बीते कुछ सालों से शोधकर्ता समुद्र में अंडर वॉटर एक्वा फार्म बना कर वहां शैवाल उगाने पर रिसर्च कर रहे हैं. अब तो इससे इंसान के भोजन में शामिल करने लायक प्रजाति विकसित करने की कोशिश की जा रही है.
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बाल्टिक सागर में समुद्र विज्ञानी अपनी जानकारी का फायदा उठाकर नये प्रोडक्ट पैदा करना चाहते हैं. वे अपनी खुद की बनाई हुई डेंगी लेकर समुद्र में बनाये गये अंडर वॉटर फार्म की ओरनिकल पड़ते हैं. बोट से वे वहां कुछ ही मिनटों में अक्वा फार्म पर पहुंच जाते हैं.
शोधकर्ता बरसों से अल्गी की पैदावार पर रिसर्च कर रहे हैं. लैब में इसकी पौध को तैयार किया जाता है. अल्गी की संभावनाएं बहुत ज्यादा हैं और कभी कभी तो चौंकाने वाली भी.
समुद्र विज्ञानी टिम श्टाउनफेनबर्गर कहते हैं, "एक समय तो चर्चा थी कि इसे जलाया जाये, उसे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाये, लेकिन उसके लिए यह बहुत ही कीमती है. क्योंकि उसके तत्वों से हम अपने लिये बहुत कुछ अच्छा कर सकते हैं." अल्गी की एक खाने वाली वेरायटी की मदद से जीव विज्ञानी कॉस्मेटिक बनाते हैं. यह त्वचा के लिए बहुत ही अच्छा होता है क्योंकि अल्गी बहुत सारा तरल संजो कर रख सकती हैं.
यहां कछुए करते हैं इंसानों का स्वागत
स्पेन के नाविक पहली बार 1535 में गालापागोस द्वीपों पर पहुंचे थे. इंसान इस सुंदर इलाके के वन्यजीवन के लिए खतरा रहे हैं, लेकिन अब संरक्षण की कोशिशें रंग ला रही हैं. यहां सैलानी भी आ रहे हैं और इस द्वीप को खतरा भी नहीं है.
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आग से जन्म
यह तस्वीर दिखाती है कि गालापागोस कैसे अस्तित्व में आया. लगभग 50 लाख साल पहले धरती की कोख से निकलने वाले लावा ने ठंडा होकर इस द्वीप का आकार लिया. दक्षिण अमेरिका में इक्वाडोर के तट से लगभग एक हजार किलोमीटर दूर समंदर में ये द्वीप हैं.
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इंसानी दखल नहीं
इंसानी बस्ती से इतनी दूर होने के कारण इन द्वीपों पर पेड़ पौधे और जीव जंतुओं बिना दखल के पलते और बढ़ते रहे हैं. इसलिए इस इलाके में कई दुर्लभ प्रजातियां हैं. कई जीव तो ऐसे हैं जो बाकी दुनिया में कहीं और नहीं मिलते.
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पानी वाली छिपकली
यहां मिलने वाले अद्भुत जीवों में पानी में रहने वाली यह छिपकली भी शामिल है. यह दुनिया की अकेली छिपकली है जिसकी जिंदगी समंदर के पानी में बीतती है. यह काई खाती है और नौ मीटर गहराई तक गोता लगा सकती है. लेकिन इसे इंसानी गतिवधियों से खतरा है और उनके साथ आने वाले सूअर, कुत्तों और बिल्लियों से भी, जो कई बार इसके अंडे चट कर जाते हैं.
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एक दूसरे पर निर्भर
ये लाल केंकड़े भी सिर्फ इसी द्वीप पर मिलते हैं. ये केंकड़े समुद्री छिपकली से मिलने वाले पिस्सुओं को खाते हैं. इससे दोनों का फायदा होता है, छिपकली का भी और इन केंकड़ों का भी.
