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समलैंगिकों के लिए व्यवस्था बनाएगा जर्मनी

१ सितम्बर २०११

जर्मन सरकार ने समलैंगिकों के साथ भेदभाव को रोकने के लिए एक संघीय फाउंडेशन बनाया है जबकि जर्मन मानवाधिकार संस्थान ने विकासशील देशों में लेस्बियन, होमो, बाई और इंटर सेक्सुअल लोगों के समर्थन की मांग की है.

तस्वीर: Joel Le Deroff/ILGA

जर्मन सरकार ने कैबिनेट की बैठक में समलैंगिकों के साथ भेदभाव की समाप्ति के लिए माग्नुस हिर्षफेल्ड फाउंडेशन बनाने का फैसला लिया. कानून मंत्री सबीने लौएटहौएजर श्नारेनबर्गर ने कहा, "फाउंडेशन समलिंग जीवन पद्धति की मान्यता और उसके बारे में जानकारी उपल्बध कराने में योगदान देगा." उन्होंने कहा कि एक खुले समाज को बढ़ावा देने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है ताकि स्टीरियोटाइप सोच का अंत हो सके.

तस्वीर: AP

समलैंगिक जीवन ढर्रे पर शोध

फाउंडेशन बनाने का फैसला 2009 के संसदीय चुनावों के बाद गठबंधन समझौते में किया गया था. जर्मनी में इस बीच समलैंगिक विवाहों की भी मान्यता है और देश के कई प्रमुख राजनीतिज्ञ खुलेआम समलैंगिक होने की बात स्वीकार करते हैं. इनमें विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले और बर्लिन के मुख्यमंत्री क्लाउस वोवेराइट भी शामिल हैं. नया फाउंडेशन अपने पाठ्यक्रमों और शोधकार्य के साथ जर्मनी में समलिंगी जीवन का विश्लेषण करेगा और जनमत में वैकल्पिक जीवन ढर्रे की मान्यता और उसके लिए समझ दिखाने की वकालत करेगा.

फाउंडेशन के शोधकार्यों की एक प्राथमिकता नाजीकाल में समलैंगिकों के साथ हुआ अन्याय और उनका उत्पीड़न होगा. इसके अलावा फाउंडेशन को नाम देने वाले माग्नुस हिर्षफेल्ड (1868-1935) की सेक्सोलॉजी से संबंधित रचनाओं की देखभाल भी करेगा. बर्लिन के चिकित्सक और सेक्सोलॉजी विशेषज्ञ हिर्षफेल्ड समलिंगी आंदोलन के अगुआ थे. फाउंडेशन का मुख्यालय बर्लिन में होगा और उसे 1 करोड़ यूरो की न्यास राशि के साथ शुरू किया जा रहा है.

तस्वीर: picture alliance/dpa

विकासशील देशों में समर्थन

उधर जर्मन मानवाधिकार संस्थान ने विकासशील देशों और पूर्वी यूरोप के लोकतंत्र में परिवर्तित हो रहे देशों में लेस्बियनों और होमो, बाई तथा इंटर सेक्सुअल लोगों को उनका हक दिलाने के लिए व्यवस्थित रूप से काम करने की मांग की है. संस्थान ने कहा है कि अब तक इस बात के उदाहरण और रणनीतियां नहीं हैं कि किस तरह से भारी भेदभाव का शिकार इन गुटों के मानवाधिकारों को बढ़ावा दिया जा सकता है.

संस्थान की निदेशिका बेआटे रूडॉल्फ ने बर्लिन में विकासशील देशों में समलैंगिकों की स्थिति पर एक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि इन देशों में प्रभावित लोगों के मानवाधिकार के लिए लड़ने वाली संस्थाओं को अक्सर भूमिगत होकर काम करना पड़ता है और उन्हें कोई वित्तीय सहायता भी नहीं मिलती.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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