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सियासत नहीं करेंगे सचिन

१ मई २०१२

राजनीति के सबसे बड़े केंद्र भारतीय संसद में शामिल होने के बाद भी मास्टर ब्लास्टर राजनीति में शामिल नहीं होंगे. सचिन का कहना है कि क्रिकेट उनकी जिंदगी है और उसे छोड़ कर वह सियासत में जाने की सोच भी नहीं सकते.

तस्वीर: AP

राज्यसभा में नामांकित होने के बाद सचिन तेंदुलकर ने पहली बार इस मुद्दे पर कुछ कहा है, "मैं कोई नेता नहीं हूं. मैं एक खिलाड़ी हूं और हमेशा खिलाड़ी बना रहूंगा. मैं राजनीति के लिए क्रिकेट नहीं छोड़ सकता, जो मेरी जिन्दगी है. मैं क्रिकेट खेलना जारी रखूंगा." अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सौ शतक बनाने के बाद उन्हें पुणे में सम्मानित किया जा रहा था.

सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में राज्यसभा में सांसद के तौर पर शिरकत करने का फैसला किया है, जिसके बाद लोगों ने मिली जुली प्रतिक्रिया दी है. जहां एक तरफ लोगों ने इसको पसंद किया है, वहीं एक बड़े तबके का कहना है कि क्या सचिन तेंदुलकर क्रिकेट और संसद दोनों के लिए वक्त निकाल पाएंगे.

सचिन का कहना है कि उन्हें यह सम्मान सिर्फ इसलिए मिला कि उन्होंने क्रिकेट के मैदान में अच्छा प्रदर्शन किया है, "क्रिकेट मेरी खासियत है. मैं मैदान पर इसे दिखाते रहना चाहूंगा. मैं एक खिलाड़ी हूं और हमेशा एक खिलाड़ी ही बना रहूंगा." उन्होंने कहा कि लता मंगेशकर और पृथ्वीराज कपूर जैसे लोगों को भी राज्यसभा की सदस्यता मिल चुकी है. हालांकि लता ने खुद कहा है कि वह राज्यसभा में न्याय नहीं कर पाईं और उन्होंने वहां एक शब्द भी नहीं कहा.

तस्वीर: dapd

सचिन अब भी कहते हैं कि उनका सबसे बड़ा सपना पूरा हो चुका है. वह वर्ल्ड कप जीतने को ही अपना सबसे बड़ा ख्वाब बताते हैं, "जॉन राइट ने 2003 में मुझे कहा था कि मैं 100 शतक बनाने वाला पहला खिलाड़ी बन सकता हूं. हर किसी को अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए, जब तक कि वह पूरा न हो जाए. कभी कभी सफलता बस एक कदम दूर होती है. लेकिन आपको वह कदम चलना पड़ता है."

उन्होंने वर्ल्ड कप जीतने के बाद की खुशी का जिक्र करते हुए बताया, "मेरे ड्राइवर ने मुझे बताया कि लोग मेरी कार पर चढ़ कर नाच रहे हैं. मैंने ड्राइवर से कहा कि उन लोगों को मना मत करना. मुझे कार की कोई फिक्र नहीं थी. कप ने पूरे भारत को एक साथ ला खड़ा कर दिया और यह मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा पल रहा."

तेंदुलकर के राज्यसभा में जाने के बाद जहां संजय मांजरेकर और हर्षा भोगले जैसे क्रिकेट से जुड़े लोगों ने इसके खिलाफ बयान दिया है, वहीं ट्विटर पर सचिन के खिलाफ #अनफॉलोसचिन का हैश भी चल पड़ा है. लेकिन दूसरी तरफ भारत रत्न लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन ने सचिन को सांसद बनाए जाने का स्वागत किया है.

आम तौर पर सक्रिय क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद ही राजनीति में जाने का चलन है क्योंकि कभी कभी साल के 200 से ज्यादा दिनों तक क्रिकेट खेलना पड़ता है. ऐसे में संसद जाने का वक्त नहीं मिलेगा. सचिन ने भी इस बात का संकेत दे दिया है कि संसद उनकी पहली प्राथमिकता नहीं होगी. यानी क्रिकेट खेलते हुए वह कभी कभी राज्यसभा का चक्कर लगा लेंगे.

एजेए/एएम (पीटीआई)

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