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सहयोग के सुपरिचित सुरों के साथ जी 20 सम्मेलन पूरा

८ जुलाई २०१७

दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत वाले देशों के संगठन जी20 के सदस्यों ने संरक्षणवाद के खिलाफ लड़ने और पेरिस जलवायु समझौते पर टिके रहने का फैसला किया है.

Deutschland Hamburg - G-20
तस्वीर: Reuters/K. Nietfeld

अमेरिका को छोड़ सभी देशों ने पेरिस जलवायु समझौते को जरूरी बताते हुए इसकी तरफ तेजी से बढ़ने पर सहमति जतायी है. इन नेताओं ने वैश्विकरण के बढ़ते विरोध के संकेतों को भी सम्मेलन के घोषणापत्र में जगह दी है. जी20 देश इस बात पर अडिग हैं कि संरक्षणवाद को रोका जाना चाहिए. कई देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के लिए आलोचना की और इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था और स्थिर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक तंत्र को सुनिश्चित करने में बाधा बताया है.

सम्मेलन के घोषणापत्र में कहा गया है, "हम अकेले की बजाय साथ चल कर ज्यादा हासिल कर सकते हैं." इसके साथ ही जी20 के घोषणापत्र में यह भी कहा गया है, "विकसित और विकासशील बाजारों को साथ ला कर जी20 वैश्विकरण को वह रूप देने के लिए प्रतिबद्ध है जो सबके लिए फायदेमंद हो." हालांकि इसके साथ ही सम्मेलन मुक्त व्यापार के अपने पुराने रुख पर कायम है और उसे हासिल करने की दिशा में ही बढ़ना चाहता है. 

जी20 की मेजबान जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस बात पर संतोष जताया है कि अमेरिका के पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने के बावजूद जी20 के बाकी सदस्य इसे तेजी से लागू करने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने इस बात पर भी खुशी जतायी कि 20 में से 19 नेताओं ने माना है कि पेरिस जलवायु समझौते को पलटा नहीं जा सकता है. हालांकि मैर्केल ने इस समझौते पर अमेरिकी रुख को "अफसोसनाक" कहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जी20 की बैठक में बड़ी छूट मिल गयी है. ट्रंप ने जी20 की एकता को बचाये रखने का भरोसा दिया है और इसके बाद सम्मेलन के नेताओं से उन्हें पेरिस जलवायु समझौते से बाहर जाने के लिए रास्ता निकालने की छूट मिल गयी है. अमेरिका ने जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल करने वाले देशों को इसे हासिल करने और स्वच्छता व दक्षता से इस्तेमाल करने में मदद करने की इच्छा जतायी है. जी20 ने अमेरिका की इस इच्छा को भी घोषणा पत्र में जगह दे दी है. 

फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा है कि वह इसी साल 12 दिसंबर को एक सम्मेलन बुलायेंगे ताकि पेरिस समझौते को आगे ले जाया जा सके. माक्रों ने यह भी कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को समझौते में वापस लाने के लिए मनाने की कोशिश करते रहेंगे. माक्रों ने कहा, "मैं मनाना कभी नहीं छोड़ सकता, मेरा ख्याल है कि मेरी स्थिति को देखते हुए ये मेरा कर्तव्य है और ये मेरे चरित्र का हिस्सा भी."

तस्वीर: Reuters/J. Macdougall

संरक्षणवाद को रोकने की शपथ दोहराने के साथ ही पहली बार सम्मेलन ने उन देशों के अधिकारों की भी बात हुई जो अपने बाजारों का "वैध कारोबारी सुरक्षा उपायों' से बचाव करना चाहते हैं. जी20 ने माना है कि दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद सहयोग ही जारी रह सकता है. घोषणापत्र में इसी बात ने अमेरिका के लिए अपनी अमेरिका फर्स्ट जैसी नीति को जारी रखने का रास्ता बनाया है. ट्रंप के इस रुख ने कई अमेरिकी सहयोगियों को उनसे दूर कर दिया था जिन्होंने अमेरिका के अलग थलग पड़ने की भी चेतावनी दी थी. बावजूद इसके अंतिम घोषणापत्र में शीर्ष देशों ने आखिरकार कड़वी असहमति के बजाए सहयोग बनाये रखने का फैसला किया है.

तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Loeb

हैम्बर्ग में मुख्य सम्मेलन से इतर भी बंद दरवाजों के पीछे कई मुलाकातें हुई  और उनका माहौल सद्भावपूर्ण तो नहीं कहा जा सकता. दुनिया को सबसे ज्यादा इंतजार था डॉनल्ड ट्रंप और पुतिन की मुलाकात का. दुनिया के दो दिग्गज नेताओं की पहली मुलाकात करीब दो घंटे चली. इसके एक दिन पहले ही ट्रंप ने यूक्रेन और सीरिया को लेकर रूस की भूमिका की आलोचना की. इसके साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्री ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रूस की भूमिका को लेकर भी दोनों नेताओं ने लंबी बातचीत की. 

लोगों को ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे की यूरोपीय संघ के नेताओं से मुलाकात का भी इंतजार था. अमेरिकी राष्ट्रपति ने मे से शनिवार को मुलाकात की और कहा कि वह "जल्द से जल्द बेहद ताकवतर कारोबारी करार" चाहते हैं. उनका यह बयान यूरोपीय संघ की इस चेतावनी के बावजूद आया कि जब तक ब्रिटेन की यूरोपीय संघ से विदाई पूरी नहीं हो जाती, वह दूसरे देशों के साथ अलग से कोई बड़ा करार ना करे. टेरीजा मे ने भी कहा है कि कई देश ब्रिटेन के साथ बड़े कारोबारी करार करना चाहते हैं. 

तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbach

हालांकि ट्रंप इसके तुरंत बाद ही एक और बड़ी मुलाकात के लिए निकल गए. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग उनके इंतजार में थे और ट्रंप को उनसे उत्तर कोरिया के बारे में बात करनी थी. चीन ने कहा है कि अमेरिका के साथ उसकी मजबूत साझेदारी के लिए दोनों को एक दूसरे का सम्मान और एक दूसरे के फायदे के बारे में सोचना होगा. चीनी राष्ट्रपति ने चीन अमेरिका संबंधों को बनाए रखने के लिए अमेरिका से संयुक्त कोशिश करने का आग्रह किया है. इसके साथ ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ये भी कहना है कि स्थिरता के लिए सहयोग जरूरी है.

एनआर/एके (एपी, एएफपी, डीपीए)

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