जर्मनी में लोग पर्यावरण के प्रति समझदारी भरा रुख दिखा रहे हैं. देश में पॉलिथिन बैग की खपत में भारी गिरावट आई है.
विज्ञापन
जर्मनी में 2017 में 1.3 अरब प्लास्टिक बैग कम इस्तेमाल किए गए. 2016 के मुकाबले पॉलिथिन की खपत में 33.35 फीसदी की गिरावट आई है. सोसाइटी फॉर पैकेजिंग मार्केट रिसर्च के मुताबिक 2017 में एक जर्मन व्यक्ति ने औसतन 29 प्लास्टिक बैग इस्तेमाल किए, यानी दो महीने में पांच पॉलिथिन. इस दौरान देश भर में कुल 2.4 अरब प्लास्टिक बैग इस्तेमाल किए गए.
रिपोर्ट में सामान ढोने वाले प्लास्टिक बैग की बात की गई है. फलों और सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले पारदर्शी प्लास्टिक का जिक्र इसमें नहीं है. 2016 में कई जर्मन कंपनियों ने मुफ्त प्लास्टिक बैग न देने का वादा किया था.
देखिए क्या विकल्प मौजूद हैं
प्लास्टिक की जगह ये चीजें करें इस्तेमाल
जब प्लास्टिक लोगों की जिंदगियों का हिस्सा बना, तो सिर्फ उसके फायदों पर ही सबका ध्यान गया, इस पर नहीं कि यह कमाल का आविष्कार भविष्य के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है. अब प्लास्टिक को अलविदा कहने का वक्त आ गया है.
प्लास्टिक को अपनी जिंदगी से निकालने में सबसे अहम कदम तो यही है कि इसकी दीवानगी को छोड़ा जाए. प्लास्टिक की जगह कपड़े के थैले का इस्तेमाल किया जा सकता है. इन जनाब की तरह प्लास्टिक की स्ट्रॉ को मुंह में फंसाने की शर्त लगाने की जगह कुछ बेहतर भी सोचा जा सकता है. मैर्को हॉर्ट ने 259 स्ट्रॉ को मुंह में रखने का रिकॉर्ड बनाया था.
तस्वीर: AP
खा जाओ
यूरोपीय संघ सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है. ऐसे में प्लास्टिक की स्ट्रॉ, कप, चम्मच इत्यादि बाजार से गायब हो जाएंगे. इनके विकल्प पहले ही खोजे जा चुके हैं. जैसे कि जर्मनी की कंपनी वाइजफूड ने ऐसे स्ट्रॉ बनाए हैं जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद खाया जा सकता है. ये सेब का रस निकालने के बाद बच गए गूदे से तैयार की जाती हैं.
तस्वीर: Wisefood
आलू वाला चम्मच
एक दिन में कुल कितने प्लास्टिक के चम्मच और कांटे इस्तेमाल होते हैं, इसके कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन इतना जरूर है कि दुनिया भर में कूड़ेदान इनसे भरे रहते हैं. भारत की कंपनी बेकरीज ने ज्वार से छुरी-चम्मच बनाए हैं. स्ट्रॉ की तरह इन्हें भी आप खा सकते हैं. ऐसा ही कुछ अमेरिकी कंपनी स्पड वेयर्स ने भी किया है. इनके चम्मच आलू के स्टार्च से बने हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Scholz
चोकर वाली प्लेट
जिस थाली में खाएं, उसी को खा भी जाएं! पोलैंड की कंपनी बायोट्रेम ने चोकर से प्लेटें तैयार की हैं. अगर आपका इन्हें खाने का मन ना भी हो, तो कोई बात नहीं. इन प्लेटों को डिकंपोज होने में महज तीस दिन का वक्त लगता है. खाने की दूसरी चीजों की तरह ये भी नष्ट हो जाती हैं. और इन प्लेटों का ना सही तो पत्तल का इस्तेमाल तो कर ही सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Reszko
कप और ग्लास
अकेले यूरोप में हर साल 500 अरब प्लास्टिक के कप और ग्लास का इस्तेमाल किया जाता है. नए कानून के आने के बाद इन सब पर रोक लग जाएगी. इनके बदले कागज या गत्ते के बने ग्लास का इस्तेमाल किया जा सकता है. जर्मनी की एक कंपनी घास के इस्तेमाल से भी इन्हें बना रही है. तो वहीं बांस से भी ऑर्गेनिक ग्लास बनाए जा रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/empics/D. Thompson
घोल कर पी जाओ
इंडोनेशिया की एक कंपनी अवनी ने ऐसे थैले तैयार किए हैं जो देखने में बिलकुल प्लास्टिक की पन्नियों जैसे ही नजर आते हैं. लेकिन दरअसल ये कॉर्नस्टार्च से बने हैं. इस्तेमाल के बाद अगर इन्हें इधर उधर कहीं फेंक भी दिया जाए तो भी कोई बात नहीं क्योंकि ये पानी में घुल जाते हैं. कंपनी का दावा है कि इन्हें घोल कर पिया भी जा सकता है.
तस्वीर: Avani-Eco
अपना अपना ग्लास
भाग दौड़ की दुनिया में बैठ कर चाय कॉफी पीने की फुरसत सब लोगों के पास नहीं है. ऐसे में रास्ते में किसी कैफे से कॉफी का ग्लास उठाया, जब खत्म हुई तो कहीं फेंक दिया. इसे रोका जाए, इसके लिए बर्लिन में ऐसा प्रोजेक्ट चलाया जा रह है जिसके तहत लोग एक कैफे से ग्लास लें और जब चाहें अपनी सहूलियत के अनुसार किसी दूसरे कैफे में उसे लौटा दें.
तस्वीर: justswapit
क्या जरूरत है?
ये छोटे से ईयर बड समुद्र में पहुंच कर जीवों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. समुद्री जीव इसे खाना समझ कर खा जाते हैं. यूरोपीय संघ इन पर भी रोक लगाने के बारे में सोच रहा है. इन्हें बांस या कागज से बनाने पर भी विचार चल रहा है. लेकिन पर्यावरणविद पूछते हैं कि इनकी जरूरत ही क्या है. लोग नहाने के बाद अपना तौलिया भी तो इस्तेमाल कर सकते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/Wildlife Photographer of the Year /J. Hofman
8 तस्वीरें1 | 8
जर्मनी की ज्यादातर दुकानों में अब पॉलिथिन के लिए एक्स्ट्रा पैसा देना पड़ता है. सुपर मार्केट में प्लास्टिक के साथ ही कागज के मजबूत थैले और कपड़े के बैग भी उपलब्ध रहते हैं. कागज और कपड़े के बैग प्लास्टिक की तुलना में ज्यादा महंगे होते हैं, लेकिन इस बीच लोग इनका इस्तेमाल करने लगे हैं.
पूरी दुनिया की बात करें तो प्लास्टिक बैग की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है. बड़ी आबादी भी इसकी वजह है. प्रति व्यक्ति प्लास्टिक बैग के लिहाज से अमेरिका में स्थिति सबसे ज्यादा बुरी है. अमेरिका में लोग सबसे ज्यादा पॉलिथिन इस्तेमाल करते हैं.
जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के लिहाज से देखें तो प्लास्टिक सबसे बड़ा खतरा बन चुका है. हर साल अरबों टन प्लास्टिक नदियों के जरिए महासागरों में घुल रहा है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि 2050 तक महासागरों में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक मौजूद होगा. मिट्टी और पानी में घुले प्लास्टिक के बेहद सूक्ष्म कण इंसान समेत बाकी जीवों के आहार का हिस्सा भी बन रहे हैं.
यही वजह है कि अब दुनिया भर में एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी हो रही है. यूरोपीय संघ जल्द से जल्द यह बैन लागू करना चाहता है. वहीं भारत में भी सरकार 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की योजना बना रही है.
