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सिंगूर: लंबा होता इंतजार

२६ मई २०१२

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धीरे धीरे किसानों की हमदर्दी खोने लगी है. सिंगूर के किसानों को वह एक हजार रुपये मासिक भत्ता देने का एलान कर चुकी है. किसान पूछ रहे हैं कि क्या एक हजार में महीना काटा जा सकता है.

Bannerjeeतस्वीर: DW

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी धीरे धीरे किसानों की हमदर्दी खोने लगी है. जमीन छिनने से नाराज सिंगूर के किसानों को वह एक हजार रुपये मासिक भत्ता देने का एलान कर चुकी है. किसान पूछ रहे हैं कि क्या एक हजार में महीना काटा जा सकता है.

यह शायद पहला मौका है जब किसी सरकार ने राज्य की पूर्व सरकार की ओर से किसानों की अधिग्रहीत जमीन वापस नहीं करने तक उनको एक हजार रुपये महीने का भत्ता देने का एलान किया है. पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने अपना एक साल का कार्यकाल पूरा होने के मौके पर सिंगूर के उन अनिच्छुक किसानों को यह भत्ता देने का फैसला किया है जिनकी जमीन जबरन टाटा परियोजना के लिए ली गई थी और जिन लोगों ने जमीन के एवज में मुआवजा नहीं लिया था. ममता ने सत्ता में आने के बाद इन किसानों की जमीन वापस करने के लिए एक विधेयक तैयार किया था. लेकिन उसकी वैधता के सवाल कलकत्ता हाईकोर्ट में मामला चल रहा है. सिंगूर के लोगों को बेसब्री से इस मामले पर फैसले का इंतजार है. वे सरकार की ओर घोषित भत्ते से भी खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि जमीन वापस मिलती तो उसे बेचकर जो रकम मिलती उसका ब्याज ही इससे कई गुना ज्यादा मिलता.

तस्वीर: DW

किसानों में हताशा

सिंगूर के किसानों की अधिग्रहीत जमीन लौटाने के वादे के साथ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लगभग एक साल पहले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. अब जब ममता को अपनी कुर्सी संभाले एक साल पूरा हो गया है, सिंगूर इलाके में अब हताशा व नाराजगी पसरी है. स्थानीय लोगों को सिंगूर जमीन पुनर्वास और विकास अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है. सरकार ने किसानों की चार सौ एकड़ जमीन लौटाने के लिए उक्त अधिनियम बनाया था. लेकिन फिलहाल यह मामला अदालत में है. अब गर्मी की छुट्टियों के बाद जून में अदालत खुलने पर इस मामले पर फैसला होने की उम्मीद है.

साल भर पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता ने किसानों की अधिग्रहीत जमीन लौटाने के लिए जब उक्त अधिनियम बनाया था तो सिंगूर के लोगों में उम्मीद की एक नई किरण पैदा हुई थी. ममता आरोप लगाती रही हैं कि वाममोर्चा सरकार ने लगभग चार सौ एकड़ जमीन का जबरन अधिग्रहण किया था. लेकिन बाद में कई लोग अपने बयान से पलट गए. अब जिन तीन हजार लोगों ने इस उम्मीद में वाममोर्चा सरकार के जमाने में मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था, वह बेहद चिंतित हैं. उनको न तो जमीन मिली और न ही उसकी एवज में मुआवजे की रकम. अब उनका धैर्य और ममता के प्रति भरोसा खत्म हो रहा है.

ममता की टीस

ममता कहती हैं कि अपने कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर उनको सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि वह सिंगूर के किसानों से किया गया अपना वादा अब तक पूरा नहीं कर सकी हैं. वह कहती हैं, "सिंगूर के लोग लंबे समय से अपनी जमीन वापस पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. सरकार ने वह जमीन वापस ली है लेकिन मामला अदालत में होने की वजह से किसानों को जमीन नहीं लौटाई जा सकी है. इसलिए अदालत का फैसला नहीं आने तक ऐसे किसानों को सरकार की ओर से हर महीने एक हजार रुपये की दर से भत्ता दिया जाएगा."

किसानों का दर्दतस्वीर: DW

भत्ता या मजाक

टाटा की नैनो परियोजना के लिए सरकार ने प्रताप घोष की 12 बीघा जमीन ले ली थी. वह कहते हैं कि अगर दीदी हमारी जमीन नहीं लौटाती है तो यह हमारे साथ भारी विश्वासघात होगा. घोष कहते हैं, "अदालत का फैसला चाहे जो भी हो, स्थानीय किसान अपनी जमीन को कब्जे में लेने के लिए कृतसंकल्प हैं. हम अदालती फैसले का इंतजार कर रहे हैं. उसके बाद अपनी एक एक जमीन को कब्जे में ले लेंगे."

स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता महादेव दास को भी अपनी 11 बीघा जमीन से हाथ धोना पड़ा था. उन पर सिंगूर आंदोलन के दौरान कई मामले भी दर्ज हुए थे. दास कहते हैं कि टाटा समूह भले ही ताकतवर हो, वह हमसे हमारी जमीन नहीं छीन सकता. हम तमाम कानूनी बाधाओं से जूझते हुए अपनी जमीन जरूर वापस ले लेंगे. कभी पांच बीघे की मालकिन रही संध्या दास के दोनों बेटों को अब गुजारे के लिए कोलकाता में मजदूरी करनी पड़ती है. वह सवाल करती है, "इस महंगाई में एक हजार रुपये में क्या होगा? जमीन मिल जाती तो आसानी से गुजर-बसर हो जाता."

टाटा ने इलाके में हिंसा व आंदोलन के बाद अक्तूबर, 2008 में सिंगूर में अपनी नैनो परियोजना को स्थगित कर दिया था और इसे गुजरात शिफ्ट कर दिया गया. ममता की अगुवाई में स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया था कि लगभग चार सौ एकड़ जमीन का अधिग्रहण जबरन किया गया था. उनका कहना था कि यह चार सौ एकड़ जमीन लौटाने के बाद ही टाटा वहां अपनी परियोजना लगा सकता है.

वादे पूरा करने का दावा

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार के कामकाज का एक साल पूरा होने के मौके पर राज्य में सप्ताहव्यापी प्रगति उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस मौके पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में आयोजित एक समारोह में जाने माने फिल्मकार गौतम घोष और पूर्व अभिनेत्री सुचित्रा सेन समेत विभिन्न क्षेत्र की जानी मानी हस्तियों को बंगविभुषण और बंगभूषण सम्मान से सम्मानित किया. ममता दावा करती हैं कि उन्होंने सत्ता में आने से पहले जो वादे किए थे, उनमें से सिंगूर को छोड़ कर बाकी वादे पूरे हो गए हैं. जंगलमहल के नाम से कुख्यात माओवादी असर वाले इलाकों में शांति बहाल हो गई है और वहां विकास कार्य शुरू हो गया है. सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर ही पश्चिम मेदिनापुर जिले के झाड़ग्राम इलाके में सात कट्टर माओवादियों ने पुलिस के समक्ष हथिय़ार डाल दिए. इनमें शीर्ष माओवादी नेता किशनजी का अंगरक्षक भी शामिल था. मुख्यमंत्री कहती हैं कि जंगलमहल में पिछले एक साल में 23 माओवादी हथियार डाल चुके हैं. इलाके में हत्या और दूसरी हिंसक वारदातें पूरी तरह खत्म हो गई हैं.

रिपोर्ट: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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