केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि सभी अंतरधार्मिक विवाहों को 'लव जिहाद' की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. ऐसा करने से राज्य की धार्मिक सद्भावना खतरे में पड़ जायेगी.
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केरल हाई कोर्ट ने एक अंतरधार्मिक विवाह के मामले में फैसला सुनाते हुए पुलिस को यह आदेश दिया है कि प्रेम संबंधों के चलते धर्म बदलने के काम कर रही संस्थाओं को बंद किया जाए. कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण या पुन: धर्मांतरण के लिए कोई भी केंद्र पुलिस द्वारा बंद किया जाना चाहिए. चाहे वह संस्था हिन्दू, मुस्लिम या ईसाई हो. ऐसा न हो कि वह संवैधानिक अधिकार को नकार दे. भारत के संविधान का अनुच्छेद 25 (1) प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को स्वतंत्र रूप से अपनाने, अभ्यास और प्रचार करने का अधिकार देता है, जिसे व्यक्ति या धार्मिक संगठनों द्वारा छेड़ा नहीं जा सकता.
कुन्नूर के अनीस हमीद की प्रेमिका श्रुति के लापता होने के बाद उन्होंने केरल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. बाद में श्रुति ने कोर्ट को बताया कि उसके परिवार वाले उसे उद्यमपेरूर के शिव शक्ति योग विद्या केंद्र ले गये थे, जहां उसे बंधक बनाकर रखा गया था. उसके साथ मानसिक और शारिरिक तौर पर शोषण किया गया और उसकी मर्जी के खिलाफ उसके प्रेमी से अलग होने के लिए मजबूर किया गया.
कोर्ट ने श्रुति और अनीस को माता पिता और अन्य किसी भी हस्तक्षेप के बिना अपना धर्म चुनने के लिए आजाद किया. इस फैसले में आगाह करते हुए केरल हाई कोर्ट ने कहा है कि सभी अंतरधार्मिक विवाहों को 'लव जिहाद' की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. ऐसा करने से राज्य की धार्मित सद्भावना खतरे में पड़ जायेगी.
श्रुति ने बताया कि विवाह के बाद वह हिन्दू धर्म का पालन करेगी और अनीस इस्लाम को मानना जारी रखेगा. कोर्ट ने कहा कि यह बहुत डरावना है कि केरल में हर अंतर धार्मिक विवाह को 'लव जिहाद' या 'घर वापसी' से जोड़कर देखा जा रहा है.
शादी के बंधन में बंधने की आजादी
30 जून 2017 को जर्मन संसद में समलैंगिक शादियों को वैधता देने का प्रस्ताव पास हुआ. दुनिया के करीब 20 देशों में अब तक सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता मिल चुकी है, जिनमें से ज्यादातर यूरोप में ही हैं, देखिए.
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नया जर्मनी
जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने पर सहमति बन गयी. 2017 के अंत तक इस कानून के लागू हो जाने की उम्मीद है.
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अगुआ नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 में नीदरलैंड्स दुनिया का पहला देश बना, जहां गे और लेस्बियन जो़ड़ों को सिविल सेरेमनी में बंधने का अधिकार मिल गया. इसके बाद 12 अन्य यूरोपीय देशों में भी इसे मान्यता मिली.
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यूरोपीय देशों में प्रसार
नीदरलैंड्स के बाद यूरोप के अन्य देशों बेल्जियम, ब्रिटेन (उत्तरी आयरलैंड को छोड़कर), डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जेमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन और स्वीडन में भी सिविल सेरेमनी की अनुमति मिली.
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सिविल पार्टनरशिप
कुछ यूरोपीय देशों में समलैंगिक जोड़ों को सिविल पार्टनरशिप में रहने की व्यवस्था है. ये देश हैं ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, साइप्रस, चेक रिपब्लिक, ग्रीस, हंगरी, इटली, माल्टा और स्विट्जरलैंड. 2014 में एस्टोनिया भी इस सूची में जुड़ा.
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पूर्वी यूरोप
बुल्गारिया, लात्विया, लिथुआनिया, पोलैंड, रोमेनिया और स्लोवाकिया जैसे पूर्वी यूरोप के देशों में समलैंगिक लोगों को शादी करने का हक मिला हुआ है. दिसंबर 2015 में स्लोवेनिया ने जनमत संग्रह में गे मैरिज के खिलाफ फैसला लिया.
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बच्चे गोद लेना
पश्चिमी यूरोप के 15 देशों में समलैंगिक जोड़े बच्चों को गोद ले सकते हैं, चाहे वे शादीशुदा हों या सिविल पार्टनरशिप में रह रहे हों. ऐसे देश हैं बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड्स, स्पेन और स्वीडन. इसके अलावा फिनलैंड, जर्मनी और स्लोवेनिया में समलैंगिकों को अपने पार्टनर के बच्चों को गोद लेने का अधिकार देता है.
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उत्तरी अमेरिका में अगुआ
यहां सबसे पहले कनाडा ने समलैंगिक शादी और बच्चा गोद लेने को जून 2005 में ही मान्यता दे दी थी. अमेरिका में 2015 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गे मैरिज को देशव्यापी वैधता मिली.
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लैटिन अमेरिका में
पहला देश रहा मेक्सिको, जहां 2007 में सिविल यूनियन और 2008 में पूर्ण विवाह की अनुमति मिल गयी. अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया और उरुग्वे में भी समलैंगिक शादियां कानूनी रूप से वैध हैं.
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अफ्रीका का हाल
अफ्रीकी महाद्वीप के 30 देशों में समलैंगिकता पर ही प्रतिबंध है. केवल दक्षिण अफ्रीका में ही समलैंगिक लोगों को शादी करने और बच्चे गोद लेने का अधिकार है. ऋतिका पाण्डेय (एएफपी)