1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सर्वकालिक महान रॉजर फ़ेडरर

अनवर जे अशरफ़/ए कुमार६ जुलाई २००९

अब यह बहस ठंडी पड़ती जा रही है कि रॉजर फ़ेडरर टेनिस के सर्वकालिक महान खिलाड़ी हैं या नहीं. दुनिया इस बात को लगभग मान चुकी है. क़दम दर क़दम परचम फहराने वाले फ़ेडरर के पास शायद साबित करने के लिए कुछ ख़ास बचा नहीं.

विम्बलडन से पहले फेडरर ने हाल ही में पहली बार फ़्रेंच ओपन जीतातस्वीर: dpa

चारों ग्रैंड स्लैम सहित 15 ग्रैंड स्लैम झोली में. छह विम्बलडन. पांच लगातार अमेरिकी ओपन, तीन लगातार ऑस्ट्रेलियाई ओपन और फ़्रेंच ओपन का एक ख़िताब. लगातार 21 ग्रैंड स्लैम के सेमीफ़ाइनल में और इनमें से 17 के फ़ाइनल में. ग्रास कोर्ट हो या हार्ड कोर्ट या फिर रोलां गैरो की लाल मिट्टी. हर जगह फ़ेडरर का झंडा लहरा रहा है.

आख़िरी दो ग्रैंड स्लैम के फ़ाइनल में उनके सामने इस दौर के एक और बड़े खिलाड़ी रफ़ाएल नडाल नहीं थे. नडाल फ़िट नहीं हैं और कई जगह यह बात भी उठती है कि उनकी ग़ैरमौजूदगी में फ़ेडरर ने रिकॉर्ड बनाए. पर इसके साथ यह बात भी सामने आनी चाहिए कि क्या बड़े खिलाड़ी को फ़िटनेस का ख़्याल नहीं रखना चाहिए. क्या एक दो असंभव शॉट्स खेलने के चक्कर में शरीर को मुश्किल में डालना चाहिए.

पिछले छह साल में टेनिस में रोमांच खोजने वालों को थोड़ी निराशा हाथ लगी होगी लेकिन शायह वे लकी हैं कि उन्हें फ़ेडरर को खेलते हुए देखने का मौक़ा मिला. ऐसा खिलाड़ी, जो अपनी टेनिस ख़ुद तय करता है और सामने वाले के खेल की लहरों में बहता नहीं. टेनिस की स्पीड ख़ुद तय करता है और सामने वाले को अपनी शर्तों पर खेलने के लिए मजबूर करता है.

फ़ेडरर में यूं तो बीसियों महानता गिनाई जा सकती है. लेकिन उनका सधा हुआ खेल और खेल के दौरान उनका ठंडा दिमाग़ सबसे अहम है. मुश्किल से मुश्किल मैच में फ़ेडरर आपा नहीं खोते और न ही धैर्य. विम्बलडन का फ़ाइनल भी इसका गवाह है. साढ़े चार घंटे के फ़ाइनल का आख़िरी सेट तो अनंत काल के लिए चलता दिख रहा था. धैर्य की परीक्षा नेट के दोनों पार थी. इस परीक्षा को फ़ेडरर ही पास कर पाए.

77 गेम लंबे वाले इस मैच में फ़ेडरर ने कुल 50 एस जड़ कर दिखा दिया कि टेनिस का कोई शॉट उनसे अछूता नहीं. वैसे भी फ़ेडरर न सिर्फ़ टेक्स्ट बुक शॉट्स खेलते हैं, बल्कि उन्होंने अपने कई शॉट्स ख़ुद ईजाद किए हैं. फ़ोरहैंड पर नीचे आती गेंद को वह जिस ख़ूबसूरती से तेज़ी से फ़्लिक करते हैं, वह बस देखने लायक़ ही होता है. इसका जवाब नहीं होता. रिटर्न में भी उनका कोई सानी नहीं. सामने वाले खिलाड़ी के बैकहैंड बेसलाइन का एक वर्ग फ़ीट का कोना फ़ेडरर के खाते में अब तक न जाने कितने प्वाइंट जोड़ चुका है. यह वह इलाक़ा होता है, जहां सामने वाले खिलाड़ी के लिए पहुंच पाना आसान नहीं होता.

फ़ेडरर एक स्मार्ट टेनिस खिलाड़ी हैं. बल के साथ पूरी बुद्धि लगाते हैं. ऐसे सेटों में जान नहीं झोंकते, जो उनके हाथ से निकल चुके होते हैं. बल्कि अपनी ऊर्जा अगले सेट के लिए बचा कर रखते हैं. अगर जीने मरने का सवाल न हो, तो असंभव शॉट्स की कोशिश नहीं करते. छह साल से टेनिस खेल रहे फ़ेडरर को कभी गिरते पड़ते शॉट्स खेलते नहीं देखा गया.

उनका खेल सिर्फ़ दमख़म वाला नहीं, क्लासिक भी है. जैसे कोई पेंटर अपनी बेहतरीन पेंटिंग के लिए रंगों को चुनता है, फ़ेडरर अपने शॉट्स चुनते हैं. फ़ोरहैंड और बैकहैंड में इतना संतुलन हाल के दिनों में किसी टेनिस खिलाड़ी में नहीं देखा गया. वह कभी दोनों हाथ लगाकर शॉट्स में ताक़त भरने का काम नहीं करते, बल्कि सीधे हाथ से सधे हुए रिटर्न देते हैं. सामने वाले को लाजवाब कर देते हैं.

1960 और 1970 के दशक में रॉड लेवर को टेनिस खेलते देख चुके लोग शायद फ़ेडरर को उनसे थोड़ा कमज़ोर आंकते हों. लेकिन तुलना की ही नहीं जा सकती. ठीक उसी तरह, जैसे क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर और डॉन ब्रैडमैन की तुलना मुश्किल है. तर्क यह भी दिया जा सकता है कि बाएं हाथ के ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी लेवर ने तो सिर्फ़ 11 ग्रैंड स्लैम जीते, जबकि सिर्फ़ 27 साल में फ़ेडरर 15 जीत चुके हैं. उनके अंदर अभी काफ़ी टेनिस बाक़ी है और उन्होंने जिस पीट सैंप्रास का रिकॉर्ड तोड़ा है, वह ख़ुद मानते हैं कि फ़ेडरर 18-19 ग्रैंड स्लैम से कम पर रुकने वाले नहीं. वैसे लेवर भी फ़ेडरर को महान टेनिस खिलाड़ी बता चुके हैं. ठीक वैसे ही, जैसे कभी डोनाल्ड ब्रैडमैन ने सचिन को ‘अपने जैसा खेलने वाला क्रिकेटर' बताया था. रविवार को फ़ेडरर जब विम्बलडन पर इतिहास रच रहे थे, तो 70 साल के रॉड लेवर भी सेंटर कोर्ट पर मौजूद थे.

फ़ेडरर के खेल की ही तरह उनकी वापसी भी महान है. पिछले साल जब वह विम्बलडन फ़ाइनल में हार गए और उसके बाद पहले नंबर की गद्दी खिसक गई, तो टेनिस के कई जानकार कहने लगे कि किसी औसत खिलाड़ी की तरह फ़ेडरर का युग ख़त्म हो गया. लेकिन शायद उन्हें नहीं पता था कि यह खिलाड़ी तो किसी और मिट्टी का बना है. यह वापसी करना भी ख़ूब जानता है. इस साल के शुरू में ऑस्ट्रेलियाई ओपन का ख़िताब गंवाने के बाद फ़ेडरर ने फ़्रेंच ओपन और विम्बलडन में वापसी के साथ ख़िताब जीता. ये ख़िताब सिर्फ़ आलोचकों का मुंह बंद करने के लिए नहीं हैं, बल्कि दुनिया को एक असंभव खेल का गवाह बनाने के लिए भी हैं. फ़ेडरर से पहले सिर्फ़ आंद्रे अगासी ही ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने बार बार वापसी की और 1995, 1999 और 2003 में पहले नंबर की पदवी हासिल की.

यूं तो अब फ़ेडरर का हर ख़िताब एक नया रिकॉर्ड बनाएगा लेकिन टेनिस के दीवाने यही चाहेंगे कि वह लंबे वक्त तक इस नायाब खेल को देखते रहें. एक असंभव टेनिस का अंत न हो.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें