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सियाचिन मुद्दे पर भारत-पाकिस्तान में बातचीत

३० मई २०११

दुनिया में सबसे ऊंचे रणक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर सैनिक टकराव को टालने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच नए दौर की बातचीत हो रही है. सियाचिन मुद्दे पर प्रगति दोनों देशों के बीच ठंडे रिश्तों को नई ऊर्जा प्रदान कर सकती है.

तस्वीर: AP

सोमवार को दोनों देशों के रक्षा सचिवों की नई दिल्ली में दो दिवसीय बैठक हो रही है. 1984 से भारत और पाकिस्तान की सेना कंपकपा देने वाली सर्दी में सियाचिन ग्लेशियर पर आमने सामने हैं लेकिन काफी समय से सैनिकों को वापस बुलाने के लिए बातचीत हो रही है. दोनों देश मानते हैं कि सियाचिन से सैनिकों को वापस बुलाया जाना चाहिए लेकिन कई दौर की बातचीत के बाद मुद्दा जस का तस है.

सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई समुद्र तल से करीब 20 हजार फीट (6 हजार मीटर) है. हड्डियों को जमा देने वाली सर्दी और हिमस्खलन में सैनिकों के हताहत होने का खतरा हमेशा बना रहता है. सियाचिन में गोलीबारी से ज्यादा हिमस्खलन और सर्दी की वजह से ज्यादा मौतें हुई हैं. इसी वजह से दोनों देश सैनिकों को वापस बुलाने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैं.

2008 मुंबई हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शांति प्रक्रिया पटरी से उतर गई लेकिन उसे फिर से रास्ते पर लाने की कोशिशें होती रही हैं. विदेश सचिव स्तर की वार्ता के अलावा भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री भी मिल चुके हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को फिर से शुरू कराने के लिए अमेरिका सक्रिय भूमिका निभा रहा है. तीन साल में पहली बार भारत और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री मिल रहे हैं.

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बताया, "इस मुद्दे को हल करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है. अगर सियाचिन पर प्रगति होती है तो इससे बातचीत का माहौल सुधरेगा और अन्य मुद्दों के लिए भी जमीन तैयार होगी." भारत का कहना है कि वह अपने सैनिकों को बुलाने के लिए तैयार है लेकिन पहले पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से बताना होगा कि कौन सी चोटियां उसके नियंत्रण में हैं.

पाकिस्तान के मुताबिक वह ऐसा करने के लिए तैयार है लेकिन इसके बाद भारत को ग्लेशियर पर दावा करने से मना करना होगा. पाकिस्तान की कुछ नदियों में सियाचिन ग्लेशियर से पिघलने वाली बर्फ का ही पानी आता है. 1984 से पहले भारत और पाकिस्तान के सैनिकों की मौजूदगी वहां नहीं थी लेकिन फिलहाल वहां 10 हजार से 20 हजार सैनिक मौजूद हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: आभा एम

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