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सिगरेट की डिबिया भी डराएगी

३१ मई २००९

भारत में आज से सिगरेट के ऐसे डिब्बे बेचे जाएंगे, जिनमें ख़तरनाक तस्वीरें छपी होंगी. डब्ल्यूएचओ ने भी डिब्बों पर ऐसी तस्वीरें छापने की अपील की है. तस्वीर जितनी डरावनी होगी, सिगरेट छोड़ने की कोशिश उतनी बड़ी हो सकती है.

सिगरेट-मौत का मसीहातस्वीर: AP

रविवार 31 मई का दिन सिगरेट बीड़ी या तंबाकू छोड़ने के लिए अच्छा दिन हो सकता है. यह नो टोबैको डे यानी तंबाकू को न कहने का दिन है. भारत में आज से सिगरेट के डिब्बों पर ख़तरनाक तस्वीरें होंगी, जिनमें सिगरेट पीने से पीले पड़ चुके दांत, काले पड़ चुके मसूढ़े, गले में दिखता कैंसर और दिमाग़ से रिसता ख़ून. सिगरेट बीड़ी पर अंकुश लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूटीओ ने दुनिया भर से अपील की है कि वो सिगरेट बीड़ी के डिब्बों पर ऐसी तस्वीरें ज़रूर जारी करे. कई सर्वे में यह बात सामने आ चुकी है कि ऐसी ख़तरनाक और डरावनी तस्वीरें लोगों को चिंतित करती हैं. कई देशों में पहले ही ऐसी तस्वीरों वाली सिगरेट की डिब्बियां बिकने लगी हैं. यूनाइटेड किंगडम के डॉक्टर मणिराज का कहना है कि सबसे ज़्यादा ख़तरा दिल की बीमारी का होता है.

सिगरेट पीने से हो सकती है मौततस्वीर: picture-alliance/ dpa

बार बार कहा सुना जाता है कि हर सिगरेट के साथ ज़िन्दगी पांच मिनट कम हो जाती है, फिर भी डिबिया से अगली सिगरेट निकल ही जाती है. हम यह भी जानते हैं कि हर साल पचास लाख लोगों की मौत सिगरेट पीने से हो जाती और सिगरेट कैंसर की सबसे बड़ी वजह है. बेवक्त मौत की सबसे बड़ी वजह तंबाकू और सिगरेट ही है. शायद डिब्बों पर ख़तरनाक तस्वीरें एक बार सिगरेट पीने वाले को डराने या यूं कहें समझाने में कामयाब हो पाएं और वो सिर्फ़ अपने नहीं दूसरों के बारे में भी सोच पाएं.

सिगरेट बीड़ी पीने से जुड़े कुछ अहम पहलूः

- दुनिया में लगभग एक अरब दस करोड़ लोग सिगरेट बीड़ी पीते हैं. यानी लगभग हर छठा आदमी.

- संभावना है कि 2025 तक यह संख्या बढ़ कर एक अरब 60 करोड़ हो जाएगी.

सिगरेट न पीएंतस्वीर: Ognjen Alujevic

- हर मिनट दुनिया भर में लगभग एक करोड़ सिगरेट ख़रीदी जाती है.

- सिगरेट दुनिया में बेवक्त मौत की सबसे बड़ी वजह है. तंबाकू सेवन से कैंसर का ख़तरा बहुत बढ़ जाता है.

- दुनिया का हर पांचवां बच्चा 13 साल की उम्र में ही सिगरेट पीना शुरू कर देता है.

- दुनिया भर में हर आठ सेंकड पर सिगरेट की वजह से एक मौत हो जाती है. यानी पचास लाख लोगों की मौत हर साल तंबाकू की वजह से हो जाती है.

- पैसिव स्मोकिंग यानी दूसरों के सिगरेट पीने से होने वाला नुक़सान भी कैंसर की बड़ी वजह बन सकती है.

आम तौर पर सिगरेट पीने वालों के बीच यह जुमला कहा जाता है कि कल से छोड़ दूंगा. डॉक्टरों का कहना है कि यहीं लापरवाही होती है. कल से नहीं, आज से छोड़िए. आज से नहीं, अभी से छोड़िए. किसी इलाज की ज़रूरत नहीं, चाहिए सिर्फ़ पक्का इरादा.

फ़ैशन या दूसरों की देखा देखी शुरू की गई सिगरेट कब आदत और आदत से कब मजबूरी बन जाती है, पता ही नहीं चलता. डॉक्टरों का कहना है कि कड़े क़ानून के साथ प्यार से कहे गए दो बोल भी सिगरेट की लत छुड़ा सकती है.

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