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परिंदों की पसंद
फ्रिगेटबर्ड कहे जाने वाले इन परिंदों को प्रजनन के लिए ऐसे दूरदराज के द्वीप बहुत पसंद आते हैं. यहां ये हजारों की संख्या में प्रजनन करते हैं. ये पक्षी एक समय में हजारों किलोमीटर की उड़ान भर सकते हैं.
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विशाल कछुए
ये विशाल कछुए दुनिया में दो ही जगह मिलते हैं. एक गालापागोस पर और दूसरे हिंद महासागर में अलदाबरा द्वीपों पर. ये कछुए सौ से भी ज्यादा साल तक जीवित रह सकते हैं.
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कम हुआ खतरा
16वीं सदी में गालापागोस पर इन कछुओं की तादाद ढाई लाख हुआ करती थी, जिनकी संख्या शिकार के कारण 1970 के दशक में घटकर सिर्फ तीन हजार रह गई. अब संरक्षण के बाद इनकी तादाद लगभग बीस हजार हो गई है.
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कोशिशें
हर साल लाखों सैलानी गालापागोस जाते हैं. लेकिन इस बात के लिए खास कदम उठाए जा रहे हैं कि सैलानियों के कारण इस इलाके की जीव विविधता पर कम से कम असर पड़े. यहां आने वाले लोग अपने साथ खाने की चीजें नहीं ला सकते और न ही उन्हें जीव जंतुओं को छूने की अनुमति है. गालापागोस के ज्यादातर जीवों को इंसानों से कोई डर नहीं होता.
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मस्त और बिंदास
गालापागोस के ये सी लाइंस बहुत ही मस्त रहने वाले जीव हैं और इसीलिए सैलानियों के पसंदीदा जानवर हैं. इन्हें भी इंसानों से ज्यादा डर नहीं लगता है. लेकिन जब ये पानी में होती हैं तो इन्हें बहुत ध्यान रखना पड़ता है, वरना वो शार्क या फिर किलर व्हेल का भोजन बन सकते हैं.
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लेकिन कामयाबी की उम्मीदों के साथ शुरू हुआ परीक्षण असमय समाप्त हो सकता है. सखारीना लैटीसीमा अल्गी बदलते मौसम के साथ बहुत संवेदनशील है. श्टाउनफेनबर्गर के अनुसार, "सखारीना लैटीसीमा अब अपनी सीमा पर है. अभी तक तो ठीक है लेकिन यदि और गर्म हो जाये तो उसे अच्छा नहीं लगेगा. चूंकि अभी माना जा रहा है कि समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, इसलिए हमें भी सोचना होगा कि क्या हम यहां अल्गी की कोई और वेरायटी उपजायें ताकि हम कॉस्मेटिक का उत्पादन जारी रख सकें और अल्गी भी ब्रीड कर सकें."
अल्गी के विपरीत मुसेल गर्मी पसंद करते हैं. इसलिए जीवविज्ञानी अब ब्लू मुसेल की पैदावार कर रहे हैं. यह कीमती खाद्य सामग्री है. श्टाउनफेनबर्गर कहते हैं, "मुसेल को गर्मी पसंद है. जैसे ही थोड़ी ज्यादा गर्मी हो जाये, मुसेल को पानी में ज्यादा खाना मिलने लगता है और वे बहतर तरीके से बढ़ सकते हैं." जीवविज्ञानी कुछ सैंपल इकट्ठा करते हैं. बेचे जाने से पहले मुसेल की जांच होगी ताकि उसमें बीमारियों के कीटाणु और जहरीले पदार्थ ना हों.
शिपयार्ड से समंदर का सफर
बड़े बड़े जहाज शिपयार्ड में बनाए जाते हैं और फिर उन्हें लाया जाता है पानी में. ऐसा ही एक अत्याधुनिक जहाज क्वांटम ऑफ द सीज उत्तरी जर्मनी के मायर शिपयार्ड से निकला. तस्वीरों में देखें उसे पानी में कैसे उतारा गया.
