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"समुद्र-मंथन जैसा है मंथन"

१४ सितम्बर २०१२

दूरदर्शन पर प्रसारित हमारी श्रंखला मंथन का आपने स्वागत किया है. आशा है आपको हमारे आने वाले अंक भी पसंद आयेगे. हमें बताए कि आपको किस तरह के विषय पसंद हैं ताकि हम उन्हें भी इस मैगजीन में शामिल कर सके...

In einem Labor des Instituts für Allgemeine Botanik der Friedrich-Schiller-Universität Jena arbeitet der Biochemiker Thomas Schulze am Donnerstag (16.10.2008) mit verschiedenen Kulturen von Grünalgen. Dabei interessiert ihn besonders ein spezielles lichtempfindliches Protein, das in ähnlicher Form auch beim Menschen vorkommt. Dieses Protein könnte beim Tag-Nacht-Rhythmus die "inneren Uhr" der Grünalgen steuern. Die Forschungen des 25-Jährigen könnten möglicherweise auch dabei helfen, Mechanismen besser zu verstehen, die beim Wechsel zwischen Licht und Dunkelheit Depressionen beim Menschen auslösen können. Thomas Schulze gehört zu einer internationalen Gruppe junger Nachwuchswissenschaftler der Exzellenz-Graduiertenschule "Jena School for Microbial Communication (JSMC)", die in derzeit 25 verschiedenen interdisziplinären Projekten Wechselwirkungen zwischen Mikroorganismen und ihrer Umwelt untersuchen. Foto:Jan-Peter Kasper +++(c) dpa - Report+++
तस्वीर: picture-alliance/dpa

कामकाजी महिलाओं पर रात का खौफ - भारत में महिलाएं बेहद असुरक्षित हैं, आए दिन छेद-छाड़ की घटनाएं, चैन स्नैचिंग, दहेज़ के कारण उत्पीडन, सब बहुत बढ़ रहा है. कल हमारे छोटे से गांव में ही एक विफल प्रेमी ने पहले प्रेमिका को और फिर खुद को गोली मार कर खत्म कर दिया. मैं आजकल के धारावाहिकों को भी इस अपसंस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार मानता हूं, विद्यालयों में राजनीति के प्रवेश ने उन्हें नैतिक रूप से दिवालिया और हिंसक बना दिया है. कारण और भी हैं, आम आदमी बस देख ही रहा है वह कुछ करने में अपने आप को असहाय महसूस कर रहा है. लोकतंत्र का एक विकृत रूप हमारे सामने है, जहां नेता को बड़े से बड़ा अपराध करने पर कोई सजा नहीं मिल रही तो थोड़ी सी कुत्सित मनोवृत्ति वाले लोगों की बन आई है.

प्रमोद महेश्वरी, फतेहपुर-शेखावाटी, राजस्थान

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डॉयचे वेले की दूरदर्शन पर प्रसारित श्रृंखला "मंथन" समुद्र-मंथन जैसी है,जिसे देख कर विष और अमृत की समझ दर्शकों में अपने आप पैदा हो सकती है.भारत-जर्मन कूटनीतिक सम्बन्धों के छह दशक पूरे होने के अवसर पर इससे शानदार तोहफा भला और क्या हो सकता है.हार्दिक बधाई स्वीकार करें. हां, इसका प्रसारण समय अधिकांश दर्शकों लिए सुविधाजनक प्रतीत नहीं होता,इसलिए गुजारिश है कि इसे शाम के समय या फिर रविवार छुट्टी के दिन पेश करें.

सुरेश अग्रवाल,केसिंगा,ओड़िशा

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मैं हमेशा डॉयचे वेले की वेबसाइट से जानकारी प्राप्त करता हूं. डीडब्ल्यू के सामायिक समाचार बहुत ही उत्तम क्वालिटी के होते हैं. उनसे रोचक ज्ञान मिलता है. प्रत्येक प्रकार का श्रेष्ट समाचार ज्ञात होता है. आप हाल ही में ज्ञान विज्ञान से जुड़े कार्यक्रम प्रस्तुत करने जा रहे है जो मेरे लिये उत्तम कोटी का कार्यक्रम है.

हेमलाल प्रजापति,सोनपुरी,जिला बिलासपुर,छत्तीसगढ़

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सब से पहले आप सभी को बधाई एवं शुक्रिया पेश करता हूं कि आप लोगो ने भारत के लोगों के लिए इतना ज्ञान वाला कार्यक्रम दूरदर्शन के माध्यम से पूरे भारत भर में प्रसारित कर ज्ञान का पिटारा खोला. कल हमने भी दूरदर्शन पर मंथन को देखा. वास्तव में बेहद अच्छा और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था जो हमने कभी नही देखा था. यह सच है कि जीवन की दौड़ में मानव प्रकृति को नुकसान तो बहुत पहुंचा रहा है, पर यह सच है कि उसके संतुलन के लिए काम कम ही किये जा रहे हैं.मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आज भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता की बहुत कमी है.आज हम सभी को पर्यावरण के प्रति अधिक कार्य करना चाहिए. मैं डीडब्ल्यू की पूरी टीम को सलाम करता हूं कि दूरदर्शन के माध्यम से इतना ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आरम्भ किया.

अमीर अहमद आज़मी,अवाम एक्सप्रेस सेंट्रल डी एक्स क्लब, दिल्ली

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बदनाम बगराम मिला अफगानिस्तान को - आखिरकार अमेरिका अपनी जिम्मेदारी कम करने लगा है. अबू गरेब और ग्वांतानामो की तरह यहां का भी रिकार्ड बाहर आने को आतुर है. दुनिया भर में मानवाधिकार की गुहार लगाने वाला अमेरिका खुद इतने आमानवीय व्यवहार कैदियों के साथ करता है और दुनिया या संयुक्त राष्ट्र भी कुछ नही कहता. इसे कहते हैं "जिसकी लाठी उसकी भैंस".

लीबिया में अमेरिकी कंसुलेट पर हमला – अमेरिका के प्रति विश्व में लोगों का गुस्सा बढ रहा है. एक बहुत बड़ा मुस्लिम वर्ग अमेरिका को इस्लाम का दुश्मन समझता है. लीबिया में हुए घटनाक्रम को समझा जा सकता है परंतु काहिरा में हुए विरोध का कारण जो बताया गया है वह तो केवल बहाना है. लोगों ने फिल्म का बहाना लेकर अमेरिका पर गुस्सा निकाला है.

अनिल कुमार द्विवेदी, सैदापुर अमेठी, उत्तर प्रदेश

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संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे

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