पश्चिम में धूम्रपान करने वाले किशोरों की संख्या तेजी से कम हुई है. लेकिन भारत में इसका उल्टा हो रहा है. किशोर, तनाव और पहचान के संकट के बीच जूझ रहे हैं.
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देश के 50 फीसदी से भी अधिक किशोर-किशोरियां धूम्रपान करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि यह तनाव को कम करता है, साथ ही धूम्रपान से साथियों के बीच उनकी 'कूल' इमेज बनती है. एक सर्वेक्षण से यह जानकारी मिली है. सर्वेक्षण के नतीजों में कहा गया है कि 52 फीसदी से अधिक किशोर-किशोरियों का मानना है कि धूम्रपान से एकाग्रता बढ़ाने में मदद मिलती है.
सर्वेक्षण में शामिल करीब 90 फीसदी किशोर-किशोरियों का मानना था कि अगर उनके माता-पिता ने रोकटोक नहीं की तो वे धूम्रपान जारी रखेंगे. जबकि 80 फीसदी से ज्यादा किशोर-किशोरियों का कहना था कि कम से कम एक धूम्रपान में कोई बुराई नहीं है.
सिगरेट छोड़ें और फर्क महसूस करें
सिगरेट में 200 से ज्यादा विषैले तत्व होते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. अच्छी खबर यह है कि सिगरेट छोड़ने के थोड़ी देर बाद ही शरीर स्वस्थ होने लगता है.
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बिना सिगरेट के 20 मिनट
आखिरी सिगरेट के 20 मिनट बाद नब्ज की दर और रक्तचाप दोबारा सामान्य हो जाते हैं. सिगरेट पीने के दौरान यह बढ़ जाता है क्योंकि निकोटिन अनुकंपी तंत्रिका तंत्र को सक्रिय कर देता है.
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बिना सिगरेट के 12 घंटे
सिगरेट छोड़ने के 12 घंटे बाद खून में मोनोऑक्साइड का स्तर गिर जाता है और खून में ऑक्सीजन का स्तर सामान्य हो जाता है. कार्बन मोनोऑक्साइड लाल रक्त कोशिकाओं के हीमोग्लोबिन में मिल जाती है, जिसके चलते प्रभावित कोशिकाएं पूरी मात्रा में ऑक्सीजन नहीं ले जा पातीं.
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बिना सिगरेट के दो दिन
आखिरी सिगरेट पीने के दो दिन बाद गंध और स्वाद की समझ सामान्य होने लगती है. यह धूम्रपान के कारण प्रभावित होते हैं. धूम्रपान नहीं करने वालों के मुकाबले धूम्रपान करने वालों में हार्ट अटैक की दर 70 फीसदी अधिक है.
बिना सिगरेट के तीन दिन
सिगरेट छोड़ने के तीन दिन बाद श्वासनली आराम महसूस करती है और सांस लेना आसान हो जाता है. इस दौरान शरीर पूरी तरह से निकोटीन मुक्त हो जाता है. सिगरेट छोड़ने के बाद कई बार जोर की तलब मचती है, इसलिए निकोटीन का लक्षण विशेष रूप से दिखता है.
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बिना सिगरेट के कुछ महीने
सिगरेट छोड़ने के कुछ महीने बाद शरीर में रक्त सप्लाई बेहतर हो जाती है. फेफड़ों द्वारा ऑक्सीजन लेना 30 फीसदी तक बढ़ जाता है. खांसी का दौरा भी कम हो जाता है क्योंकि फेफड़ों के भीतर सिलिया दोबारा से उग जाते हैं. सिलिया का काम बाहरी पदार्थों की सफाई का होता है.
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बिना सिगरेट के एक, दस, 15 साल
सिगरेट छोड़ने के एक साल बाद दिल की बीमारी का जोखिम 50 फीसदी कम हो जाता है. फेफड़ों के कैंसर से मौत का जोखिम आधा हो जाता है. सिगरेट छोड़ने के 15 साल बाद कोरोनरी हृदय रोग का जोखिम उतना ही होता है जितना उसको होता है जिसने कभी सिगरेट ही नहीं पी.
