सीएए प्रदर्शन: अब नॉर्वे की महिला को वापस जाने को कहा
२७ दिसम्बर २०१९
केरल के कोच्चि में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने के लिए भारत छोड़ने के लिए कहा गया है.
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नॉर्वे की जेन-मेत्ते जोहांसन दूसरी यूरोपीय नागरिक बन गईं हैं जिन्हें नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए अपने देश वापस लौट जाने के लिए कहा है. छुट्टियां बिताने केरल पहुंची जोहांसन 23 दिसंबर को कोच्चि में नागरिकता कानून के खिलाफ एक विरोध मार्च में हिस्सा लिया था, इसलिए उन्हें वापस जाने के लिए कह दिया गया है.
कोच्चि हवाई अड्डे पर फॉरेन रीजनल्स रजिस्ट्रेशन अफसर अनूप कृष्णा का कहना है, "नार्वे की महिला ने प्रदर्शन में हिस्सा ले कर अपने वीजा के नियमों का उल्लंघन किया गया है. उन्हें जितनी जल्दी हो सके देश छोड़ने के लिए कह दिया गया है. वह पर्यटक वीजा पर भारत आई थीं जो उन्हें किसी प्रदर्शन में शामिल होने की इजाजत नहीं देता." भारत के गृह मंत्रालय ने इस घटना पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
जोहांसन ने 23 दिसंबर को अपने फेसबुक पेज पर कोच्चि में हुए एक प्रदर्शन के बारे में लिखा था. उन्होंने कुछ तस्वीरें लगाई थीं और लिखा था, "कोई दंगे नहीं, सिर्फ कुछ ढृढ़-संकल्पी लोग... अपनी आवाज उठाते हुए और वह कहते हुए जो कहना जरूरी है."
जोहांसन ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार को बताया कि उन्होंने प्रदर्शन में हिस्सा लेने से पहले पुलिस से आज्ञा ली थी. उन्होंने अखबार से कहा, "मुझे मौखिक आश्वासन दिया गया था कि मैं हिस्सा ले सकती हूं." इससे पहले आईआईटी मद्रास में पढ़ रहे एक जर्मन छात्र को इसी तरह के एक प्रदर्शन में शामिल होने के लिए भारत छोड़ने को कह दिया गया था.
विपक्ष के नेताओं ने दोनों मामलों में निष्कासन के इस कदम की निंदा की है. कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने ट्वीट किया, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नी-जर्क प्रतिक्रियाओं की वजह से भारत की एक सहिष्णु लोकतंत्र होने की छवि पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चोट लग रही है!"
जानकारों की राय है कि वीजा आपको नागरिकता के अधिकार नहीं देता, लेकिन प्रदर्शनों में शामिल होने की इजाजत देता है या नहीं, ये साफ नहीं है और ऐसी स्थिति में निर्णय अधिकारी के विवेक पर निर्भर करता है.
आईएस लड़ाकों की यूरोपीय नागरिकता को लेकर खूब बहस चल रही है. इस बीच जर्मनी में कुछ सहमति तो बनी हैं लेकिन अब तक कोई कानून नहीं आया है. आइए जानते हैं कि यूरोपीय संघ में देशों में नागरिकता संबंधी क्या नियम कायदे हैं.
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स्पेन
स्पेन के संविधान मुताबिक, जन्म से स्पेन की नागरिकता प्राप्त व्यक्ति से देश की नागिरकता नहीं छीनी जा सकती. कुछ कानूनों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 18 साल की उम्र के पहले किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर लेता है और तीन साल के भीतर अपनी स्पैनिश नागरिकता को जारी रखने की मंशा को औपचारिक रूप से जाहिर नहीं करता है तो उसकी नागरिकता समाप्त हो सकती है.
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फ्रांस
साल 2016 में फ्रांस सरकार ने पेरिस में हुए आतंकवादी हमले को ध्यान में रखते हुए एक विवादास्पद प्रस्ताव की घोषणा की थी. उसके तहत आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त व्यक्तियों का पासपोर्ट छीन कर उन्हें डिपोर्ट करने का प्रावधान था. फिलहाल फ्रांस में केवल उन लोगों की नागरिकता छीनी जा सकती है जिन्होंने वयस्क होने के बाद इसे लिया है. वहीं गद्दारी, देश विरुद्ध षड़यंत्र रचना, नागरिकता छीने जाने का वैध आधार हैं.
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पोलैंड
स्पेन की तरह पोलैंड में भी जन्म से नागिरकता पाए नागरिकों से नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है. पोलिश नागिरकता छोड़ने के लिए नागरिक को व्यक्तिगत आवेदन देना होगा. इसके बाद प्रत्येक आवेदन को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया जाएगा. यूरोपीय संघ में स्वीडन, क्रोएशिया समेत पोलैंड ही ऐसे देश हैं जो धोखे से नागरिकता हासिल कर चुके व्यक्ति की भी नागरिकता को रद्द नहीं करते हैं.
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इटली़
दोहरी नागरिकता प्राप्त इतालवी नागरिकों के लिए देश की नागरिकता छोड़ना काफी आसान है. नागरिक स्वेच्छा से इसे छोड़ सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति दुश्मन देश के लिए काम करता है, या इटली के साथ विवाद में उलझे किसी सशस्त्र बल का सहयोग करता है तो उस व्यक्ति की नागरिकता समाप्त हो सकती है. इन प्रावधानों से साफ है कि इटली के पास विदेशी लड़ाकों की नागरिकता समाप्त करने का प्रावधान है.
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नीदरलैंड्स
यूरोपीय संघ में नीदरलैंड्स और फ्रांस ही दो ऐसे देश हैं जो आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त व्यक्ति की नागरिकता समाप्त करने का सीधा प्रावधान रखते हैं. इसके अलावा लंबे समय तक विदेश में रहने वाला ऐसे व्यक्ति जो किसी अन्य देश की नागरिकता लेने में सक्षम हैं तो उनकी भी नागरिकता नीदरलैंड्स से समाप्त हो सकती है.
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अन्य देश
यूरोप के अन्य नौ देश भी लंबे समय तक विदेश में रहने वाले लोगों की नागिरकता को समाप्त कर सकते हैं. वहीं बेल्जियम, डेनमार्क, स्पेन और स्वीडन का यह प्रावधान उन नागरिकों पर लागू होता है जो विदेशों में पैदा हुए हैं.