यह रोक गुरुवार सुबह छह बजे से अगले 72 घंटे तक जारी रहेगी. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी अभियान पर रोक धार्मिक आधार पर वोट मांगने को लेकर लगाई गई है, जिसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है. चुनाव आयोग ने बुधवार को जारी अपने आदेश में ठाकुर के बयान की कड़ी निंदा की और उन्हें भविष्य में इस प्रकार का कदाचार नहीं दोहराने की चेतावनी दी.
चुनाव आयोग ने उनको तीन दिनों तक जनसभा, प्रदर्शन, रैली व रोडशो करने और साक्षात्कार देने और चुनाव को लेकर मीडिया में सार्वजनिक बयान देने से मना किया है. ठाकुर को चुनाव आयोग ने दो नोटिस जारी किए हैं. उनको एक नोटिस टीवी साक्षात्कार के दौरान उनके बयान को लेकर जारी किया गया है और दूसरा नोटिस एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे के खिलाफ बयान देने को लेकर दिया गया है.
ठाकुर ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया था और उन्हें इस पर गर्व है. ठाकुर ने चैनल से कहा, "हमने देश से एक कलंक को मिटाया. हम ढांचे को गिराने गए. मुझे काफी गर्व है कि ईश्वर ने मुझे यह मौका दिया और मैं इस कार्य को कर सकी. हम विश्वास दिलाते हैं कि उस स्थल पर राममंदिर का निर्माण होगा."
इसके अलावा ठाकुर ने कहा था कि एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे को उन्होंने शाप दिया था, इसलिए वह मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए हमले में आतंकियों के हाथों मारे गए. इस बयान की तीखी निंदा होने पर ठाकुर ने बाद में माफी मांगी और स्वीकार किया कि करकरे एक शहीद हैं. बीजेपी ने उनके इस बयान से खुद को दूर कर लिया.
चुनाव आयोग के इस फैसले को कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अभिनंदनीय फैसला करार दिया है. सिंह ने ट्वीट किया, "चुनाव आयोग का यह निर्णय अभिनंदनीय है. भाजपा सांप्रदायिक विद्वेष की राजनीति करने वालों तथा आतंकवाद के आरोपियों को जब उम्मीदवार बनाएगी तब ऐसा होना स्वाभाविक है. आदर्श लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना व संरक्षण हेतु इस प्रकार के प्रत्याशियों का नामांकन रद्द करना श्रेयस्कर होगा."
49 वर्षीय प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम धमाका मामले में आरोपी हैं. 2006 में हुई इस घटना में छह लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हो गए थे. वह मामले में इस समय जमानत पर हैं और मालेगांव की घटना में मारे गए लोगों में से एक के पिता ने उनकी उम्मीदवारों को अदालत में चुनौती दी है.
आईएएनएस/आईबी
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तस्वीर: dpa - Bildarchivकुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheedइस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D. E. Curranब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/D .E. Curranमस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
तस्वीर: DW/Waheedविश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
तस्वीर: DW/S. Waheedजिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesविश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: APवीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
तस्वीर: AFP/Getty Imagesतत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
तस्वीर: APगोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
तस्वीर: APपुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
तस्वीर: CC-BY-SA-Shaid Khanविवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
तस्वीर: APजस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
तस्वीर: APइलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
तस्वीर: APसुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
तस्वीर: APरामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpaसुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
तस्वीर: DW/V. Deepakसुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/B. Armangueप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.
तस्वीर: AFP/P. Singh