समलैंगिक विवाह के पक्ष में दलाई लामा
७ मार्च २०१४तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने अमेरिकी दौरे में दिए गए एक इंटरव्यू में कहा है कि समलैंगिक विवाह प्रत्येक सरकार पर निर्भर करता है और यह एक "व्यक्तिगत मामला" है. दलाई लामा ने जाने माने रेडियो और टीवी होस्ट लैरी किंग के ऑलाइन टॉक शो में कहा, "अगर दो लोग वास्तव में यह मानते है कि यह तरीका ज्यादा व्यावहारिक, अधिक संतुष्टि देने वाला है और दोनों पूरी तरह से सहमत हैं, तो फिर ठीक है."
उन्होंने सार्वजनिक नीति और व्यक्तिगत नैतिकता के बीच अंतर करते हुए कहा कि लोगों को फिर भी यौन संबंधों के मुद्दे पर अपने धार्मिक नियमों का पालन करना चाहिए. उन्होंने कहा, "लेकिन नास्तिकों के मामले में यह पूरी तरह से उन्हीं पर निर्भर करता है. यौन संबंध के अलग अलग स्वरूप हैं. जब तक यह सुरक्षित है, ठीक है और अगर दोनों पूरी तरह से सहमत हैं, तो ठीक है." दलाई लामा का कहना है कि इस मुद्दे पर धौंस दिखाना और उत्पीड़न करना पूरी तरह से गलत है. उन्होंने इस तरह के बर्ताव को मानव अधिकारों का उल्लंघन करार दिया. धीरे धीरे पश्चिमी देशों में समलैंगिक विवाह स्वीकार किए जाने लगे हैं. बौद्ध देशों में समलैंगिक विवाह की इजाजत नहीं है हालांकि बौद्ध धर्म के प्रभाव वाले देश जैसे नेपाल, ताइवान और विएतनाम में इस मुद्दे पर बहस होने लगी है.
चीन ने 1959 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा पर कब्जा कर लिया था. उसके बाद दलाई लामा अपने समर्थकों के साथ वहां से भाग गए थे और भारत में शरण ली. दलाई लामा शांति के लिए नोबेल पुरस्कार भी पा चुके हैं और अपने प्रगतिशील नेता होने पर गर्व करते हैं लेकिन उनके समलैंगिक अधिकारों पर दिए पुराने बयानों ने पश्चिमी श्रोताओं को चिंता में डाला है. उन्होंने अपनी एक किताब में समलैंगिकता की वैसे तो खुलकर आलोचना नहीं की, लेकिन कहा कि यौन क्रीड़ा करते हुए केवल "उन अंगों का इस्तेमाल होना चाहिए जो यौन क्रीड़ा के लिए बने हैं."
दलाई लामा को अमेरिका में व्यापक समर्थन प्राप्त है. उन्होंने 21 फरवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से व्हाइट हाउस में मुलाकात की थी लेकिन चीन ने मुलाकात की आलोचना की. चीन दलाई लामा की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का विरोध करता आया है.
एए/एमजे (एफपी, रॉयटर्स)