सांपों से डरे नहीं
२९ मई २०१०सांप की कुल प्रजातियों में से केवल दस प्रतिशत सांप ही ज़हरीले हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ज़हरीले सांपों के बारे में एक अलग डेटाबैंक तैयार किया है.
सांपों के जानकार डॉ. वोल्फ़गांग बौएमे कहते हैं कि आम तौर पर सांप भी पहले भागने की ही कोशिश करते हैं. बौएमे 40 वर्षों से सांपों पर शोध कर रहे हैं और अपने संग्रहालय के लिए उन्हें जमा करते हैं. वे कहते हैं कि अभी तक तो उन्हें कभी किसी सांप ने नहीं काटा. बॉन के म्यूज़ियम क्यौएनिश में उनका दफ्तर कांच के पात्रों में अल्कोहल में रखे तरह तरह के सांपों से भरा हुआ हैः बौएमे कहते हैं "सांप बहुत ही अनोखे जीव हैं. उनसे या तो घृणा पैदा होती है या घिन या फिर वे बड़े अच्छे लगते हैं. मुझे तो अच्छे ही लगते हैं."
2000 से ज़्यादा
दुनिया में सांपों की क़रीब 2 800 अलग अलग प्रजातियां हैं. उन में से केवल 10 प्रतिशत, यानी क़रीब 280 प्रजातियां ही ज़हरीली हैं. डॉ. बौएमे बताते हैं कि ज़हरीली प्रजातियों के बीच भी भारी अंतर होते हैं. "बहुत ही गुस्सैल क़िस्म के ज़हरीले सांप भी होते हैं और बहुत ही आलसी क़िस्म के भी. वे काटते ही नहीं. कहना मुश्किल है कि ऐसा क्यों है. शायद ऐसा है कि वे जिन परिस्थितियों में रहते हैं, उन में आक्रामक होने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती. उदाहरण के लिए, समुद्री सांप लगभग नहीं के बराबर ही काटते हैं. लेकिन, यदि काटते हैं, तो हालत बिगाड़ देते हैं."
घातक समुद्री सांप
समुद्री सांप जल्दी नहीं काटते. समय लेते हैं. हालांकि उनका ज़हर सांपों में सबसे घातक क़िस्म का ज़हर होता है, तब भी एशियाई देशों में लोग दो मीटर तक लंबे इन सांपों को नंगे हाथों से पकड़ लेते हैं. उन्हें बहुत स्वादिष्ट माना और चाव से खाया जाता है. डॉ. बौएम बताते हैं कि अफ्रिका का माम्बा सांप काटने में सबसे तेज़ है. हालांकि ख़तरा महसूस होने पर माम्बा भी पहले भागने की ही कोशिश करता है, लेकिन वह पलक झपकते ही तेज़ी से वार भी कर सकता है. पेड़ों पर रहने और चढ़ने वाला सांप होने के नाते माम्बा को अपना शिकार पकड़ने के लिए बिजली जैसी फ़ुर्ती दिखानी पड़ती है. पेड़ों पर रहने वाले मेंढक, चिड़ियां और छिपकालियां उसका प्रिय आहार हैं.
बेहोश करते हैं
सांप अपने विष का उपयोग अपने शिकार को मारने के लिए नहीं, उसे पंगु बनाने या बेहोश करने के लिए करते हैं, कहना है डॉ. बौएम का. विष की संरचना सांप के आहार की क़िस्म पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए, रेतीले सांपों की एकही प्रजाति मोरक्को में एक प्रकार के और उत्तरी भारत में दूसरे प्रकार के ज़हर का उपयोग करती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि मोरक्को में बिच्छू और भारत में चूहे उसका मुख्य आहार हैं. "ऐसे में सांप के विष का निराकरण करने वाला एंटीसीरम बनाने के लिए यदि आपने एक ऐसे रेतीले सांप का विष लिया था, जो पश्चिमी अफ्रीका में रहता है लेकिन जिस व्यक्ति को वह सीरम दिया जाना है, उसे पाकिस्तान के किसी सांप ने काटा है, तो सीरम बेकार सिद्ध होगा."
दो तरह का विष
सांपों के ज़हर मुख्य रूप से दो प्रकार से असर करते हैं-- एक हेमोरैजिक यानी रक्त-विष होता है, और दूसरा है नर्वस यानी स्नायु-विष. रक्त-विष लाल रक्त कोषिकाओं को नष्ट करने लगता है और तब शरीर के ऊतक सड़ने लगते हैं. उसे शरीर में तेज़ी से फैलने से रोकने के लिए सांप ने जहां काटा हो, वहां जल्दी से चीरा लगा कर खून बहा देना चाहिये या आड़े-तिरछे चीरे लगा कर ख़ून बहाने वाले एक उपकरण का उपयोग करना चाहिये. "इस उपकरण में दाढ़ी बनाने वाले ब्लेड के बहुत-से टुकड़े लगे होते हैं. उन से कटी जगहों से ख़ूब ख़ून बहता है और उसी के साथ अधिकतर ज़हर भी बह कर निकल जाता है."
ज़हरीला ज़हर
जान बचाने के लिए, कभी कभी सांप ने जिस हाथ या पैर में अपने दांत गड़ाए थे, उसे काट कर अलग भी कर दिया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि संसार में हर साल तीन लाख लोगों का इसी कारण से अंगविच्छेद करना पड़ता है.
अफ्रीकी माम्बा, भारतीय कोबरा या समुद्री सांप का स्नायु-विष, रक्त-विष से कई गुना ख़तरनाक़ होता है. यह विष सीधे केंद्रिय तंत्रिकातंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) को सुन्न कर देता है. शरीर के अंगों को जैसे लकवा मार जाता है और दम घुटने से मृत्यु हो जाती है. इस तरह के किसी सांप के काटने के बाद यदि तुरंत ऐसे एंटीसीरम से उपचार नहीं किया गया, जो उसी ख़ास ज़हर का निराकरण करने के लिए बना है, तो जान बचाना मुश्किल है.
डरें नहीं
डॉ. वोल्फ़गांग बौएम बताते हैं कि कुछ सापों में दोनो तरह का जहर होने से वे और भी ख़तरनाक होते हैं. कुछेक रेतीले सांप और अमेरिका के पूंछ खड़खड़ने वाले सापों की कुछेक क़िस्में ऐसी ही हैं. उन की सलाह है कि किसी सांप से सामना होने पर डरने की फिर भी कोई ज़रूरत नहीं है. "निर्भीकता का परिचय देना चाहिये. सभी जानते हैं कि सांप ज़मीन के हर कंपन्न को बड़ी बारीक़ी से महसूस करते हैं. जब उन्हें लगता है कि कोई ज़मीन हिलाता दौड़ता हुआ आ रहा है, तो वे रास्ते से हट जाते हैं."
रिपोर्ट- यूडिथ हार्टल / राम यादव
संपादन- आभा मोंढे