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सांसद निधि से खरीदी एंबुलेंस पर क्यों मचा है हंगामा

मनीष कुमार
१० मई २०२१

बिहार में एक तरफ जहां ऑक्सीजन, बेड, दवाओं और मरीजों के लिए एंबुलेंस को लेकर मारामारी है वहीं दूसरी ओर सारण जिले में सांसद निधि से खरीदे गए 30 एंबुलेंस एक परिसर में खड़े मिले.

Indien | BJP MPs Rudy und Pappu Yadav
तस्वीर: IANS

पूरा वाकया भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और छपरा के सांसद राजीव प्रताप रूडी से जुड़ा है. इसी जिले में अमनौर रूडी का पैतृक गांव है. यह घटना बीते शुक्रवार की है. जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष व पूर्व सांसद राजेश रंजन यादव उर्फ पप्पू यादव अमनौर के एक सामुदायिक केंद्र पहुंचे. यहां परिसर में 30 एंबुलेंस ढक कर रखे गए थे. पूर्व सांसद ने अपने लोगों से एंबुलेंस के कवर को हटवाया और मीडिया से बात की. उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं जानता कि ये रूडी जी का गांव है. मैं केवल एंबुलेंस की बात कर रहा. कोरोना संकट की इस घड़ी में तड़पते लोगों को इसे उपलब्ध नहीं कराया जाना अपराध है. एंबुलेंस के लिए एक किलोमीटर का सात हजार रुपये तक वसूला जा रहा है. इस विकट स्थिति में ये दर्जनों एंबुलेंस यहां क्यों खड़ी है.''

बाद में उन्होंने इस पूरे प्रकरण का वीडियो जारी करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीटर पर सवाल उठाया, "सांसद विकास निधि से खरीदी गई एंबुलेंस किसके निर्देश पर यहां छिपाकर रखी गई है. इसकी जांच हो. सारण डीएम, सिविल सर्जन यह बताएं. बीजेपी जवाब दे." 

ड्राइवरों की कमी

सांसद रूडी ने बयान जारी कर कहा, ‘‘ड्राइवरों की कमी की वजह से एंबुलेंस खड़ी हैं. इसकी खरीदारी जनता को सुविधा मुहैया कराने के लिए की गई है. इन सबों के संचालन का दायित्व पंचायतों को सौंपा गया था किंतु कोरोना संकट के दौरान ड्राइवर उपलब्ध ना होने से पंचायतों ने इन्हें वापस कर दिया था.'' राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि उनकी कोई गलत मंशा नहीं थी.

फाइल तस्वीर: IANS

रूडी के मुताबिक सारण में सवा दो सौ से अधिक पंचायतों के लिए सांसद पंचायत एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी. 65 एंबुलेंस खरीदी गई थी. 52 पंचायतों में यह सेवा जारी है. उन्होंने कहा कि वेंटिलेटर या दवाओं की तरह एंबुलेंस की कालाबाजारी नहीं की जा सकती है. उन्होंने पप्पू यादव पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. रूडी ने कहा, ‘‘उनका यह प्रयास स्वागत योग्य है. केवल राजनीति के लिए बातें ना करें. अगर उन्हें इतनी ही पीड़ा है तो ड्राइवर का इंतजाम कर सारण के जिलाधिकारी से बात कर इनके परिचालन की व्यवस्था करें.'' रूडी के मुताबिक सारण देश का ऐसा पहला जिला है जहां जरूरतमंदों को एक कॉल पर एंबुलेंस मुहैया कराई जाती है और इस सेवा का केंद्रीय नियंत्रण कक्ष के जरिए संचालन किया जाता है.
पप्पू यादव ने शनिवार को पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लाइसेंसधारी 40 ड्राइवरों को खड़ा कर कहा कि बिहार सरकार इन ड्राइवरों को जहां चाहे, ले जाए. उन्होंने इन्हें सरकारी नौकरी देने की बात कहते हुए कोरोना काल में सांसद निधि से खरीदे गए एंबुलेंसों को खड़ा रखने के कारण राजीव प्रताप रूडी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की. इतना ही नहीं उन्होंने एक और वीडियो जारी किया जिसमें एंबुलेंस का इस्तेमाल बालू ढोने में करते हुए दिखाया गया है. पप्पू इतने पर ही नहीं रूके. उन्होंने अमनौर में बने सामुदायिक भवन पर सवाल उठाए. कहा, जब सरकार के नौ करोड़ रुपये की लागत से अस्पताल खोलने के लिए भवन बनाया गया तो यह अब तक क्यों नहीं खुला.

रातों रात हटा दी गई एंबुलेंस

जैसे ही सियासी संग्राम छिड़ा, पक्ष-विपक्ष ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी. अमनौर के भाजपा विधायक कृष्ण कुमार ने कहा, ‘‘जिस व्यक्ति पर 32 मामले दर्ज हों, कई कांडों में जिसने सालों जेल में बिताया हो वह व्यक्ति राजनीति ही कर सकता है जनसेवा नहीं.'' इसके उलट राष्ट्रीय जनता दल के जिलाध्यक्ष सुनील राय ने जिला प्रशासन से रूडी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. एक पूर्व आइपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने भी सांसद के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए कहा, ‘‘कोरोना संकट के इस दौर में एक जनप्रतिनिधि द्वारा एंबुलेंस को छुपाकर रखना नरंसहार के बराबर है.'' 

