सिक्किम में 300 हिमालयी याकों की मौत
१४ मई २०१९ये याक भारत और चीन सीमा के पास हिमालय की एक दूरदराज की घाटी में मारे गए. अधिकारियों का कहना है कि उन्हें दिसंबर के महीने में मुकुथांग घाटी में 50 लोगों के फंसे होने की खबर मिली थी. भारी बर्फबारी के कारण ये लोग बाकी दुनिया से कट गए थे. उन्होंने अधिकारियों से मदद मांगी थी ताकि वे अपने लगभग डेढ़ हजार याकों को चारा खिला सकें. इस इलाके में याक दूध, दुग्ध उत्पाद और ऊन के साथ साथ सामान ढोने के काम भी आते हैं.
एक स्थानीय अधिकारी राज कुमार यादव ने एएफपी को बताया, "हमने इन लोगों तक पहुंचने की बहुत कोशिश की लेकिन हम नाकाम रहे. खराब मौसम की वजह से उन तक सड़क या हवाई, किसी भी रास्ते से पहुंचना संभव नहीं था. अब हम वहां पहुंच पाए हैं और पहले ही 300 याकों के मारे जाने की पुष्टि कर चुके हैं."
उन्होंने बताया, "स्थानीय परिवारों का कहना है कि भुखमरी के कारण कम से कम 500 याक मारे गए हैं. हम इसकी पुष्टि करने की कोशिश कर रहे हैं. लगभग 50 याकों का इलाज चल रहा है."
पर्यटन आधारित इस इलाके की अर्थव्यवस्था के लिए याक बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. खराब मौसम की वजह से इस इलाके में कुछ याक तो हर साल मारे जाते हैं, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में उनका मरना बेहद चिंता की बात है. यादव कहते हैं, "मौसम बहुत ही खराब था. दिसंबर में लगातार भारी बर्फबारी हुई जिसकी वजह से घास उग ही नहीं पाई. ऐसे में सर्दी और भुखमरी के कारण उनकी मौतें हुईं."
अधिकारी याकों को दफनाने की व्यवस्था कर रहे हैं और स्थानीय परिवारों की मदद कर रहे हैं. मुकुथांग, सिक्किम की राजधानी गंगटोक से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. यादव ने बताया कि सरकार प्रति याक 30 हजार रुपये का मुआवजा देगी और हर परिवार को तीन याक तक मुआवजा मिल सकता है.
सिक्किम की एक पर्यावरणविद ऊषा लाचुंगपा कहती हैं कि इस इलाके में याकों की आबादी को पहले के स्तर पर लाने में लंबा समय लगेगा. याकों की कमी से यहां रहने वाले आम लोगों का जीवन भी प्रभावित होगा, जिनकी जिंदगी और रोजी रोटी बहुत हद तक इस जीव पर निर्भर हैं. इसके अलावा यहां के लोग बकरियां और भेड़ भी पालते हैं.
एके/एनआर (एपी, एएफपी)