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समाज

सरकारी दावों के बावजूद दिल्ली में लाखों गरीब अनाज से वंचित

हृदयेश जोशी
७ मई २०२०

राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान परेशान गरीबों को मुफ्त राशन देने की योजना मुश्किलों का सामना कर रही है. दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान के अनुसार कहीं राशन का बंटवारा करने वाले सेंटर बंद हैं तो कहीं अनाज ही नहीं है.

Indien | Corona Händehygiene in Slums
तस्वीर: Deepalaya

कोरोना संकट के दौरान दिल्ली हाइकोर्ट ने बुधवार को 10 दिन के भीतर दूसरी बार दिल्ली सरकार से कहा कि वह राजधानी में हर भूखे को अनाज उपलब्ध कराए और इसके लिए किसी तरह की कोई लालफीताशाही आड़े नहीं आनी चाहिए. इसके बावजूद दिल्ली में आज भी लाखों लोगों को सरकारी घोषणा के मुताबिक मुफ्त राशन नहीं मिल रहा. हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनकी सरकार राजधानी में सभी गरीबों को अनाज दे रही है चाहे उनके पास राशन कार्ड ना भी हों लेकिन डीडब्ल्यू ने अपनी पड़ताल में पाया कि सरकारी दावों में कई छेद हैं.

आवेदन के बाद अनाज का इंतजार

उत्तर-पश्चिम दिल्ली के बादली गांव में रहने वाली 32 साल की रिंकू देवी लोगों के घरों में काम करके गुजर-बसर करती थीं लेकिन लॉकडाउन के बाद उनका काम छिन गया. रिंकू कहती हैं कि उनके पास राशन कार्ड नहीं है और केजरीवाल सरकार की ई-कूपन योजना के लिए आवेदन किए उन्हें 3 हफ्ते हो चुके हैं लेकिन अब तक अनाज नहीं मिला है. "मेरे पति अपाहिज हैं. तालाबंदी के बाद लोगों ने अपने घर में झाड़ू-पोछे के लिए बुलाना बंद कर दिया. अब हम क्या करें? हमने कूपन योजना के लिए अर्जी लगाई है लेकिन अब तक हमें सरकारी अनाज नहीं मिला है." रिंकू देवी कहती हैं.

गरीबों के अनाज उपलब्ध कराने के लिए कई अभियान सामने आ रहे हैंतस्वीर: Equivi

ई-कूपन योजना उन गरीबों के लिए है जिनके पास अभी राशन कार्ड नहीं है. इसके तहत प्रति व्यक्ति 5 किलो राशन के अलावा हर ई-कूपन पर एक कुकिंग-किट भी मुफ्त दी जानी है जिसमें एक लीटर रिफाइंड तेल, एक किलो चना, एक किलो नमक और मसाले के साथ 2 साबुन की टिकिया शामिल है. लॉकडाउन के दौर में गरीबों के लिए ई-कूपन मुफ्त राशन पाने का एक रास्ता है जिसमें आधार नंबर के जरिये दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर आवेदन करना होता है. आवेदन के बाद एक मैसेज के जरिये प्रार्थी को बताया जाता है कि उसे राशन कहां से मिलेगा. इसके लिए प्रार्थी के पास कम्प्यूटर या स्मार्ट फोन होना चाहिए और इंटरनेट का कनेक्शन भी चाहिए. हर गरीब के पास यह संसाधन होना मुमकिन नहीं है.

"गरीबों के पास न तो कम्प्यूटर है और न ही हर किसी के पास स्मार्ट फोन होता है लेकिन फिर भी लोग अड़ोसी-पड़ोसी या किसी सामाजिक कार्यकर्ता की मदद से आवेदन कर ही रहे हैं. असली दिक्कत है कि वेबसाइट पर आवेदन के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ रही.” दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा खुशबू ने हमें बताया जो गरीबों को इंटरनेट पर ई-कूपन आवेदन करने में मदद कर रही हैं.

