'समलैंगिक विवाह विवाह नहीं'
२ दिसम्बर २०१३क्रोएशिया में कैथोलिक चर्च के विरोधी मानते हैं कि चर्च इसके जरिए समलैंगिकों का शोषण कर रहा है लेकिन जनमत संग्रह से यह बात साफ हो गई कि देश में 66 प्रतिशत लोग विवाह की पारंपरिक परिभाषा पर विश्वास करते हैं और समलैंगिकता अब भी शादी के दायरे में नहीं आती. विवाह की नई परिभाषा पर जनमत संग्रह का विचार क्रोएशिया के रोमन कैथोलिक संगठन "इन द नेम ऑफ द फैमिली" का था. संगठन ने करीब 7,40,000 लोगों के हस्ताक्षर जमा किए जिनका मानना था कि समाज में समलैंगिकता के चलन को देखते हुए शादी की परिभाषा पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए.
वैसे तो क्रोएशिया की सोशल डेमोक्रैट सरकार इस मुद्दे पर जनमत संग्रह के खिलाफ थी, लेकिन संगठन के हस्ताक्षर अभियान को देखते हुए संसद ने फिर जनमत संग्रह का एलान किया. विशेषज्ञों का मानना है कि क्रोएशिया एक रूढ़िवादी कैथोलिक देश है और ऐसे में अगर 44 लाख की जनसंख्या में से 90 प्रतिशत कहें कि वह शादी को केवल पुरुष और महिला के मिलन के रूप में देखते हैं, तो यह हैरानी वाली बात नहीं. जनमत संग्रह का उद्देश्य यह था कि शादी को क्रोएशिया के संविधान के आधार पर परिभाषित किया जाए ताकि संसद में बिना दो तिहाई बहुमत के इस परिभाषा को बदलना मुमकिन नहीं हो.
इन द नेम ऑफ द फैमिली संगठन की प्रमुख सेलका मारकिच इस फैसले से खुश हैं क्योंकि भविष्य में भी किसी भी सरकार को समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने में दिक्कत होगी. ज्यादातर जनता मानती है कि उन्हें समलैंगिकों से परेशानी नहीं है लेकिन बच्चों को एक ऐसे परिवार में पलना बढ़ना चाहिए जहां उनके पिता और उनकी मां हो. मानवाधिकार गुट इस नतीजे से निराश हैं लेकिन प्रधानमंत्री जोरन मिलानोविच ने कहा है कि आने वाले दिनों में उनकी सरकार समलैंगिकों के लिए और अधिकार देने करने की कोशिश करेगी. क्रोएशिया में समलैंगिक दंपति एक दूसरे की संपत्ति के उत्तराधिकारी नहीं बन सकते. वे बच्चे गोद नहीं ले सकते.
भारत में समलैंगिकता को अब अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है लेकिन अब भी समलैंगिक विवाह को कानूनी और सामाजिक अनुमति नहीं मिली है.
एमजी/एनआर(एएफपी, रॉयटर्स)