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साढ़े तीन हजार जोड़ों की एक साथ शादी

३ फ़रवरी २०११

महाराष्ट्र में एक साथ 3,600 जोड़े शादी के बंधन में बंधे. इनमें सभी धर्मों के लोग शामिल थे. आयोजकों का कहना है कि इस आयोजन का मकसद कर्ज में दबे गरीब किसानों के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देना है.

तस्वीर: AP

नागपुर शहर से लगभग 150 किलोमीटर दूर अमरावती में 2,433 हिंदू, 150 मुसलमान, 749 बौद्ध, 150 ईसाई और 253 आदिवासी जोड़ों ने एक साथ शादी की. खुले आसमान के नीचे बने पंडाल में हजारों लोगों ने साथ जीने मरने की कसमें खाईं. हालांकि भारत में सामूहिक शादियों का चलन आम है लेकिन इतने बड़े पैमाने एक साथ इतनी शादियां कम ही देखने को मिलती हैं. यहां शादी करने वाले जोड़ों में ज्यादातर गरीब लोग शामिल थे जो आम तौर पर शादी पर आने वाला खर्च उठाने के काबिल नहीं है.

किसानों के लिए

वैसे स्थानीय विधायक रवि राणा भी इस सामूहिक विवाह आयोजन में परिणय सूत्र में बंधे. वह इस कार्यक्रम के आयोजकों में से एक हैं. उनका कहना है, "मेरा संबंध एक ऐसे इलाके से है जो किसानों की आत्महत्या के लिए जाना जाता है. मैं भी गरीब परिवार से हूं. मैंने सोचा कि हम ऐसे कई और लोगों के साथ मिल कर शादी कर सकते हैं. अगर जनप्रतिनिधि ऐसी मिसाल कायम करेंगे तो उससे समाज में अच्छा संदेश जाता है."

बताया जाता है कि इस कार्यक्रम में शादी करने वाले 1000 जोड़ों का संबंध किसान परिवारों से था. इनमें से आधे लोगों के पिताओं ने कर्ज न चुकाने की वजह से आत्महत्या की.

कितनी आत्महत्याएं

आत्महत्या करने वाले किसानों की सही सही संख्या पता लगाना तो मुश्किल है लेकिन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के अनुसार पिछले दशक में लगभग डेढ़ लाख किसानों ने आत्महत्या की. किसानों की आत्महत्या पर हाल ही में व्यंग करती हुई पीपली लाइव नाम से एक फिल्म भी बनी जिसे काफी सराहा गया.

अमरावती में सामूहिक विवाह संस्कार में बड़ी संख्या में लोग उमड़े. वैसे दुनिया में सामूहिक शादियों के इससे बड़े आयोजन भी हुए हैं. पिछले साल दक्षिण कोरिया में एक साथ 7000 हजार जोड़ों ने शादी की थी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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