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के भलस्वा गांव में लोगों का कहना है कि ई-कूपन आवेदन के लिए साइबर कैफे वालों को 50 से 100 रूपये तक फीस दी है. इन सभी लोगों का कहना था कि आवेदन के बावजूद अब तक किसी को अनाज नहीं मिल पाया है. इसी गांव रेशमा ने 60 रुपये देकर आवेदन किया. 15 अप्रैल को उसे कूपन जारी किया गया लेकिन 3 दिन बाद वह एक तय राशन वितरण केंद्र के बाहर इंतजार करती पायी गई. "अगर सरकार हमें राशन नहीं देना चाहती तो घर से यहां तक क्यों दौड़ाया?” रेशमा रिंकू देवी की तरह उन लोगों में है जिनका रोजगार लॉकडाउन की वजह से चला गया.

रिंकू देवी के पति अपाहिज हैं और ई-कूपन के लिए आवेदन के बाद भी उन्हें अनाज नहीं मिल पाया है. तस्वीर: DW/H. Joshi

सरकारी दावों की हकीकत

दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में रहने वाले 55 साल के विपिन दीक्षित हलवाई का काम करते हैं. उन्होंने 8 अप्रैल को ई-कूपन के लिए आवेदन किया. वह कहते हैं कि उन्हें ललिता पार्क स्थित सरकारी स्कूल में बने अनाज वितरण केंद्र से 22 अप्रैल को 20 किलो अनाज मिला. "मैंने वितरण केंद्र से 16 किलो गेहूं और 4 किलो चावल लिया. जिस दिन मैं सेंटर पर अनाज लेने गया वहां 60-70 दूसरे लोग भी ई-कूपन से अनाज लेने आए थे.” विपिन ने डीडब्ल्यू को बताया. विपिन की तरह ही पूर्वी दिल्ली के शकरपुर में रहने वाली शांति ने भी कहा कि ई-कूपन मिलने के बाद उन्होंने 15 किलो अनाज लिया है. लेकिन दिल्ली में गरीब बस्तियों में घूमने से पता चलता है कि हर कोई विपिन की तरह खुशकिस्मत नहीं है. लक्ष्मी नगर के ही लेखराज कहते हैं कि उन्हें आवेदन किए महीना भर हो चुका है लेकिन अब तक कोई राशन नहीं मिला.

उधर दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में रहने वाली श्वेता झा ने ई-कूपन के लिए 4 अप्रैल को दिल्ली सरकार की वेबसाइट पर आवेदन किया. 16 अप्रैल को उन्हें अनाज लेने के लिए मैसेज आया और उसी दिन दोपहर 2 बजे तक आदर्श नगर सेंटर से राशन लेने को कहा गया. जब तक वह संदेश देख पाती देर हो चुकी थी. "यह कैसे मुमकिन है कि लॉकडाउन में जब इतनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो जिस दिन मैसेज आए उसी दिन हम अनाज ले लें.” श्वेता के पति विकास कहते हैं. विकास ने हमें आवेदन की तारीख से लेकर अब तक के तमाम स्क्रीन शॉट दिखाए जिससे पता चलता है कि ई-कूपन की प्रक्रिया सुचारु नहीं है. वेबसाइट न खुलने से लेकर आवेदन को लगातार प्रोसेसिंग में दिखाया जाना आम शिकायत है. श्वेता के पति विकास झा का कहना है कि ई-कूपन के प्रार्थियों की जानकारी वेबसाइट पर न होना और शिकायत निवारण (ग्रीवांस रीड्रेसल) की व्यवस्था न होना बड़े सवाल हैं.

