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सहयोग करेंगे अमेरिका और रूस

१३ अक्टूबर २००९

अमेरिकी विदेशमंत्री हिलेरी क्लिंटन और रूसी विदेशमंत्री सेर्गेई लावरोव ने परमाणु सुरक्षा और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर दोनों देशों के बीच पारस्परिक सहयोग बढाने पर ज़ोर दिया है.

मॉस्को में क्लिंटन और लावरोवतस्वीर: AP

यूरोप के दौरे पर निकलीं अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन इस वक़्त रूस की राजधानी मॉस्को में हैं जहां उन्होंने आज रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से बात की. दोनों पक्षों की बातचीत में ईरान से लेकर उत्तर कोरिया और यूरोप में मिसाइल रक्षा कवच प्रणाली जैसे तमाम मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया.

रूस और अमेरिका के बीच नए सहयोग पर जोर देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा है कि दोनों देशों को मिसाइल रक्षा के बारे में सहयोग बढ़ाना चाहिए. पिछले महीने ही अमेरिका ने यूरोप में मिसाइल कवच प्रणाली लगाने के योजना को रद्द किया है जिस पर रूस को कड़ा एतराज था. क्लिंटन ने कहा कि अमेरिका अब जो समुद्र में नई मिसाइल रक्षा प्रणाली लगाना चाहता है, उससे जुड़ी हर जानकारी रूस को देगा.

हम रूस और अमेरिका के बीच मिसाइल रक्षा प्रणाली पर नज़दीकी सहयोग चाहते हैं. हमें लगता है कि यह हम दोनों के हित में है. हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि रूसी सेना और सरकार की तरफ़ से पूछे गए हर सवाल का जबाव दिया जाए. जितना संभव हो सकेगा, हम पारदर्शी रहना चाहते हैं.

ईरान के मुद्दे पर क्लिंटन ने कहा कि विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम के सिललिले उसके ख़िलाफ़ प्रतिबंध लगाने में कोई जल्दबाज़ी नहीं की जाएगी. लेकिन ईरान को अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करना होगा और अमेरिका इस मुद्दे पर भी रूस से सहयोग की उम्मीद करता है. उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि ईरान को शांतिपूर्ण तरीके से परमाणु ऊर्जा का अधिकार है. लेकिन उसे परमाणु हथियार बनाने का हक़ नहीं है. रूस भी इस बात पर सहमत है. हमारी प्राथमिकता है कि ईरान अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ मिलजुलकर काम करे. अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करे. और अपने संयंत्रों को निरीक्षण के लिए खोले ताकि तमाम संदेह दूर हो सकें."

वही अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी साफ़ किया कि उत्तर कोरिया के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों में कोई ढील नहीं दी जाएगी. इसी महीने उत्तर कोरिया ने कहा कि वह अपने विवादास्पद परमाणु कार्यक्रम पर होने वाली छह पक्षीय वार्ता में लौटना चाहता है. लेकिन ऐसा वह तभी करेगा जब अमेरिका से उसकी दोतरफ़ा बातचीत में प्रगति होगी. जून में उत्तर कोरिया द्वारा दूसरा परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद उसके ख़िलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने नए प्रतिबंधों को मंज़ूरी दी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/अशोक कुमार

संपादन: महेश झा

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