1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

''समझौते के लिए सैनिक की रिहाई ज़रूरी''

१८ फ़रवरी २००९

इस्राएल ने कहा है कि वह तब तक गज़ा की नाकेबंदी ख़त्म नहीं करेगा जब तक हमास की क़ैद में मौजूद उसके एक सैनिक गिलात शालित को रिहा नहीं कर दिया जाता. इस्राएली सुरक्षा कैबिनेट की एक बैठक में बुधवार को यह फ़ैसला किया गया.

प्रधानमंत्री ओलमर्ट के साथ विदेश मंत्री सिपी लिवनीतस्वीर: AP

चंद दिनों में अपना पद छोड़ने वाले इस्राएली प्रधानमंत्री एहुद ओलमर्ट ने बुधवार को अपनी सुरक्षा कैबिनेट की एक बैठक बुलाई. इसमें हमास द्वारा अग़वा किए गए इस्राएली सैनिक गिलात शालित के बदले लगभग 1,400 फ़लीस्तीनियों को रिहा करने के समझौते पर चर्चा हुई. शालित को 2006 में फ़लीस्तीनी उग्रवादियों ने अगवा कर लिया था. बैठक के बाद इस्राएली प्रधानमंत्री ने कहा कि हमास से संघर्षविराम करने या फिर ग़ज़ा की सीमा चौकियों को खोलने के लिए गिलात शालित की रिहाई पहली शर्त है. ओलमर्ट ने कहा, ''हम हमास की मदद के लिए ग़ज़ा की सीमा चौकियां नहीं खोलेंगे जबकि गिलात शालित हमास की क़ैद में है. जब वह रिहा हो जाएगा तो हम अन्य मुद्दों पर बात करेंगे. यही शुरुआत से हमारी प्राथमिकता रही है.''

11 सदस्यों वाली इस्राएली सुरक्षा कैबिनेट में आम राय से यह फ़ैसला हुआ और इसे हमास और इस्राएल के बीच लंबे संघर्षविराम के वास्ते मिस्र की कोशिशों के लिए एक धक्का माना जा रहा है. मिस्र के 18 महीनों के प्रस्तावित संघर्षविराम समझौते में ग़ज़ा की सभी सीमा चौकियों को खोलने की बात भी शामिल हैं ताकि 22 दिनों तक चली इस्राएली सैन्य कार्रवाई में तबाही झेलने वाले ग़ज़ा को फिर से खड़ा किया जा सके. इस्राएल आने वाले दिनों में अपने एक वरिष्ठ दूत को काहिरा भेजने वाला है.

इस बीच, हमास ने संघर्षविराम के लिए इस्राएली सैनिक की रिहाई की शर्त को ख़ारिज किया है. हमास के प्रवक्ता फाउज़ी बहरुम इसे इस्राएल की ब्लैकमेलिंग बताया है जो इस्राएल और फ़लीस्तीनी रूख़ के पूरी तरह ख़िलाफ़ है.साथ ही उन्होंने मिस्र से ग़ज़ा की रफ़ाह चौकी खोलने की अपील भी की है.

उधर, इस्राएल फ़लीस्तीन तनाव से अलग बुधवार को इस्राएली राष्ट्रपति शिमोन पेरेत्ज नई सरकार के गठन के लिए विभिन्न नेताओं से सलाह मशविरा शुरू कर रहे हैं. उन्हें तय करना है कि इस्राएल में सरकार बनाने के लिए विदेश मंत्री सिपी लिवनी की कदीमा पार्टी को आमंत्रित करें, जो चुनावों में 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी या फिर विपक्षी दक्षिणपंथी नेता बेन्जामिन नेतान्याहू की लिकुड पार्टी को जिसे 27 सीटें मिली. ख़ास बात यह है कि लिकुड को अन्य दक्षिणपंथी पार्टियों का भी समर्थन मिल सकता है.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें