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सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर पहुंचा

२० सितम्बर २०१०

भारत विरोधी प्रदर्शनों को झेल रही कश्मीर घाटी की स्थिति का जायजा लेने के लिए गृहमंत्री पी चिदंबरम के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल श्रीनगर पहुंचा. हाल के दिनों में हिंसक प्रदर्शनों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत.

तस्वीर: UNI

42 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्य कट्टरपंथी हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी से मुलाकात के लिए आने की अपील कर सकते हैं. वैसे गिलानी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से नहीं मिलने की घोषणा कर चुके हैं लेकिन उन्होंने कहा है कि प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलता है तो उन्हें लौटाया नहीं जाएगा और उनका स्वागत मेहमान की तरह होगा.

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा को लेकर अलगावादियों की ओर से अभी तक मिश्रित संकेत ही मिल रहे हैं. हुर्रियत कांफ्रेंस के उदारवादी धड़े के नेता मीरवाइज उमर फारूक और जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के यासीन मलिक ने कहा है कि वह प्रतिनिधिमंडल से मिलने या नहीं मिलने का फैसला करने से पहले आपस में एक बैठक करेंगे वहीं कट्टरपंथी धड़े के सैयद अली शाह गिलानी बहिष्कार की बात कह चुके हैं.

तस्वीर: DW/Mani Tewari

लेकिन दिल्ली से कश्मीर का रुख करने वाले प्रतिनिधिमंडल को उम्मीद है कि घाटी में जारी गतिरोध को तोड़ने के लिए अलगाववादी गुटों के नेता उनसे बातचीत के लिए राजी हो जाएंगे. पिछले कुछ महीनों में हिंसक प्रदर्शनों में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.

महबूबा मुफ्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने रविवार को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने पर पुनर्विचार की धमकी दी और आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर राज्य सरकार घाटी में कर्फ्यू लगाकर यात्रा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है.

महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी, "अगर दमनकारी कदम उठाए जाते हैं तो हमें सर्वदलीय प्रयासों का हिस्सा बनने पर फिर विचार करना पड़ेगा." उनके मुताबिक अगर आम लोगों, बौद्धिक वर्ग और विरोधियों को मिलने का मौका नहीं दिया जाता तो घाटी में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जाने का कोई औचित्य नहीं बनता. लेकिन राज्य सरकार ने इन आरोपों को बेतुका बताते हुए कहा है कि दो दिन पहले इन प्रयासों की प्रशंसा करने वाली पार्टी अचानक विरोध में आ गई है.

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने कश्मीर घाटी में पनपी स्थिति के चलते अपने इस्तीफे की मांग से इंकार किया है. उन्होंने कहा है कि कुछ हताश राजनीतिक तत्व हैं तो 2008 में सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाए और अब ऐसी मांग उठा रहे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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