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सिल्क स्मिता को घर ले आए विद्या बालन के मां बाप

२ जनवरी २०१२

द डर्टी पिक्चर की कामयाबी का जश्न मनाती विद्या बालन की उम्र में रविवार को नए साल के आगाज के साथ ही एक और साल जुड़ गया. उम्र बढ़ गई पर मां बाप के लिए तो बच्ची ही हैं, सिल्क स्मिता बनते वक्त उनके कान खड़े ही रहे.

तस्वीर: Youtube

विद्या को अब सकून मिल गया है क्योंकि फिल्म में उनका काम दुनिया के साथ घरवालों को भी भा गया है. बगैर पल्लू, गहरे गले की ब्लाउज में सिगरेट के कश लगा कर विद्या ने घरेलू लड़की की छवि को तो उतार फेंका लेकिन मां बाप क्या सोचेंगे इसकी चिंता हमेशा बनी रही. फिल्म बन कर तैयार हुई, पर्दे पर उतरी और धूम मची तब भी उनकी धड़कनें तेज ही रही ये जानने के लिए वो क्या कहेंगे. विद्या ने कहा, "फिल्म को पर्दे पर उतरे एक महीने से ज्यादा हो गए हैं और अब भी जिस तरह से तारीफें मिल रही हैं उनसे मन विभोर हो गया है लेकिन जब घरवालों ने भी काम को सराहा तो बात दिल को छू गई."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

विद्या ने बताया कि उनके मां बाप को उनका काम बेहद पसंद आया, "उन्होंने कहा कि सिर्फ पांच मिनट द डर्टी पिक्चर देखने के बाद वो भूल गए कि पर्दे पर दिख रही लड़की उनकी बेटी है. फिल्म के बाद तो उन्हें लगा कि वो सिल्क को अपने घर लाए हैं. मेरे लिए यह बहुत राहत की बात थी क्योंकि फिल्म बनने के दौर से ही मुझे उनकी प्रतिक्रिया की चिंता थी."

मिलन लूथारिया की बनाई द डर्टी पिक्चर साल की सबसे कामयाब फिल्मों में है और इसके अलावा यह शायद बॉलीवुड की पहली ऐसी फिल्म है जो किसी महिला किरदार पर आधारित हो कर भी इतना जबरदस्त कारोबार कर गई. विद्या खुद कहती हैं कि ऐसा नहीं सोचा गया था कि फिल्म पहले नंबर पर रहेगी. विद्या ने बताया, "फिल्म बनाने के दौरान हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि एक महिला पर आधारित फिल्म बन रही है. मुख्य किरदार महिला थी लेकिन तब हम नहीं चाहते थे कि अपनी किस्सागोई में किसी तरह की बंदिशें रखें."

तस्वीर: AP

विद्या के मुताबिक उन लोगों ने सिर्फ एक अच्छी फिल्म बनाने के लिए कोशिश की जो कामयाब रही. विद्या ने बताया कि महेश भट्ट ने उनसे कहा, "द डर्टी पिक्चर ने मुझे दिखाया कि मिलन और तुम्हारे मन में महिला के लिए कितना सम्मान है जिसकी वजह से हम एक पतले धागे पर कुलांचे भरते रहे और फिर भी बिना चोट खाए बाहर निकल आए."

पहले फिल्म और फिर उसके प्रचार के लिए लगातार जम कर मेहनत करने के बाद अब विद्या के पास थोड़ा आराम के लिए समय है. जश्न का मौसम है तो विद्या भी खुल कर मजे ले रही हैं बदलती रुतों और बीते महीनों में जमा की गई ढेर सारी तारीफों ने उनके इर्द गिर्द माहौल को खुशनुमा बना दिया है. वैसे फोन की घंटी अभी भी बज रही है.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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