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सल्फर से थमेगी ग्लोबल वॉर्मिंग

१ सितम्बर २०१२

ग्लोबल वॉर्मिंग से धरती को खतरा है. ध्रुवों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है और समुद्र के किनारे बसे शहरों का अस्तित्व संकट में पड़ चुका है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा अगर अमेरिका के वैज्ञानिकों का फॉर्मूला कामयाब हुआ तो.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वॉर्मिंग को नियंत्रित करने का तरीका खोज निकाला है. ये तरीका है धरती की बाहरी सतह पर सफेद रंग के सल्फर के छिड़काव का. वैज्ञानिकों का दावा है अगर तेज हवाओं के साथ धरती की बाहरी सतह पर सल्फर का छिड़काव किया जाए तो सूरज की किरणों को धरती

पर आने से रोका जा सकता है और ग्लोबल वॉर्मिंग में एक डिग्री की कमी की जा सकती है. हालांकि अभी ये पता नहीं चल सका है कि इस उपाय का पर्यवारण पर क्या असर होगा लेकिन इसे सस्ता और आसान बताया जा रहा है.

अमेरिकी वैज्ञानिक एडवर्ड टेलर का कहना है कि ये तरीका कुछ वैसे ही काम करेगा जैसे ज्वालामुखी फूटने के समय बादल के गुबार उठते हैं और बाद में ये नीचे के वातावरण को ठंडा कर देते हैं.हालांकि दूसरे वैज्ञानिकों ने इस उपाय की आलोचना भी की है.इसे खतरनाक बताया जा रहा है.

अमेरिकी वैज्ञानिकों की ये रिपोर्ट ब्रिटेन के एनवॉयरमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित किया गया है. इसमें सूरज की किरणों को वापस लौटाने वाले तरीके की लागत का भी अध्ययन किया गया है. अध्ययन में कहा गया है कि हर साल चार बिलियन डॉलर की लागत से इस उपाय को लागू किया जा सकता है.

पेन्सिल्वानिया के कारनेगी मेलॉन विश्विद्यालय के प्रोफेसर जे एप्ट Jay Apt का कहना है,"हमारा मानना है कि यह तकनीक इस्तेमाल में लाई जा सकती है. इसे उपयोग में लाने की लागत जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुकसान के एक प्रतिशत से भी कम है. इस अनिश्चितता को दूर करना जरूरी है इसमें कोई दो राय नहीं लागू करने के तरीके पर भेद हो सकता है."

इस तकनीक के मुताबिक एक लाख टन सल्फर को धरती की सतह से 18-20 किलोमीटर की ऊंचाई पर 30 अंश के अक्षांश पर उत्तर और दक्षिण दोनों दिशाओं में छोड़ा जाएगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक सल्फर के छिड़काव का सबसे बेहतर तरीका ये है कि इसके लिए अलग से जहाज विकसित किए जाएं. एक तरीका एयरशिप का भी हो सकता है. एक तरीका 20 किलोमीटर लंबी नली वाली मशीन गन से छिड़काव करना भी हो सकता है लेकिन ये काफी महंगा हो सकता है. 2009 में ब्रिटेन की प्रसिद्ध रॉयल सोसायटी ने भी ये माना था कि अगर सल्फर का छिड़काव किया जाए तो एक साल के भीतर तामपान में गिरावट आने लगेगी.

ये तकनीक धरती के ऊपर से सूरज की किरणों को वापस भेज सकती है लेकिन धरती के वातावरण में बनने वाले कॉर्बन डायऑक्साइड और उसकी वजह से समुद्र में बनने वाले अम्ल को कम नहीं कर सकती.

वीडी/एएम (एएफपी)

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