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फोर्टिस हेल्थकेयर के निदेशक (मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान विभाग) समीर पारिख का कहना है, "धूम्रपान समाज को तबाह कर रहा है और हम ऐसे युग में जी रहे हैं, जहां युवा समूहों में धूम्रपान व अन्य जोखिम भरे व्यवहार स्वीकार्य हैं."
इनके अलावा 87 फीसदी किशोर-किशोरियों ने कहा कि फिल्मों में कलाकारों के धूम्रपान करने से इसे बढ़ावा मिलता है, जबकि 78 फीसदी किशोर-किशोरियों ने कहा कि धूम्रपान के खिलाफ अभियान में सेलेब्रिटी दिग्गजों के शामिल होने से उन्हें इसे छोड़ने में मदद मिलती है.
वहीं, 60 फीसदी से ज्यादा किशोर-किशोरियों का मानना है कि धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों के बारे में चेतावनी दिखाने से इसकी रोकथाम में मदद मिलती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, धूम्रपान के कारण हर साल 70 लाख लोगों की मौत होती है.
द लेंसेट नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, दुनिया में 2015 में हुई 64 लाख मौतों में धूम्रपान के कारण 11 फीसदी मौतें हुईं, जबकि चीन, भारत, रूस और अमेरिका में 52.2 फीसदी मौतें धूम्रपान के कारण हुईं. धूम्रपान के कारण होनेवाली 90 फीसदी मौतें फेफड़ों के कैंसर के कारण होती हैं, जबकि 80 फीसदी मौतें क्रोनिक ऑबस्ट्रकटिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीसी) और करीब 17 फीसदी मौतें हृदय रोग के कारण होती हैं.
(तंबाकू से दूर भागने वाले देश)
कौन बनेगा दुनिया का पहला तंबाकू मुक्त देश
फिनलैंड दुनिया का पहला तंबाकू फ्री देश बनाना चाहता है. देखिये तंबाकू के खिलाफ कैसे अभूतपूर्व कदम उठा रहा है फिनलैंड.
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बालकनी में बैन
सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक लगाने के बाद फिनलैंड ने घर की निजी बालकनी में सिगरेट, सिगार या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर पीने पर आंशिक रोक लगा दी है. बालकनी में सिगरेट पी जा सकती है, लेकिन धुआं किसी और की बालकनी या किसी व्यक्ति की तरफ नहीं जाना चाहिए.
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कार में भी रोक
अगर कार में 15 साल की उम्र से छोटा बच्चा बैठा है तो भी धूम्रपान करना गैरकानूनी होगा. वाहन में बैठा कोई दूसरा व्यक्ति अगर आपत्ति जताए तो भी तंबाकू फूंकना बंद करना होगा.
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24 घंटे का नियम
फिनलैंड में सिगरेट बहुत महंगी है. देश में रहने वाला व्यक्ति एक बार में दूसरे यूरोपीय देश से एक किलोग्राम तंबाकू ही खरीद सकता है. लेकिन तंबाकू खरीदने के लिए उसे कम से कम 24 घंटे फिनलैंड से बाहर रहना होगा.
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ई-सिगरेट पर भी सख्ती
वनीला या मैन्थॉल फ्लेवर वाली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर भी सामान्य सिगेरट, सिगार, चबाने वाले तंबाकू और स्प्रे टोबैको जैसी ही पाबंदियां लगाई गई हैं. बिना निकोटिन वाली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी इस श्रेणी में रखी गई हैं.
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कोई विज्ञापन नहीं
टीवी, अखबार, पत्रिकाओं में तंबाकू उत्पादों का कोई विज्ञापन नहीं दिखाया जाएगा. पोस्टर भी नहीं लगाए जाएंगे.
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भूटान की भी ऐसी ही कोशिश
भारत के पड़ोसी देश भूटान ने भी 2005 में तंबाकू की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी. लेकिन तस्करी के चलते ये रोक कामयाब नहीं रही. इसी वजह से 2011 में कड़ा तंबाकू कंट्रोल एक्ट पास किया गया. धूम्रपान करने वाले नागरिकों को भारत से एक महीने में 200 सिगरेट लाने की छूट है.
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तंबाकू मुक्त देश का मतलब
ऐसा देश जहां की 98 फीसदी से ज्यादा आबादी तंबाकू का सेवन न करती हो, उसे तंबाकू मुक्त देश कहा जाता है.