिशा
सौर तूफान राह में आने वाली हर चीज पर असर डालता है. अगस्त 2014 के अंत में शुरू हुए सौर तूफान की दिशा फिलहाल पृथ्वी की तरफ नहीं है. लेकिन नासा ने चेतावनी दी है कि इस साल के अंत में एक सौर तूफान पृथ्वी की तरफ आएगा.
तस्वीर: NASA/AP/dapd
सूर्य को समझने का मौका
सन फ्लेयर वैज्ञानिकों को सूर्य को समझने का मौका भी देता है. अब तक यह पता चला है कि सौर तूफान की वजह से ब्रह्मांड में मौजूद कण इतने गर्म हो जाते हैं कि वे भी प्रकाश की गति से यात्रा करने लगते हैं.
तस्वीर: AP/NASA
कैसा है हमारा सूरज
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक सूर्य कुछ इस तरह का है. इसे तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है. कोर में नाभिकीय क्रियाएं होती है. इन क्रियाओं से पैदा हुई विकीरण ऊर्जा को रैडिएटिव जोन बाहर फेंकता है. कनवेक्शन या संवहन जोन विकीरण ऊर्जा को सतह तक लाता है.
तस्वीर: NASA/SOHO
चुंबकीय क्षेत्र का कवच
सूर्य से लगातार आते आवेशित कणों से धरती को पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बचाता है. धरती के गर्भ से निकलने वाली चुंबकीय शक्तियां वायुमंडल के आस पास कवच का काम करती हैं. ये आवेशित कणों का रुख मोड़ देती हैं. लेकिन सौर तूफान के वक्त कई आवेशित कण चुंबकीय कवच को भेद देते हैं.
तस्वीर: ESA
इंसान की मुश्किल
जुलाई 2013 में एक बहुत ही बड़ा सौर तूफान धरती के करीब से गुजरा था. अगर सौर तूफान धरती से टकराता तो भारी मुश्किल पैदा हो सकती थी. वैज्ञानिकों के मुताबिक सौर तूफान एक झटके में सारी सैटेलाइटों को खराब कर सकता है.