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समलैंगिकों की शादी का सबसे बड़ा जलसा

२१ अगस्त २०११

ताइवान में 80 समलैंगिक जोड़ों ने एक साथ शादी रचाई है. इस सामूहिक विवाह के आयोजकों को उम्मीद है कि उनका देश समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने वाला एशिया का पहला देश बहुत जल्द बन जाएगा.

तस्वीर: dapd

सफेद पारंपरिक पोशाक और चेहरे पर पर झीना सा हिजाब भी. आस पास खुशी से झूमते इठलाते हजारों लोगों में बड़ी संख्या दोस्तों और रिश्तेदारों की. जलसे का माहौल और खुशियां बेशुमार. सब कुछ वैसा ही जैसा शादियों में होता है. फर्क सिर्फ इतना कि दूल्हा दुल्हन दोनों ही लड़कियां थीं और जोड़े एक दो नहीं पूरे 80. ताइवान की राजधानी में समलैंगिकों ने सामूहिक शादी की है. कार्यक्रम का नाम रखा गया बार्बी की बार्बी से शादी.

शादी के बाद न्यूयॉर्क में हनीमून के लिए जाने की योजना बना रहीं 32 साल की दुल्हन सेलिन शेन ने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि ताइवान जल्दी ही समलैंगिकों के बीच शादी को मान्यता दे देगा." ताइवान में समलैंगिक जोड़ों को मान्यता नहीं दी जाती लेकिन इस तरह के आयोजन आसानी से हो जाते हैं. न तो कोई विरोध होता है न ही पुलिस कोई दखल देती है. हां इतना जरूर है कि इस तरह से शादी की कोई कानूनी मान्यता भी नहीं है.

तस्वीर: dapd

आयोजकों की तरफ से अनाधिकारिक प्रमाण पत्र मिलने के बाद इन जोड़ों ने अपने साथी को किस किया, गले लगे और तस्वीरें खिंचाईं. इन प्रमाण पत्रों में लिखा है कि अब ये लोग पवित्र शादी के बंधन में बंध गए हैं. शादी के कार्यक्रम का समापन दूल्हा दुल्हन के एक दूसरे को अंगूठी पहनाने और उल्लास से झूमती भीड़ के बीच "आई डू" कहते हुआ.

खुशी में छुपा गम

खुशी के इस आलम में ही कुछ पलों के लिए कुछ चेहरे उदास भी हुए. कुछ जोड़ों ने माना कि उनकी शादी वास्तविक नहीं है. इन्हीं में से एक कोरल हुआंग कहती हैं, "शादी का जलसा मजेदार है लेकिन यह वास्तविक नहीं है." आठ साल से समलैंगिक जोड़े के साथ रह रहीं कोरल अपनी शादी को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए यूरोप में जा कर शादी करने की तैयारी कर रही हैं. कोरल कहती हैं, "शादी का असली प्रमाण पत्र हासिल करना हमारे लिए जरूरी है. इससे पता चलता है कि हमारे रिश्तों को स्वीकार किया गया है और इसे माना गया है."

ताइवान में बदलता नजरिया

समलैंगिकों की शादी को पूरे एशिया में कहीं भी मान्यता नहीं मिली है. नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूरी दे दी है लेकिन अभी तक वहां भी इसे अमल में लाने के लिए कोई कानून नहीं बनाया गया है. ताइवान समलैंगिक लोगों की बढ़ती आबादी के लिए अब अपने सोच के दरवाजे कुछ ज्यादा खोल रहा है. यहां समलैंगिकों के अधिकार के लिए काम करने वाले समूह ने पिछले साल देश और विदेश में समलैंगिकों की सबसे बड़ी रैलियां आयोजित करने का दावा किया. इन रैलियों में 30 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए.

तस्वीर: dapd

2008 में किए गए इंटरनेशनल सोशल सर्वे प्रोग्राम के एक सर्वे में ताइवान के 17.5 फीसदी लोगों ने कहा कि समलैंगिक व्यवहार "किसी भी तरह से गलत नही" है. हालांकि अमेरिका के 32.3 फीसदी लोगों के मुकाबले यह आंकड़ा थोड़ा छोटा लग सकता है. लेकिन जापान के 5.5 और फिलीपींस के 4.4 फीसदी के मुकाबले यह तादाद काफी ज्यादा है.

कानून बनाने की कोशिश

ताइवान की कैबिनेट ने 2003 में समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता देने और समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने के लिए एक कानून का प्रारूप तैयार किया था. पर राष्ट्रपति मा यिंग जियु ने कहा कि इस कानून को लागू करने के लिए आगे बढ़ने से पहले लोगों में आम सहमति जरूरी है. कुछ समलैंगिक जोड़ों को तो इस बात की बिल्कुल उम्मीद नहीं कि सरकार इसे आगे बढ़ाएगी. किंडर गार्टन यानी छोटे बच्चों की टीचर जेसिका बताती हैं, "यह बहुत मुश्किल है क्योंकि ताइवान की संस्कृति और यहां के रीति रिवाज बहुत रुढ़िवादी हैं."

समलैंगिकों के अधिकार के लिए काम करने वाले लोग कहते हैं कि आने वाले कुछ साल में समलैंगिक शादी को मान्यता दिलाना देश की राजनीति के एजेंडे में आएगा, इसकी संभावना बहुत कम दिखती है. सामूहिक समलैंगिक विवाह का आयोजन करने वाली पत्रिका के मुख्य कार्यकारी संपादक चेन पिन यिंग कहते हैं, "राजनेता कहते हैं कि वे समलैंगिकों के रिश्ते का सम्मान करते हैं और वह इसे मानवाधिकार के रूप में गंभीरता से लेते है. लेकिन हम उन्हें कोई कदम उठाते हुए नहीं देखते. यह एक राजनीतिक सच्चाई है क्योंकि समलैंगिक एक अल्पसंख्यक समूह है."

बहरहाल शादी की खुशी से इठलाते जोड़ों पर इस कानूनी समस्या का कोई बड़ा असर फिलहाल तो नहीं दिखा. यह मौका तो जश्न मनाने का है और वे बस यही याद रखना चाहते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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