साफ हवा के लिए तरस रहे पाकिस्तान के निवासी
२३ जून २०१७![Pakistan Lahore Smog](https://static.dw.com/image/36276140_800.webp)
पाकिस्तान में बढ़ते वायु प्रदूषण और दम घोंटती हवा के चलते फरहान हुसैन इस्लामाबाद पहुंचे. उन्हें लगा कि वहां उन्हें सांस लेने के लिए बेहतर हवा मिल सकेगी, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी. स्थिति इतनी गंभीर है कि वे प्रदूषण की निगरानी करने वाले एक समूह से जुड़ गये, जिसे स्थानीय लोग खुद ही मिल कर चला रहे हैं.
पाकिस्तान की बढ़ती आबादी के साथ वह तकरीबन 20 करोड़ लोगों का घर है. और इतनी जनसंख्या के साथ वह दुनिया की सबसे भयानक वायु प्रदूषण की स्थिति का सामना कर रहा है. अधिक आबादी, वाहनों की खराब देखरेख और अनियंत्रित औद्योगिक उत्सर्जन इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं. जब-जब वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक जाता है, तब भारत और श्रीलंका जैसे देश आंकड़े जारी करते हैं और स्थिति के लिए सचेत करते रहते हैं.
पाकिस्तान के गैर-सरकारी एयर क्वालिटी नेटवर्क के सदस्य फरहान हुसैन का कहना है कि पाकिस्तान उन कुछ देशों में से हैं जो वायु प्रदूषण की निगरानी नहीं करता. ये नेटवर्क स्थानीय निवासियों का एक समूह है जो इस्लामाबाद, लाहौर और कराची जैसे शहरों के वायु प्रदूषण को मापते हैं और उनके आंकड़ों को ट्विटर पर जारी करते हैं.
सरकारी आंकड़ों के न होने का मतलब हैं कि लोगों को इस बात का अंदाजा ही नहीं है कि वे कितनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं. डेवलपमेंट पॉलिसी इंस्टिच्यूट के साकिब खालिद का कहना है कि विकासमान पाकिस्तान के सामने यह बड़ी बाधा है, क्योंकि आर्थिक विकास के नुकसान को ध्यान में रखने के चलते उद्योगों के उत्सर्जन के नियमों को ताक पर रखा जा रहा है.
सरकारी नीतियां नवीनीकरण या दीर्घकालीन रणनीतियों पर काम नहीं कर रही हैं. इसके बदले पाकिस्तान चीन की मदद से और 13 पावर प्लांट बनाने की तैयारी कर रहा है, जिसमें चीन का 50 अरब डॉलर का निवेश होगा. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि ये हवा की गुणवत्ता को प्रभावित नहीं करेगा. जलवायु विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि बेहद महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी से इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि उत्सर्जन कम हो.
फिलहाल स्थिति खराब है और सर्दी के दौरान उत्तर में हालत विशेष रूप से गंभीर हो जाती है, जब शहर पर धुंध की मोटी परत जम जाती है. वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी शहर पेशावर के निवासी प्रतिवर्ष औसतन 110 घन मीटर प्रदूषित तत्व हवा के साथ सांस में लेते हैं. ये छोटे प्रदूषित कण इंसान की देखने और सांस लेने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. और यह अधिकतम अनुशंसित सीमा से 11 गुना अधिक है.
माना जा रहा है कि ये हर साल पाकिस्तान में वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से मरने वाले 60 हजार लोगों की मौत की वजह में से एक है. इन बीमारियों में फेफड़े, दिल, कैंसर और अस्थमा जैसी बीमारियां शामिल हैं.
एसएस/एमजे(एएफपी)