अस्पतालों में बिस्तरों, दवाओं और ऑक्सीजन के संकट ने केंद्र और राज्य सरकारों की तैयारी की कमी की पोल खोल दी है. साफ नजर आ रहा है कि अक्टूबर से फरवरी तक जब महामारी का असर कम था, उस दौरान आगे के लिए कोई तैयारी नहीं की गई.
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भारत में सितंबर 2020 में लगातार 90,000 से ऊपर संक्रमण के नए मामलों के आने के बाद स्थिति कुछ सुधरने लगी थी. सितंबर के मध्य से फरवरी 2021 के मध्य तक यही आंकड़े रोजाना 90,000 मामलों से गिर कर रोजाना 9,000 मामलों से कम पर आ गए थे और पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को थोड़ी राहत मिली थी.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस राहत का इस्तेमाल आंकड़ों को देखकर आगे की स्थिति के बारे में अनुमान लगाने और स्वास्थ्य व्यवस्था को और मजबूत करने में किया जा सकता था. लेकिन इस समय देश में जो हालात हैं उन्हें देख कर लगता है कि आम लोग ही नहीं बल्कि सरकारों के लिए भी संक्रमण की यह ताजा लहर चौंकाने वाली साबित हुई है.
यही कारण है कि संक्रमण के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि के बीच हर राज्य से अस्पतालों में बिस्तरों की, ऑक्सीजन की और आवश्यक दवाओं की कमी की खबरें आ रही हैं. ऑक्सीजन के भारी संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने 22 अप्रैल से ऑक्सीजन के औद्योगिक उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है. ऑक्सीजन बनाने वालों और सप्लाई करने वालों को सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सप्लाई करने के निर्देश दिए गए हैं.
कोलकाता में एक कोविड संक्रमित महिला एम्बुलेंस में बैठ अस्पताल में भर्ती होने का इंतजार कर रही है.तस्वीर: Debarchan Chatterjee/NurPhoto/picture alliance
स्टील संयंत्र, दवा उद्योग, पेट्रोलियम रिफाइनरी जैसे नौ उद्योगों को इस आदेश से बाहर रखा गया है. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अगर संक्रमण के फैलने की रफ्तार कम नहीं हुई तो इस तरह के कदम भी बेकार हो जाएंगे. पिछले 24 घंटों में देश में 2,73,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए हैं.
संक्रमण पर काबू पाने के लिए कई राज्य पिछले कुछ हफ्तों से रात के और सप्ताहांत के कर्फ्यू का सहारा ले रहे हैं, लेकिन अब कुछ राज्यों ने तालाबंदी की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया है. दिल्ली में 19 अप्रैल की रात से 26 अप्रैल सुबह तक तालाबंदी लगा दी गई है. इस दौरान सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े संस्थान खुले रहेंगे और उनसे जुड़े लोगों को आवाजाही की अनुमति मिलेगी. सभी निजी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सुविधा देने के लिए कहा गया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने प्रवासी श्रमिकों से अपील की है कि इस बार तालाबंदी की अवधि छोटी है, इसलिए वो शहर छोड़ के ना जाएं, लेकिन उनके लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं इस बार में विस्तार से घोषणा अभी नहीं हुई है. इस बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा को लेकर चर्चा हो रही है.
दिल्ली में एक श्मशान घाट पर एक साथ जलतीं कई चिताएं.तस्वीर: Vijay Pandey/ZUMAPRESS.com/picture alliance
जॉनसन का 25 अप्रैल को दिल्ली आना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना तय है, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन हालत में एक राजकीय दौरा आयोजित करना सही रहेगा. ब्रिटेन में भी विपक्षी पार्टियां यही सवाल उठा रही हैं और जॉनसन से यात्रा रद्द कर देने की अपील कर रही हैं. जॉनसन से अभी तक इस पर कुछ नहीं कहा है.
कोरोना लहर के बीच कुंभ में शाही स्नान
देश में कोरोना वायरस की खतरनाक लहर के बीच हरिद्वार में लगे कुंभ में लाखों लोग दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इन तस्वीरों को देख कर आपको विश्वास नहीं होगा कि देश में महामारी ने फिर से पांव पसार लिए हैं.
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ना मास्क, ना सामाजिक दूरी
हरिद्वार में महाकुंभ एक अप्रैल से चल रहा है और इसमें शामिल होने के लिए पूरे देश से लाखों लोग लगातार जा रहे हैं. 12 अप्रैल को एक शाही स्नान की तिथि थी और इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए मेले में लाखों लोगों की भीड़ देखी गई.
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कर्फ्यू भी, कुंभ भी
यह जमावड़ा ऐसे समय पर हो रहा है जब देश में एक दिन में संक्रमण के इतने नए मामले सामने आ रहे हैं, जितने महामारी की शुरुआत से आज तक नहीं आए. कई राज्यों में रात का कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी लागू है और कई राज्य एक बार फिर पूरी तालाबंदी लगाने का विचार कर रहे हैं. हरिद्वार और उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में भी पहले से कहीं ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं.
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प्रशासन लाचार
देश के दूसरे इलाकों में पुलिस कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों का चालान कर रही है और कई तरह के जुर्माने लगा रही है. लेकिन हरिद्वार में कुंभ के लिए उमड़ी भीड़ को प्रशासन बस लाचार हो कर देख रहा है. मेले में आए कुछ संतों समेत कई लोगों को संक्रमण हो चुका है, लेकिन आयोजन जस का तस चल रहा है.
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नियम बेकार
कुंभ शुरू होने से पहले प्रशासन ने कहा था कि मेले में शामिल होने के लिए ई-पास उन्हीं को मिलेंगे जो आरटी-पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने का सर्टिफिकेट दिखाएंगे. लेकिन मेले में ही लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद यह इंतजाम बेकार साबित हो गए हैं.
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दी गई थी चेतावनी
मेला शुरू होने से पहले कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रशासन से इस तरह के जमावड़ों की अनुमति ना देने की अपील की थी. उनका कहना था कि इससे महामारी तेजी से फैलेगी, लेकिन आयोजन के समर्थकों ने इन चिंताओं को नकार दिया था.
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चिंताजनक स्थिति
दूसरे शहरों में लगे रात के कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी की तस्वीरों को कुंभ की तस्वीरों से मिला कर देखें तो यह कहा मुश्किल हो जाएगा कि यह सब एक साथ एक ही देश के अंदर चल रहा है. वो भी ऐसा देश जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में दूसरे पायदान पर खड़ा है. इस समय पूरी दुनिया में संक्रमण के हर छह मामलों पर एक मामला भारत में है.
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अभी बढ़ेगा संकट
कुंभ मेला अभी 18 दिन और चलेगा. 12 अप्रैल जैसे दो और शाही स्नान अभी आने बाकी हैं, जिनमें से एक 14 अप्रैल को होना है और दूसरा 27 अप्रैल को. दूसरे तरफ हरिद्वार के साथ साथ पूरे देश में संक्रमण पहले से भी तेज गति से फैल रहा है.
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क्या लग पाएगा अंकुश?
कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आस्था के नाम पर लोगों की जान के साथ ऐसी लापरवाही ठीक है?