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समंदर के सफर पर जैतून का जायका

१५ अगस्त २०१०

दो हजार साल पुराने पानी के एक जहाज से बड़ी मात्रा में जैतून की गुठलियां मिली हैं, जिससे पता चलता है कि जैतून प्राचीन काल में नाविकों के खान पान का अहम हिस्सा होता था. यह जहाज साइप्रस के पास मिला है.

तस्वीर: Fairtrade / Chiraz Skhiri

यह जहाज 400 ईसवी का है जिसे साइप्रस के दक्षिणी तट के पास समंदर की गहराइयों से निकाला गया है. इस पर चिओस और दूसरे ग्रीक एगियन द्वीपों की वाइन के पीपे मिले हैं. साथ ही कुछ लकड़ियां भी मिली हैं. यह व्यापारिक जहाज था जिसे निकालने का काम नवंबर 2007 में शुरू हुआ था.

खानपान का पुराना हिस्सा है जैतूनतस्वीर: AP

दुर्लभ वस्तुओं संबंधी साइप्रस के विभाग का कहना है, "जहाज से कुछ दिलचस्प चीजें मिली हैं जो हमें प्राचीन काल के नाविकों के बारे में उपयोगी जानकारी देती हैं. इसमें हमें जैतून की बहुत गुठलियां मिली. बेशक ये नाविकों के खाने का हिस्सा रही होंगी."

भूमध्यसागरीय इलाके में जैतून और उसका तेल खान पान का एक अहम हिस्सा रहा है, लेकिन अब सैकड़ों साल से हो रहे उसके इस्तेमाल के पक्के सबूत मिल रहे हैं. इटली के पुरातत्व विशेषज्ञों ने अपनी खोज में पाया कि दुनिया का सबसे पुराना इत्र साइप्रस में बनाया गया था और यह जैतून से तैयार किया गया. तांबे की भट्टियों में आग सुलगाने के लिए भी उस जमाने में जैतून का इस्तेमाल होता था.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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