ओएसजे/एमजे (डीपीए)
देखिए प्लास्टिक की नदियां
प्लास्टिक की नदियां
महासागरों में प्लास्टिक के कचरे के द्वीप बन रहे हैं. और यह प्लास्टिक इन 10 नदियों से बहता हुआ सागरों में समा रहा है.
तस्वीर: Imago/Xinhua/Guo Chen
10. मेकॉन्ग
दक्षिण पूर्वी एशिया की यह नदी वियतनाम समेत छह देशों की जीवनधारा है. मेकॉन्ग डेल्टा पर करीब दो करोड़ लोग रहते हैं. मेकॉन्ग में हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक बहता है. और अंत में यह समंदर में पहुंचता है.
तस्वीर: Imago/Xinhua
9. नाइजर
नाइजर पश्चिमी अफ्रीका की मुख्य नदी है. इस नदी पर करीब 10 करोड़ लोग निर्भर है. अंटलांटिक में गिरने से पहले ये नदी पांच देशों से गुजरती है. इसमें प्लास्टिक और बड़ी मात्रा में तेल घुला रहता है.
तस्वीर: Getty Images
8. आमूर
पूर्वोत्तर चीन की यह नदी जब तक पहाड़ों में रहती है, तब तक साफ बनी रहती है. रूस और चीन की सीमा को बांटने वाली यह नदी प्लास्टिक के कचरे के मामले में आठवें नंबर पर है.
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress/Chu Fuchao
7. पर्ल
चीन की पर्ल नदी गंदगी के लिए बदनाम है. इस नदी के किनारे अथाह शहरीकरण हुआ और फिर कूड़ा व सीवेज पर्ल में समाता गया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Goh Chai Hin
6. गंगा
भारत में मां कहकर पुकारी जाने वाली गंगा नदी 60 करोड़ से ज्यादा लोगों को जीवन देती है. लेकिन औद्योगिक कचरे, प्लास्टिक और सीवेज ने गंगा को बीमार कर रखा गया. यह दुनिया की सबसे दूषित नदियों में से एक है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia
5. नील
11 देशों और 36 करोड़ लोगों को पालने वाली नील नदी करोड़ों टन प्लास्टिक समंदर तक ले जा रही है. प्लास्टिक बहाव के मामले में यह पांचवें नंबर पर है.
तस्वीर: Imago/Zumapress
4. हाई
चीन की एक और नदी हाई इस मामले में चौथे नंबर पर है. यह दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में शुमार बीजिंग और तियानजिन को जोड़ती है.
तस्वीर: Imago/Zumapress/Feng Jun
2. सिंधु
एशिया की सबसे लंबी नदियों में शामिल सिंधु नदी भी प्लास्टिक की वजह से बुरी तरह दूषित है. जर्मनी के हेल्महोल्ज सेंटर ऑफ एनवॉयरन्मेंट रिसर्च के मुताबिक महासागरों तक जाने वाला 90 फीसदी प्लास्टिक इन्हीं 10 नदियों में बहता है.
तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Images
3. यलो रिवर
चीन की पीली नदी में अब मछलियों की कई प्रजातियां नहीं मिलतीं. ये प्रजातियां प्रदूषण के कारण खत्म हो चुकी हैं. पीली नदी के पानी में भारी मात्रा में प्लास्टिक मिला है. इसका पानी सिंचाई के लायक भी नहीं है.
तस्वीर: Teh Eng Koon/AFP/Getty Images
1. यांगत्से
एशिया की सबसे लंबी और विश्व की तीसरी लंबी नदी यांगत्से प्लास्टिक के कचरे के मामले में पहले नंबर पर है. आलोचकों के मुताबिक चीन के अंधाधुंध आर्थिक विकास की कीमत इन नदियों और महासागरों ने चुकायी है. (रिपोर्ट: जेनिफर कॉलिंस/ओएसजे)