तस्वीर: IANS

एंबुलेंस को लेकर उठे इस बवंडर के बीच पूर्व सांसद पप्पू यादव व अन्य के खिलाफ शनिवार की रात दो एफआईआर दर्ज की गई. एक एफआईआर विश्वप्रभा सामुदायिक केंद्र व एंबुलेस परिचालन के केयरटेकर राजन सिंह ने दर्ज कराई है. जिसमें पूर्व सांसद पर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, एंबुलेंस क्षतिग्रस्त करने, रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया है. वहीं दूसरी प्राथमिकी अमनौर के सीओ सुशील कुमार ने लॉकडाउन के दौरान निषेधाज्ञा उल्लंघन व शांति व्यवस्था भंग करने का आरोप लगाते हुए दर्ज कराई है.

नया नहीं एंबुलेंस विवाद

जब पप्पू यादव पहुंचे थे तो वहां 30 एंबुलेंस खड़ी थी किंतु दूसरे दिन जब पुलिस के अधिकारी पहुंचे तो वहां मात्र आठ एंबुलेंस थी. आखिर रातोंरात एंबुलेंस को हटाकर कहां भेज दिया गया? इधर, एफआईआर दर्ज होने के बाद रविवार को पप्पू यादव ने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित कदम है. उन्होंने कहा कि आखिर 24 घंटे बाद मुकदमा क्यों दर्ज किया गया. यह तत्काल होना चाहिए था. उन्होंने आईजी स्तर के अधिकारी से इसकी जांच की मांग की.

सांसद राजीव प्रताप रूडी के एंबुलेंस को लेकर उठा विवाद नया नहीं है. इससे पहले 2002 में तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज कुमार पॉल ने सांसद के सभी एंबुलेंस को रातों-रात जब्त कर लिया था. जिलाधिकारी को यह सूचना मिल रही थी कि सांसद निजी कार्यों के लिए एंबुलेंस का उपयोग कर रहे हैं. लोगों की शिकायत को जांच में सही पाए जाने पर पॉल ने 10 मई, 2002 को सभी एंबुलेंस को जब्त करने का फरमान जारी किया था. हालांकि रूडी ने इसकी शिकायत लालू प्रसाद से की और 14 मई को ही पॉल का छपरा से ट्रांसफर कर दिया गया. पप्पू यादव ने इस पर भी सवाल उठाए कि जिलाधिकारी ने जब एंबुलेंस जब्त कर ली थी तो ये उन्हें वापस कैसे मिल गईं. उन्होंने सरकार से सभी एंबुलेंस को अपने कब्जे में लेने की मांग की है.

कोरोना मरीजों को इलाज मिलने में दिक्कतें हो रही हैं. तस्वीर: Abhishek Chinnappa/Getty Images



लालू प्रसाद ने भी खरीदे थे 40 बस

जानकार बताते हैं कि इससे पहले लालू प्रसाद ने भी सांसद निधि से 2013-14 में आठ करोड़ इक्यावन लाख रूपये की लागत से सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिए 40 बसों की खरीद की थी. उस समय वे छपरा के सांसद थे. ये बसें इन संस्थानों की छात्र-छात्राओं के आने-जाने के उद्देश्य से खरीदी गईं थीं. जयप्रकाश विश्वविद्यालय को भी दो बसें दी गई थी. जब इनके परिचालन में कठिनाई हुई तो ये बसें वैसे ही खड़ी रह गईं. इसके बाद किसी ने इन वाहनों की सुध नहीं ली.

आज भी ये बसें उन संस्थानों के परिसर में बर्बाद हो रहीं हैं. वहीं सांसद रूडी ने एंबुलेंसों की खरीदारी दूसरी बार की है. 2019 के संसदीय चुनाव से कुछ माह पहले उन्होंने सांसद निधि से दो करोड़ चालीस लाख रुपये की लागत से 40 एंबुलेंस व शव वाहनों की खरीद की. इन एंबुलेंसों को पंचायतों को सौंप दिया गया. लेकिन जब इसके संचालन में दिक्कत आने लगी तो पंचायतों ने इसे सांसद को वापस कर दिया. ये वही एंबुलेंस हैं, जिन पर पप्पू यादव ने सवाल उठाए हैं.

सांसद निधि से 5 करोड़ रुपये

सांसद निधि का उद्देश्य प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सांसद को विकास के कामों के लिए सहायता राशि देना है. सांसद इसकी राशि शिक्षा, सडक़, पेयजल, स्वास्थ्य, स्वच्छता या अन्य सार्वजनिक हित में जरूरी कामों के लिए कर सकते हैं. प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप या महामारी की घड़ी में भी इसका उपयोग किया जा सकता है. इस निधि की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय पीवी नरसिम्हा राव ने की थी.1993-94 में इस निधि के तहत प्रत्येक सांसद (लोकसभा, राज्यसभा व मनोनीत) को पांच लाख रुपये खर्च करने का अधिकार था जिसे बढ़ाकर 1998-99 में दो करोड़ कर दिया गया. वर्तमान में इस मद में पांच करोड़ की राशि का प्रावधान है. लोकसभा के सदस्य सांसद निधि की राशि को अपने संसदीय क्षेत्र में, जबकि राज्यसभा के सदस्य देश के किसी कोने की योजनाओं में खर्च कर सकते हैं. 

राजनीतिक चिंतक एसके सक्सेना कहते हैं, ‘‘सवाल कोई भी उठा रहा हो, विवाद चाहे जिसे लेकर हो किंतु इतना तो तय है कि सांसद निधि का पैसा जनता का पैसा है और इस मद की राशि जहां भी खर्च की जाए उससे हर हाल में जनता का भला होना चाहिए. राजनीतिज्ञ कभी भी इसे दुधारू गाय के रूप में इस्तेमाल ना करें.'' 

 

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