दिल्ली के बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा दावा करते हैं कि राजधानी में कोई भूखा नहीं रह रहा लेकिन वह यह मानते हैं कि ई-कूपन को लेकर "कुछ इश्यू” जरूर है. "इश्यू ये है कि जिन लोगों ने आवेदन किया और हमने (सरकार ने) कूपन जारी कर दिया. अलग अलग स्कूलों में राशन मिलता है. अब अगर किसी स्कूल में राशन खत्म हो गया और फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से राशन मिलने में समस्या आ रही है. अब राशन चूंकि नहीं पहुंचा है तो कूपन उनका पेंडिंग है.” संजीव झा कहते हैं कि यह देरी हर जगह हो रही है और उनके विधानसभा क्षेत्र में भी यह समस्या है.

लाखों गरीब अब भी अनाज से वंचित हैं और इन्हें समाजसेवियों की मदद पर निर्भर रहना पड़ रहा हैतस्वीर: DW/H. Joshi

हर जगह नहीं खुल रहे राशन वितरण केंद्र

ई-कूपन के जरिये राशन बांटने के लिए दिल्ली सरकार ने 473 स्कूलों में सेंटर बनाए हैं. भोजन के अधिकारके लिए काम कर रहे दिल्ली रोजी रोटी अधिकार अभियान के कार्यकर्ताओं ने 29 अप्रैल से 4 मई के बीच इन 20 स्कूलों का मुआयना किया. अभियान की रिपोर्ट कहती है कि 20 में से 5 स्कूल बंद पाए गए. एक स्कूल में तय मात्रा से कम अनाज दिया जा रहा था और किसी भी स्कूल में अनाज के साथ कुकिंग किट नहीं दी जा रही थी. अभियान की रिपोर्ट के मुताबिक किसी स्कूल में ई-कूपन पर मिलने वाले अनाज को लेकर कोई नोटिस नहीं लगा और न ही इस बात की जानकारी है कि ई-कूपन के लिए कैसे आवेदन किया जाए. इसके अलावा शिकायत निवारण के लिए भी लोगों को कोई जानकारी इन स्कूलों में नहीं लगाई गई है.

इस अभियान से जुड़ी आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज कहती हैं कि दिल्ली हाइकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि किसी भी भूखे व्यक्ति को अनाज से वंचित न रखा जाए. इसलिए जरूरी है कि ई-कूपन इस तरह से दिए जाएं कि कोई भी जरूरतमंद इस सिस्टम के बाहर न छूट जाए. भारद्वाज कहती है कि स्मार्ट फोन, इंटरनेट और ओटीपी आदि पर टिका सिस्टम हाशिये पर खड़े आदमी के लिए इस कठिन समय पर एक बड़ी बाधा है. "ई-कूपन किसको दिए गए हैं यह लिस्ट कहीं पब्लिक डोमेन में जारी नहीं की गई है. इसमें किसका नाम आया है या नहीं आया है इसे लेकर कोई पारदर्शिता नहीं है.” भारद्वाज ने डीडब्ल्यू से कहा.

उधर दिल्ली सरकार का कहना है कि वह हर व्यक्ति तक पहुंच रही है. मुख्यमंत्री केजरीवाल का कहना है कि अनाज के जरूरी चीजों का वितरण भी शुरू हो गया है. "हमने अनिवार्य चीजों की किट, जिसमें नमक, मसाले, तेल, चीनी, साबुन आदि है, हर महीने दिए जा रहे राशन के साथ बांटनी शुरू कर दी है. हम इस कठिन समय में गरीब को कष्ट में नहीं छोड़ सकते.” राशन वितरण की प्रक्रिया से जुड़े दिल्ली सरकार के अधिकारी ने डीडब्ल्यू से कहा, "ऐसा नहीं है कि (ई-कूपन के जरिये) लोगों को राशन नहीं मिल रहा लेकिन यह जरूर है कि देरी हो रही है. लोगों ने बड़ी संख्या में आवेदन किए हैं जैसे जैसे अनाज उपलब्ध होता है ई-कूपन आवेदकों को वह दिया जा रहा है. वेटिंग के बारे में तो वेबसाइट में भी संदेश लिखा ही जाता है इसमें कोई अपारदर्शिता नहीं है.”

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