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सिगरेट छूटेगी या नहीं, बताएगी एमआरआई

३१ जनवरी २०११

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक तरीका ढूंढ निकाला है जिससे ये पता चल सके कि सिगरेट पीने वाले अगर ये आदत छोड़ना चाहें तो उन्हें अपनी कोशिश में कितनी सफलता मिलेगी.

तस्वीर: BilderBox

भारी मात्रा में सिगरेट पीने वाले 28 लोगों पर इस प्रयोग को आजमाया गया. ये लोग सिगरेट छुड़ाने वाले एक कार्यक्रम का हिस्सा बने. सोमवार को हेल्थ साइकोलॉजी में इस बारे में रिपोर्ट छपी है. रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी लोगों को सिगरेट छुड़ाने वाले विज्ञापनों की एक सीरीज दिखाई गई. इस दौरान उनके मस्तिष्क में चल रही गतिविधियों की एमआरआई के जरिए पड़ताल जारी थी.

हर विज्ञापन के बाद रिसर्च करने वालों ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि सिगरेट छोडऩे के उनके इरादे पर इसका क्या असर हुआ. क्या उनका आत्मविश्वास बढ़ा या फिर इसमें कमी आई. इसके साथ ही ये भी जानने की कोशिश की गई कि विज्ञापन से लोग खुद को कितना जोड़ पाए. प्रयोग के दौरान रिसर्च करने वालों ने देखा कि जिन लोगों के मस्तिष्क के बाहरी हिस्से में मध्यवर्ती ललाट से पहले सक्रियता दिखी उन लोगों के सिगरेट पीने की आदत में काफी कमी आई. लोगों ने विज्ञापन देखने के बाद उसके बारे में क्या कहा इसका इस कमी पर कोई असर नहीं हुआ.

तस्वीर: AP

रिसर्च करने वाली एमिली फाक कहती हैं, "दिलचस्प बात ये रही कि किसी के दिमाग में विज्ञापन देखते वक्त क्या चल रहा है इतना जानकर हम भविष्य में उनके व्यवहार को जान सकते हैं. पहले तो हमें बस उनके अपने आकलनों पर ही निर्भर रहना पड़ता था कि वो अपने इरादों में कितना कामयाब होंगे. दिमाग की सक्रियता हमें वो जानकारी दे सकती है जो हमारी अंतरदृष्टि से नहीं मिलती."

फाक ने बताया कि अगला रिसर्च इस बारे में होगा कि किस तरह के संदेश विज्ञापन देखने वाले दिमाग की सक्रियता पर ज्यादा असरदार होंगे. ये रिसर्च नेशनल साइंस फाउंडेशन और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने कैर्लिफोनिया के लॉस एंजिल्स में कराया.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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