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खुला दरवाजा
जहाज ने 13 अगस्त को अपने शिपयार्ड से नाक बाहर निकाली. पापेनबुर्ग के मायर यार्ड के दरवाजे से धीरे धीरे इसे बाहर निकाला गया. यह जर्मनी में बना अब तक का सबसे बड़ा यात्री जहाज है.
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आखिरी कटाई छंटाई
आने वाले हफ्तों में क्वांटम को मायर यार्ड में आखिरी रूप दिया जाएगा. इसे जर्मनी के शिपयार्ड में अमेरिका के रॉयल कैरेबियन इंटरनेशनल जहाजरानी कंपनी के लिए बनाया गया है. इसे पांच जहाजों ने मिलकर बाहर निकाला.
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क्वीन मेरी से लंबा
कई महीनों और हफ्तों की लंबी मेहनत के बाद क्वांटम ऑफ द सीज तैयार हुआ है. यह फिलहाल दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यात्री जहाज है. 348 मीटर लंबाई वाला ये जहाज क्वीन मेरी द्वितीय से तीन मीटर लंबा है.
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शानदार जहाज
इस जहाज में 18 डेक हैं और कुल 4,200 यात्री इसमें सफर कर सकते हैं. इतने बड़े जहाज को बाहर निकालना बड़ी कसरत है. एम्स से सागर तक की यात्रा लंबी है. खींचने वाले जहाजों की कुशलता जरूरी है.
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प्रीमियर
सितंबर में ये जहाज उत्तरी सागर में उतरेगा. इसके लिए उसे एम्स नदी में उतारा जाएगा. इसकी पहली यात्रा दो नवंबर को ब्रिटेन के साउथैम्प्टन से अमेरिका के न्यू जर्सी की ओर शुरू होगी.
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कैसे निकालेंगे
उत्तरी सागर तक पहुंचने के लिए एम्स नदी में पहले पानी बढ़ाना पड़ेगा ताकि जहाज का पेंदा जमीन से टकराए नहीं और उसके नीचे कम से कम एक हाथ पानी हो.
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गोदी नगर
हैम्बर्ग और ब्रेमन जैसे कुछ बंदरगाह जर्मनी में हैं जहां बड़े मालवाहक और यात्री जहाज पहुंचते हैं. हैम्बर्ग में सामान बंदरगाह के पास के गोदामों में रखा जाता है. एल्बे के पानी में जब ज्वार आता है तो नावें सामान लेकर इन गोदामों में जाती हैं और पानी उतरने के पहले बाहर आ जाती थीं.
तस्वीर: Hanna Grimm
हैम्बर्ग बंदरगाह पर
अक्सर यात्री जहाज हैम्बर्ग में रुकते हैं. वहां समंदर से एल्बे नदी में आने और मुड़ने की प्रक्रिया काफी मुश्किल और समय लेने वाली होती है. क्वीन मेरी द्वितीय जहाज को एल्बे में मोड़ा गया था.
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एक गोताखोर इस बात की जांच करेगा कि पानी के नीचे मुसेल किस तरह बढ़ते हैं. बाल्टिक सागर का पानी पारदर्शी नहीं है. इसलिए नहीं कि वह गंदा है, बल्कि इसलिए कि इसमें बहुत ऑर्गेनिज्म रहते हैं. यह मुसेल के लिए पोषण का अच्छा आधार है, जो रस्सी में लटके अच्छी तरह फलते फूलते हैं. मुसेल सात सेंटीमीटर तक बड़े होते हैं. वे इंसान के लिए पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार हैं क्योंकि उनमें मूल्यवान वसा होती है.
पानी के नीचे लटकी रस्सियों पर मुसेल की पैदावार दूसरे तरीकों से अधिक पर्यावरण सम्मत है. अब तक मुसेल को समुद्र तल से इकट्ठा किया जाता था. इस प्रक्रिया में समुद्र तल को नुकसान पहुंचता था. जर्मनी के पहले बायो मुसेल ब्रीडिंग सेंटर में रसायन का भी इस्तेमाल नहीं होता.