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सर्वेः मुंबई में 19 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित

चारु कार्तिकेय
२९ जुलाई २०२०

दिल्ली की तर्ज पर मुंबई में भी सेरोलॉजिकल सर्वेक्षण करवाने के बाद पता चला है कि शहर में लगभग 19 लाख लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना है. शहर की झुग्गी बस्तियों में ये आंकड़ा 57 प्रतिशत तक पहुंच गया.

Coronavirus in Indien
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee

जहां पूरे शहर की लगभग 1.92 करोड़ आबादी में 16 प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने की संभावना है, शहर की झुग्गी बस्तियों में ये आंकड़ा 57 प्रतिशत तक पहुंच गया. माना जाता है कि मुंबई की 65 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में ही रहती है. आधिकारिक रूप से शहर में अभी तक लगभग एक लाख लोग संक्रमित पाए गए हैं और 6,184 लोगों की मौत हो चुकी है.

यह सर्वेक्षण ग्रेटर मुंबई नगरपालिका, नीति आयोग और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च ने साथ मिल कर जुलाई की शुरुआत में 12 से 14 दिनों तक करवाया था. इसमें मुंबई के तीन म्युनिसिपल वार्डों से 6,936 लोगों के सैंपल लिए गए थे और उनमें कोविड-19 के एंटीबॉडीज होने की जांच की गई थी. ये एंटीबॉडीज शरीर में तब ही विकसित होते हैं जब किसी को कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया हो.

संक्रमित लोगों की औसत संख्या के अलावा यह भी पाया गया कि मुंबई में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में संक्रमण के मामले थोड़े ज्यादा हैं. सर्वेक्षण के नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि ऐसे संक्रमित लोगों की संख्या काफी ज्यादा है जिनमें संक्रमण का कोई भी लक्षण नहीं है. झुग्गियों में ज्यादा मामलों के होने का कारण आबादी का घनत्व और शौचालय और पानी भरने जैसी सुविधाओं का सार्वजनिक होना हो सकता है.

नगरपालिका ने यह दावा किया है कि झुग्गियों से बाहर के इलाकों में संक्रमण के मुकाबले कम होने का मतलब है कि वहां महामारी की रोकथाम की नगरपालिका की कोशिशें सफल रही हैं, दूरी बनाए रखने, साफ सफाई रखने और मास्क पहनने से फर्क पड़ा है और यह सब आगे भी जारी रखने से ही महामारी के फैलाव को धीमा किया जा सकता है.

इसके पहले इस तरह का सर्वेक्षण दिल्ली में कराया गया था, जिसमें पाया गया था कि राष्ट्रीय राजधानी में 23.48 प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने की संभावना है, यानी दिल्ली की लगभग दो करोड़ आबादी में से करीब 45 लाख लोग. आधिकारिक रूप से दिल्ली में संक्रमण के 1,31,219 मामले हैं. दिल्ली में भी यह पाया गया गया था कि घनी आबादी वाले इलाकों में संक्रमण ज्यादा फैलता है.

यह सर्वेक्षण यह जानने के लिए भी कराए जा रहे हैं कि देश झुंड इम्युनिटी से कितना दूर है. माना जा रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित पाए जाने का मतलब है कि देश धीरे-धीरे झुंड इम्युनिटी की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन खुद वैज्ञानिकों में भी अभी इस बात पर सहमति नहीं है कि झुंड इम्युनिटी कितने मामलों के बाद हासिल होगी. अभी इस बात की भी पुष्टि नहीं हुई है कि झुंड इम्युनिटी कारगार होगी या नहीं.

मुंबई के धारावी में लोगों की जांच करते स्वास्थ्यकर्मी.तस्वीर: BMC

दिल्ली में कम से कम एक ऐसा मामला जरूर देखा गया है जहां एक ऐसा व्यक्ति जो ठीक हो चुका था उसे दोबारा संक्रमण हो गया. दोबारा संक्रमण होने का मतलब है कि शरीर में एंटीबॉडीज का विकसित हो जाना इस बात की गारंटी नहीं है कि आपको दोबारा संक्रमण नहीं होगा.

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