अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु डील क्या तोड़ी, यूरोप समेत एशियाई देशों ने ईरान से दूरी बनानी शुरू कर दी. रॉयटर्स ने एक रिपोर्ट में कहा है कि तेल रिफाइनरी नायरा एनर्जी ने अब ईरान से तेल का आयात करना कम कर दिया है.
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भारत सरकार चाहे इंतजार की रणनीति का दावा करे, लेकिन भारतीय तेल कंपनियों ने अब ईरान से दूरी बनानी शुरू कर दी है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है भारतीय रिफाइनरी नायरा एनर्जी. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु डील खत्म होने का असर भारतीय कंपनी नायरा एनर्जी के कारोबार पर साफ दिख रहा है. रिपोर्ट मुताबिक पहले एस्सार ऑयल के नाम से चलने वाली इस कंपनी को रूस की ऑयल कंपनी रोजनेफ्ट और अन्य पार्टनर्स से 12.9 अरब डॉलर ने खरीद लिया था. पिछले महीने रिफाइनरी ने ईरान से बमुश्किल 55 से 60 लाख बैरल ही तेल खरीदा. नायरा एनर्जी की ओर से की जाने वाली कटौती साफ दिखाती है कि एशियाई खरीदारों ने अमेरिकी कदम के बाद ईरान से तेल लेना कम कर दिया है.
एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "नायरा रिफाइनरी के वॉल्यूम में औसतन 40-50 फीसदी की कमी आई है. इसका कारण है ईरान से आने वाले तेल में आई 30 से 40 लाख बैरल की कमी."
इन देशों के पास है सबसे बड़ा ऑयल रिजर्व
विश्व की राजनीति तेल में सनी रहती है. जिन देशों के पास तेल है, वे या दोस्त हैं या दुश्मन. अमेरिकी एनर्जी इंफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन की यह सूची इसकी झलक भी देती है.
तस्वीर: Reuters/R. Homavandi
10. नाइजीरिया
ऑयल रिजर्व: 37.2 अरब बैरल
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Bureau
09. लीबिया
ऑयल रिजर्व: 48 अरब बैरल
तस्वीर: DW/K. Zurutuza
08. रूस
ऑयल रिजर्व: 80 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
07. संयुक्त अरब अमीरात
ऑयल रिजर्व: 97.8 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
06. कुवैत
ऑयल रिजर्व: 104 अरब बैरल
तस्वीर: Getty Images/AFP/Y. Al-Zayyat
05. इराक
ऑयल रिजर्व: 141.35 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa
04. ईरान
ऑयल रिजर्व: 154.58 अरब बैरल
तस्वीर: imago/Xinhua
03. कनाडा
ऑयल रिजर्व: 173.1 अरब बैरल
तस्वीर: AFP/Getty Images/M. Ralston
02. सऊदी अरब
ऑयल रिजर्व: 267.9 अरब बैरल
तस्वीर: M. Naamani//AFP/Getty Images
01. वेनेजुएला
ऑयल रिजर्व: 287.6 अरब बैरल
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Sanchez
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ईरान की समाचार एजेंसी सना के मुताबिक, "ईरान से होने वाले तेल निर्यात में 27 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी दिख रही है." कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, भारत दुनिया में तेल की खपत करने वाला तीसरा बड़ा देश है साथ ही तीसरा सबसे बड़ा आयातक. आंकड़ों के मुताबिक भारत रोजना तकरीबन 45 लाख बैरल तेल आयात करता है.
जब रॉयटर्स ने नायरा रिफाइनरी से पूछा कि क्या उसकी योजना ईरान से होने वाले तेल आयात को 40-50 फीसदी तक कम करने की है, तो कंपनी ने इस पर कोई सटीक जवाब नहीं दिया. कंपनी के मुताबिक, "अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं है." ईरान के पेट्रोलियम उद्योग पर अमेरिकी के प्रतिबंध 180 दिन के "विंड-डाउन पीरियड" के बाद लागू होंगे, जो 4 नवंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन अभी से ही यूरोप समेत कई एशियाई खरीदारों ने ईरान से तेल खरीद पर कमी कर दी है. नायरा के अलावा अन्य भारतीय कंपनियां भी ईरान से होने वाले आयात पर सख्ती दिखा रही है. सूत्रों के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अक्टूबर-नवंबर तक ईरान से तेल आयात रोकने पर योजना बना रही है. नायरा के प्रमुख कार्यकारी बी. आनंद ने हाल में ही कहा था कि रिफाइनरी को ईरान से किए जाना आयात कम करने के बाद भी आपूर्ति के नए विकल्प तलाशने में समस्या नहीं होगी. उन्होंने कहा कि नायरा अपने प्रमुख स्टेकहोल्डर्स रोसनेफ्ट जैसे साथियों के नेटवर्क का लाभ उठाएगा.
