यूरोप की सांस्कृतिक राजधानी रीगा
३० दिसम्बर २०१३यूरोपीय सांस्कृतिक राजधानी बनने के पहले दिन रीगा में नए साल की शाम देखने लायक होगी. शहर के लोग पुराने शहर में स्थित राष्ट्रीय लाइब्रेरी से लेकर नदी के दूसरे सिरे पर शहर की नई लाइब्रेरी तक मानव ऋंखला बनाएंगे. इसके बाद वे एक हाथ से दूसरे तक किताबें बढ़ाएंगे. यह दिखाएगा कि 2014 में यूरोपीय सांस्कृतिक केंद्र होने के नाते रीगा के लोग किस तरह संस्कृति को एक से दूसरे तक पहुंचाएंगे.
शहर के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की निदेशक आइवा रोजेनबेर्गा ने कहा, "यह शहर के निवासियों का साल है." अगर यहां रहने वाले खुश और उत्साहित होंगे तो देखने वालों को भी मजा आएगा.
कम बजट, बड़ी योजना
रीगा के पास बजट बहुत कम है. 2008 में आई आर्थिक तंगी से पहले लातविया और उसकी राजधानी के रंग अलग थे, लेकिन लेमन ब्रदर्स की कंगाली के साथ लातविया के प्रमुख बैंकों और यहां की आर्थिक स्थिति को गहरा धक्का लगा. लोगों की आमदनी में 30 फीसदी तक की कमी आई है. हजारों नौकरियां चली गईं, पेंशन में कटौतियां हुईं, स्कूलों और अस्पतालों के प्रबंधन पर असर पड़ा. अर्थव्यवस्था को संभालवे के लिए लातविया को विदेशी मदद लेनी पड़ी.
देश की खराब आर्थिक हालत के कारण कई लोग देश छोड़कर गए. कई लोग उन पुराने सोवियत दिनों को याद कर रहे हैं जब हर किसी के पास नौकरी थी और लगता था सरकार को अपने हर नागरिक का ख्याल है. रीगा 2014 फाउंडेशन में विदेशी प्रेस के मामलों की जिम्मेदार आना मुह्का कहती हैं, "आने वाले साल में सांस्कृतिक माध्यमों से लातविया के लोगों का दूसरे तरह की सोच से सामना होगा."
संगीत प्रेमी
लातवियाई संस्कृति में संगीत का अहम स्थान है. मुह्का कहती हैं, "हम पैदा होने से मरने तक गाते रहते हैं. पहले हम जर्मन मालिकों के लिए और फिर खुद अपने लिए किसान थे." संगीत से कई बार शारीरिक थकान दूर हो जाती है. सोवियत दौर में भी लातविया के गानों ने लोगों को एक दूसरे से बांधे रखा और देश को मजबूती दी. मुह्का मानती हैं कि उसी समय से संगीत की क्रांति का जन्म हुआ.
2014 के वर्ल्ड क्वायर गेम्स में 90 देशों के 20,000 गायक रीगा के प्लाजा और सड़कों पर अपने अपने इलाकों की धुनें छेड़ेंगे. रीगा में पैदा हुए कलाकारों मारिस यंसांस, एलीना गारांचा, गिदोन क्रीमर और कई अन्य कलाकारों के साल भर कंसर्ट होते रहेंगे.
साल के शुरुआत में लातविया के राष्ट्रीय ऑपेरा की शुरुआत रिचर्ड वाग्नर के 'रींजी' ऑपेरा के मल्टीमीडिया प्रोडक्शन के साथ होगी. जर्मन कलाकार वाग्नर ने रीगा में 1837 से 1839 के दौरान यह ऑपेरा लिखना शुरू किया था जब वह वहां बैंड मास्टर थे.
विश्व युद्ध की झलक
2014 में रीगा में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 200 प्रोजेक्ट शामिल किए गए हैं. इन कार्यक्रमों में लातविया की संस्कृति की झलक के साथ भविष्य की तरफ भी नजर होगी. जनवरी में लातविया के राष्ट्रीय कला संग्रहालय में एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा जिसका नाम है '1914'. रोजेनबेर्गा ने कहा, "आयोजकों को लगता है कि प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत की झलक दिखाना जरूरी है." प्रथम विश्व युद्ध के बाद सामने आए 11 देशों के कलाकारों का काम इसमें दिखाया जाएगा जिसमें लातवियाई कलाकार भी शामिल हैं.
इसमें कोई संदेह नहीं कि देश ने बीसवीं सदी में तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं. एक समय में भय और आतंक के लिए कुख्यात जासूसी संस्था कमेटी फॉर स्टेट सिक्योरिटी की बिल्डिंग को भी आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा.
भविष्य का निर्माण
2014 के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की निदेशक आइवा रोजेनबेर्गा कहती हैं कि वह छोटे छोटे कार्यक्रमों को ज्यादा अहमियत देती हैं. कम फंडिंग के बावजूद भी ये खास हैं. उन्होंने कहा कि ये इतने छोटे कार्यक्रम हैं कि हो सकता है पश्चिम में इनका मजाक उड़ाया जाए लेकिन रीगा के लिए ये बेहद खास हैं. कुछ रिहायशी इलाकों में बगीचे लगाने में पेशेवर वहां रहने वालों की मदद कर रहे हैं. ऐसे हरे भरे मैदान वाले केंद्रों का निर्माण हो रहा है जहां बच्चों के खेलने की पर्याप्त जगह हो और बड़े भी इकट्ठा हो सकें. शहर के आम नागरिक भी इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं.
रिपोर्ट: सिल्के बार्टलिक/एसएफ
संपादन: महेश झा