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समुद्र की असीम गहराई तक पहुंचा चीन

२२ जुलाई २०११

चीन ने समुद्र की गहराइयों में बड़ी सफलता हासिल की. चीन की पनडुब्बी पहली बार समुद्र के भीतर 4,027 मीटर की गहराई तक पहुंची. सफल परीक्षण से उत्साहित चीन को उम्मीद है कि समुद्र से उसे संपदा मिलेगी.

तस्वीर: AP

चीन की पारंपरिक कहानियों में 'जिआओलोंग' एक समुद्री ड्रैगन का नाम है. इसी नाम वाली चीनी पनडुब्बी ने गुरुवार को समुद्र की छाती टटोलने में सफलता पाई. पूर्वोत्तर प्रशांत महासागर में चालक दल के सदस्यों द्वारा संचालित जिआओलोंग पनडुब्बी 4,027 मीटर (13,211) फुट की गहराई तक चली गई. चीन के समुद्री प्रशासन विभाग ने कहा, "इस अभियान की सफलता से 5,000 मीटर की गहराई तक जाने के अभियान की ठोस नींव पड़ी है."

जिआओलोंग के निर्माण से चीन के सामने दुनिया भर के समुद्रों की असीम गहराई में जाने का रास्ता खुल गया है. चीन दुनिया का ऐसा पांचवा देश बन गया है कि जो समुद्र में 3,500 मीटर की गहराई के नीचे जा सकता है. वहां की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ से समुद्री प्रशासन विभाग के निदेशक ली सीगुई ने कहा, यह पनडुब्बी चीनी इंजीनियरिंग का "विलक्षण" नमूना है.

इंजीनियरों के मुताबिक जिआओलोंग 7,000 मीटर की गहराई तक जा सकती है. शुक्रवार को पनडुब्बी को एक बार फिर समुद्र में उतारा जाएगा. कोशिश होगी कि पनडुब्बी पांच किलोमीटर की गहराई तक जाए. ली सीगुई के मुताबिक अगले तीन दिन तक कई तरह के परीक्षण किए जाएंगे.

दुनिया के सबसे गहरे समुद्र में जाने का रिकॉर्ड फिलहाल अमेरिका के नाम है. 1960 में अमेरिकी नौसेना की मानव चालित पनडुब्बी मरिआना ट्रेंच 11,000 मीटर की गहराई पर पहुंची. मरिआना ट्रेंच दुनिया की सबसे गहरी जगह है.

समुद्र में होड़ क्यों

समुद्र की गहराइयों में बड़ी मात्रा में तेल और गैस दबी हुई है. अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को बरकरार रखने के लिए चीन समुद्र के भीतर दबे ईंधन के भंडार को खोजना और इस्तेमाल करना चाहता है. जिआओलोंग इस दिशा में चीन का पहला बड़ा कदम है. पनडुब्बी वैज्ञानिक और शांतिपूर्ण कामों के लिए बनाई गई है. दक्षिणी चीन सागर की तलहटी में बेशकीमती धातुओं के होने का अनुमान भी है.

सामरिक हितों के लिए भी समुद्र को अहम माना जाता रहा है. दक्षिणी चीन सागर में संसाधनों के बंटवारे को लेकर चीन, ताइवान, फिलीपींस, मलेशिया और ब्रुनेई के बीच विवाद है. प्रशांत महासागर को लेकर भी चीन और जापान के बीच तीखा विवाद होता रहा है. अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों के मुताबिक सैन्य रूप से ताकतवर होता चीन अब जिद्दी रूख के साथ आगे बढ़ रहा है.

हर क्षेत्र में ताकतवर होता चीन

तकनीक के क्षेत्र में चीन ने बीते एक दशक में विद्युतीय रफ्तार से तरक्की की है. 2003 में चीन ने मानव अंतरिक्ष अभियान शुरू किया. रूस और अमेरिका के बाद चीन ऐसा तीसरा देश है जो मानव अंतरिक्ष अभियान कर चुका है. नए संसाधन जुटाने के मामले में भी चीन दुनिया भर के सभी देशों पर भारी पड़ रहा है. हाईवे और हाई स्पीड ट्रेन नेटवर्क के जरिए चीन उद्योगों के लिए भी अनुकूल माहौल बनाने के करीब है. तिब्बत की राजधानी ल्हासा तक रेल पहुंचा कर और दुर्गम इलाकों तक अच्छी सड़कें बना कर चीन ने सामरिक लिहाज से भी अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है.

चीन में हर किस्म की ऐतिहासिक और प्राकृतिक खूबसूरती वाली चीजों को संजोया जा रहा है. पर्यटन के क्षेत्र में चीन दुनिया पर एकाधिकार जमाने की लालसा रखता दिखाई पड़ता है. आम तौर पर अक्सर चीन की तुलना भारत के साथ की जाती है, लेकिन दोनों देशों को बारीकी से देखने वालों की नजर में भारत चीन के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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