कंपनियां चाहे कुछ कहें, सरकार आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से बच रही है. भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हाल में कहा था, "इस अनिश्चितता भरी स्थिति में भारत सरकार इंतजार की रणनीति पर काम कर रही है."
कच्चे तेल से क्या क्या मिलता है
कच्चे तेल से सिर्फ पेट्रोल या डीजल ही नहीं मिलता है, इससे हर दिन इस्तेमाल होने वाली ढेरों चीजें मिलती हैं. एक नजर कच्चे तेल से मिलने वाले अहम उत्पादों पर.
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ब्यूटेन और प्रोपेन
कच्चे तेल के शोधन के पहले चरण में ब्यूटेन और प्रोपेन नाम की प्राकृतिक गैसें मिलती हैं. बेहद ज्वलनशील इन गैसों का इस्तेमाल कुकिंग और ट्रांसपोर्ट में होता है. प्रोपेन को अत्यधिक दवाब में ब्युटेन के साथ कंप्रेस कर एलपीजी (लिक्विड पेट्रोलियम गैस) के रूप में स्टोर किया जाता है. ब्यूटेन को रेफ्रिजरेशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
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तरल ईंधन
प्रोपेन अलग करने के बाद कच्चे तेल से पेट्रोल, कैरोसिन, डीजल जैसे तरल ईंधन निकाले जाते हैं. सबसे शुद्ध फॉर्म पेट्रोल है. फिर कैरोसिन आता है और अंत में डीजल. हवाई जहाज के लिए ईंधन कैरोसिन को बहुत ज्यादा रिफाइन कर बनाया जाता है. इसमें कॉर्बन के ज्यादा अणु मिलाए जाते हैं. जेट फ्यूल माइनस 50 या 60 डिग्री की ठंड में ही नहीं जमता है.
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नैफ्था
पेट्रोल, कैरोसिन और डीजल बनाने की प्रक्रिया में जो अपशेष मिलता है, उससे बेहद ज्वलनशील तरल नैफ्था भी बनाया जाता है. नैफ्था का इस्तेमाल पॉकेट लाइटरों में किया जाता है. उद्योगों में नैफ्था का इस्तेमाल स्टीम क्रैकिंग के लिए किया जाता है. नैफ्था सॉल्ट का इस्तेमाल कीड़ों से बचाव के लिए किया जाता है.
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नैपाम
कच्चे तेल से मिलने वाला नैपाम विस्फोटक का काम करता है. आग को बहुत दूर भेजना हो तो नैपाम का ही इस्तेमाल किया जाता है. यह धीमे लेकिन लगातार जलता है. पेट्रोल या कैरोसिन के जरिए ऐसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे बहुत जल्दी जलते हैं और तेल से वाष्पीकृत भी होते हैं.
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मोटर ऑयल
गैस और तरल ईंधन निकालने के बाद कच्चे तेल से इंजिन ऑयल या मोटर ऑयल मिलता है. बेहद चिकनाहट वाला यह तरल मोटर के पार्ट्स के बीच घर्षण कम करता है और पुर्जों को लंबे समय तक सुरक्षित रखता है.
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ग्रीस
मोटर ऑयल निकालने के साथ ही तेल से काफी फैट निकलता है. इसे ऑयल फैट या ग्रीस कहते हैं. लगातार घर्षण का सामना करने वाले पुर्जों को नमी से बचाने के लिए ग्रीस का इस्तेमाल होता है.
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पेट्रोलियम जेली
आम घरों में त्वचा के लिए इस्तेमाल होने वाला वैसलीन भी कच्चे तेल से ही निकलता है. ऑयल फैट को काफी परिष्कृत करने पर गंधहीन और स्वादहीन जेली मिलती है, जिसे कॉस्मेटिक्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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मोम
ऑयल रिफाइनरी में मोम का उत्पादन भी होता है. यह भी कच्चे तेल का बायप्रोडक्ट है. वैज्ञानिक भाषा में रिफाइनरी से निकले मोम को पेट्रोलियम वैक्स कहा जाता है. पहले मोम बनाने के लिए पशु या वनस्पति वसा का इस्तेमाल किया जाता था.
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चारकोल
असफाल्ट, चारकोल, कोलतार या डामर कहा जाने वाला यह प्रोडक्ट भी कच्चे तेल से मिलता है. हालांकि दुनिया में कुछ जगहों पर चारकोल प्राकृतिक रूप से भी मिलता है. इसका इस्तेमाल सड़कें बनाने या छत को ढकने वाली वॉटरप्रूफ पट्टियां बनाने में होता है.
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प्लास्टिक
कच्चे तेल का इस्तेमाल प्लास्टिक बनाने के लिए भी किया जाता है. दुनिया भर में मिलने वाला ज्यादातर प्लास्टिक कच्चे तेल से ही निकाला जाता है. वनस्पति तेल से भी प्लास्टिक बनाया जाता है लेकिन पेट्रोलियम की तुलना में महंगा पड़ता है.