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सियाचिन पर साझा राय की कोशिश

११ मई २०१२

पाकिस्तान ने कहा है कि वह जून में भारत के साथ विवादास्पद सियाचिन ग्लेशियर पर बातचीत करेगा. बैठक 11 और 12 जून को इस्लामाबाद में होगी.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान ने कहा है कि जून में भारत के साथ होने वाली बातचीत में विवादास्पद सियाचिन ग्लेशियर का मुद्दा भी उठेगा. दोनों देशों के रक्षा सचिवों की तेरहवीं बैठक 11 और 12 जून को इस्लामाबाद में होगी.

भारत और पाकिस्तान के बीच अस्सी के दशक से ही सियाचिन ग्लेशियर को ले कर विवाद रहा है. कश्मीर की वादियों में स्थित इस ग्लेशियर पर दोनों देशों की सेनाएं तैनात हैं. कड़कती सर्दी में सेनाओं को तैनात करना लम्बे समय से बहस का विषय बना हुआ है. लेकिन पिछले महीने बर्फ की चट्टान के गिरने से पाकिस्तानी सैनिकों सहित 140 लोगों की मौत होने के बाद यह बहस और तेज हो गई है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोअज्जम अहमद खान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "सियाचिन भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता का हिस्सा है और रक्षा सचिव के स्तर पर इस्लामाबाद में सियाचिन पर बातचीत होगी." बैठक के बारे में खान ने कहा, "हम चाहते हैं कि बातचीत सार्थक हो, इस से सभी मुद्दे हल हो सकें और हम किसी नतीजे पर पहुंच सकें. सियाचिन एक ऐसा मुद्दा है जो दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है."

तस्वीर: AP

7 अप्रैल को हुई घटना के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी ने पाकिस्तान और भारत के बीच शांति स्थापित करने पर जोर देते हुए ग्लेशियर से सेना को पूरी तरह हटाने की बात कही थी. सियाचिन ग्लेशियर पर हुए हादसे में 129 पाकिस्तानी सैनिक और 11 नागरिकों की मौत हुई. इस हादसे में मारे गए कई लोगों के शव भी नहीं मिले हैं.

इस से पहले भी दोनों देश सियाचिन को ले कर कई बार बैठक कर चुके हैं. लेकिन इन बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला. अधिकतर दलील दी जाती है कि सीमापार घुसपैठ और आतंकवाद से निपटने के लिए सेना को तैनात करना जरूरी है.

इसी हफ्ते नई दिल्ली में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और भारत में विदेश मंत्री एसएम कृष्णा की मुलाकात हुई है. क्लिंटन ने पाकिस्तान को आतंकवाद से निपटने के लिए कहा. पाकिस्तान पर दबाव बनाते हुए क्लिंटन ने कहा कि पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह देश को आतंकवाद का अड्डा ना बनने दे.

अमेरिका का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार आने से अफगानिस्तान को भी फायदा मिलेगा. अमेरिकी सेनाएं 2014 में अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी में हैं.

आईबी/एमजे (एएफपी)

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