1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सिडनी में भी फिसड्डी टीम इंडिया

३ जनवरी २०१२

साल बदला लेकिन विदेशी धरती पर भारतीय क्रिकेट टीम का प्रदर्शन नहीं. सिडनी टेस्ट में पूरी पारी सिर्फ 191 रन पर ढेर हो गई. कभी 300 तक नहीं पहुंचने वाली टीम इंडिया तो लग रहा है कि अब 200 को ही अपना आदर्श स्कोर तय कर लिया है.

तस्वीर: AP

भारत में पौ फटने से पहले भारतीय पारी ढल चुकी थी. भारत और दुनिया के दूसरे हिस्सों में क्रिकेट प्रेमी जब साल के पहले खेल में भारत की बल्लेबाजी देखने उठे, उन्होंने सिर पीट लिया. हर बार की तरह इस बार भी बल्लेबाजी चरमरा गई और चार बल्लेबाज खाता भी नहीं खोल पाए. बीसियों साल से कागज पर सबसे मजबूत बल्लेबाजी सिडनी के ग्राउंड में कागजी शेर साबित हुई. टीम 191 रन पर आउट हो गई. पहले दिन ही हार का खतरा मंडराने लगा और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा के चेहरे पर मुस्कान छा गई.

मैक्ग्रा का दावा है कि उनकी ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत को 4-0 से हराएगी. भले ही क्रिकेट के पंडित इसे मैक्ग्रा का बड़बोलापन बता रहे हों लेकिन फिलहाल तो मैक्ग्रा गलत साबित होते नहीं दिख रहे हैं.

तस्वीर: AP

सिडनी ग्राउंड पर एक बार फिर गेंदबाजों ने चिल्ला चिल्ला कर यह भी कह दिया कि क्रिकेट उनका भी खेल है, सिर्फ बल्लेबाजों का नहीं. पहले ऑस्ट्रेलिया जेम्स पैटिनसन और बेन हिल्फेनहाउस ने और बाद में जहीर खान ने. दिन भर में 13 विकेट गिर गए. सवा सौ साल के क्रिकेट इतिहास में पता नहीं कितनी बार गेंदबाजों को यह बात साबित करनी पड़ी है लेकिन इतिहास सिर्फ बल्लेबाजों को याद रखना चाहता है.

भारतीय पारी की भारी शर्मिंदगी के बाद जहीर खान ने ऑस्ट्रेलिया को भी दम साधने पर मजबूर कर दिया जब उसके तीन विकेट सिर्फ 37 रन पर गिर गए. लेकिन ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने खुद को भारतीय बैट्समैन की तरह निकम्मा साबित नहीं होने दिया और बता दिया कि अनुभव कितना काम आती है. जहीर खान जब हैट ट्रिक लेने के कगार पर थे, तो उनके सामने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग आए. पोंटिंग ने न सिर्फ जहीर को आसानी से झेल लिया, बल्कि खेल आगे बढ़ाते हुए भारतीय गेंदबाजों का दबाव भी कम कर दिया और पहले दिन का खेल खत्म होने तक मेजबान टीम ने तीन विकेट पर 116 रन बना लिए. पोंटिंग 44 पर और उनके सामने कप्तान माइकल क्लार्क 47 रन पर खेल रहे हैं. क्लार्क सिडनी के सौवें मैच में एक शतक देखना चाहते हैं. सचिन का नहीं, रिकी पोंटिंग का.

इससे पहले भारतीय टीम की कहानी मेलबर्न से ज्यादा फर्क नहीं दिखी. पारी की तीसरी गेंद पर गंभीर शून्य पर आउट हो गए. सामने खड़े वीरू हर गेंद पर आउट होने को उतावले दिखते रहे लेकिन किस्मत के भरोसे क्रीज पर कुछ देर टिके. 30 रन के कुल योग पर द्रविड़ पांच रन बना कर आउट हो गए और उसके बाद सहवाग का नंबर लग गया. लक्ष्मण दो रन के रहे और विराट कोहली 23 के. कोहली की जगह रोहित को टीम में न लेने का फैसला भारी पड़ा.

दुनिया जिस शख्स के सैकड़े का इंतजार कर रही है, उसने अच्छी बल्लेबाजी की लेकिन सिर्फ 41 रन के लिए. सिडनी को अपना पसंदीदा ग्राउंड बताने वाले सचिन तेंदुलकर को सामने से साथ नहीं मिल पाया और वह खुद भी धैर्य नहीं रख पाए. भले ही इस ग्राउंड पर उनका औसत 200 रन से ज्यादा का होगा लेकिन इस दौरे में तो ऐसा होता नहीं दिख रहा है. उनके सौवें शतक का इंतजार अभी और लंबा होता दिख रहा है. अलबत्ता, सिडनी में उन्हें एक मौका और मिलेगा क्योंकि भारत को हर हाल में दूसरी पारी में बैटिंग करनी होगी.

कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी का सही फैसला किया, बल्लेबाजों ने जो किया, वह सही नहीं था. धोनी ने सबसे ज्यादा नाबाद 57 रन बनाए. इंग्लैंड के पिछले दौरे में लगता था कि भारतीय टीम ने 300 को अपना लक्ष्य स्कोर बना दिया है. इस दौरे में तो लग रहा है कि उसने इसे और घटा कर सिर्फ 200 रन कर दिया है. तीन में से दो पारियों में टीम इंडिया 200 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः महेश झा

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें