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भविष्य में और भी जला करेंगे जंगल

२० अगस्त २०१८

पिछले 35 वर्षों से तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसके लिए सीधे तौर पर इंसानों को जिम्मेदार माना जा रहा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि बढ़ती गर्मी ने ही जंगलों में आगजनी की घटनाओं को बढ़ाया है.

USA Wald- und Buschbrände Feuer wüten im Norden Kaliforniens, Mendocino
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Berger

बढ़ते तापमान से जूझ रहे अमेरिका के जंगलों में लगी आग ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन पर बहस छेड़ दी है. इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी की वजह से सैकड़ों एकड़ जंगल जल कर राख हो गए. विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से जंगलों में आग लगने के मामले बढ़े हैं. 

आग लगने के लिए हवा और ईंधन की जरूरत पड़ती है. गर्मी के मौसम में जंगलों में फैले सूखे पत्ते ईंधन का काम करते हैं. एल्बर्टा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक माइक फ्लेनिंगन के मुताबिक, "जितनी गर्मी बढ़ेगी, आग लगने के मामले भी उतने ही ज्यादा बढ़ेंगे." गर्मी बढ़ने के कारण पेड़, पत्ते और फसल सूख जाते हैं और इससे लपटें तेजी से फैलती हैं.

नेशनल इंटरजेंसी फायर सेंटर और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के आंकड़े बताते हैं कि 1983 के बाद से अब तक के सबसे गर्म पांच वर्षों में अप्रैल से सितंबर के बीच करीब 35,000 वर्ग किलोमीटर का इलाका जल कर खाक हो गया. अप्रैल से सितंबर के सबसे ठंडे पांच वर्षों की तुलना में यह औसतन तीन गुना था.

20वीं सदी से तुलना करें तो इस बार अमेरिका में औसतन गर्मी में 1.7 डिग्री सेल्सियस की बढ़त देखी गई. कैलिफोर्निया में गर्मी का 124 साल का रिकॉर्ड टूट गया.

तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी मामूली बात लगती है लेकिन जंगलों के सूखे पत्तों के लिए यह महत्वपूर्ण है. जितनी ज्यादा गर्मी बढ़ेगी, पेड़ों और पत्तियों में से पानी की मात्रा कम होती जाएगी और ये ईंधन का काम करेंगे. सूखी पत्तियों की रगड़ से आग का लगना और फैलना तेजी से होता है. फ्लेनिंगन के मुताबिक, "हवा अगर 0.05 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म हो तो सूखे पत्तों को शांत करने के लिए 15 फीसदी अधिक बारिश की जरूरत पड़ती है."

कोलोराडो यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिक जेनिफर बाल्श का मानना है कि आने वाले वक्त में पश्चिमी अमेरिका में 10 लाख एकड़ के इलाके के जंगल में आग लगेगी. कोलोराडो में बतौर सीनियर फायर फाइटर काम करने वाले माइक सुगास्की के लिए कभी 10 हजार एकड़ की आग बड़ी बात हुआ करती थी, लेकिन अब वह 10 गुना आग को बुझाने का काम कर रहे हैं. वह कहते हैं, ''लोग पूछते हैं कि स्थिति इतनी बदतर कैसे हो गई, लेकिन ऐसा हो रहा है. अमेरिका के जंगलों में लगी आग की संख्या भले ही न बढ़ी हो, लेकिन कुल क्षेत्रफल बढ़ चुका है."

1983 से 1999 के बीच जंगलों में आग का सालाना आंकड़ा 25,899 वर्ग किलोमीटर तक नहीं पहुंचा था. साल 2000 के बाद अगले 10 वर्षों तक यह आंकड़ा पार कर गया और 2006, 2015 और 2017 में 38,849 वर्ग किलोमीटर जंगल जल कर राख हो गए.

इडाहो यूनिवर्सिटी में जॉन एबट्जगोलोउ ने 1979 से 2015 के बीच पश्चिमी अमेरिका के जंगलों में लगी आग पर अध्ययन किया है. उनके मुताबिक 1984 के बाद ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से 41,957 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में अतिरिक्त आग लगी है.  

2015 में अलास्का में लगी आग का जब अध्ययन किया गया, तो उसमें भी ऐसे ही कारण मालूम चले. कोयले, तेल और गैस के जलने से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से जंगलों में आग का जोखिम 34 से 60 फीसदी तक बढ़ जाता है.

2016 में कैलिफोर्निया में पड़े सूखे की वजह से 12.9 करोड़ पेड़ों को नुकसान पहुंचा जिससे वे जर्जर हो गए. हालांकि इस पर आंतरिक सचिव रेयाव जिंक की अलग राय है. वह कहते हैं कि पर्यावरणविदों ने सरकार के हाथ-पांव बांध दिए हैं, "सरकार सूखे और जर्जर पेड़ों को काट कर हटाना चाहती है लेकिन पर्यावरण का हवाला देकर ऐसा करने नहीं दिया जा रहा है. नतीजा है कि हर साल सूखे जंगलों में आग लग जाती है."

वीसी/आईबी (एपी)

जलवायु बदलती रही तो यूं ही जलेंगे जंगल 

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