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सामाजिक आर्थिक संगठनों की जी-20 से सहयोग की अपील

१५ फ़रवरी २०१७

आर्थिक और सामाजिक संगठनों के अलावा गैर सरकारी संगठनों के एक गठबंधन ने प्रमुख विकसित और विकासशील देशों के संगठन जी-20 को संरक्षणवाद के खिलाफ चेतावनी दी और आपस में सहयोग करने को कहा है.

Logo der deutschen G20 Präsidentschaft
तस्वीर: Bundesregierung

जर्मन शहर बॉन में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन से पहले इन संगठनों ने एक साझा बयान जारी कर चेतावनी दी है कि "कई देशों में" अलगाववाद और राष्ट्रीय स्तर पर एकतरफा फैसलों के समर्थकों ने "एक तरह का महत्व" हासिल कर लिया है. उन्होंने जी-20 समूह के देशों से सक्रिय और दृढ़ सहयोग की मांग करते हुए कहा है, "मौजूदा चुनौतियां वैश्विक हैं और उनके लिए समन्वित समाधान की जरूरत है."

जर्मनी इस साल जी-20 समूह का अध्यक्ष है. इसमें भारत सहित 19 बड़े औद्योगिक और विकासमान देशों के अलावा यूरोपीय संघ के सदस्य हैं. जुलाई में होने वाले शिखर सम्मेलन से पहले मंत्रिस्तर पर तैयारियां चल रही हैं. 16 और 17 फरवरी को होने वाले विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में टिकाऊ विकास के एजेंडा 2030 के अलावा विवादों की रोकथाम और शांति स्थापना पर चर्चा होगी. दुनिया की आबादी का दो तिहाई हिस्सा जी-20 देशों में रहता है जबकि 80 प्रतिशत सकल राष्ट्रीय उत्पाद भी इन्हीं देशों में होता है. वे दुनिया में तीन चौथाई विश्व व्यापार के लिए भी जिम्मेदार हैं. सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर कर रहे हैं.

जी-20 को लिखी चिट्ठी पर दस्तखत करने वालों में जर्मनी के आर्थिक और कारोबारी संगठन, ट्रेड यूनियन महासंघ डीजीबी, विकास सहायता में लगे संगठन, शोध संस्थान और महिला संगठन शामिल हैं. इस व्यापक गठबंधन ने जी-20 देशों से खुले समाज और सभी देशों तथा लोगों की भलाई के लिए अंतरराष्ट्रीय मुक्त व्यापार का समर्थन करने का आह्वान किया है.

साझा बयान में भूमंडलीकरण के फायदों पर जोर दिया गया है और चीन तथा भारत जैसे देशों में गरीबी के खिलाफ संघर्ष में कामयाबी की ओर ध्यान दिलाया गया है. साझा बयान में जी-20 के देशों से भूमंडलीकरण के नकारात्मक प्रभावों के खिलाफ कदम उठाने की भी मांग की गई है. साथ ही जी-20 से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बहुस्तरीय संरचना को मजबूत करने के प्रयासों को बढ़ाने का आह्वान किया गया है.

एमजे/एके (डीपीए)

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