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लहरों से लड़ाई

७ नवम्बर २०१३

हवा की तेज रफ्तार और पंद्रह मीटर ऊंची लहरें. उत्तरी अटलांटिक में ग्रीनलैंड के पास अकसर ऐसा माहौल रहता है. इस मौसम से पार पाना बड़ी चुनौती है. इसकी शिक्षा लैब में ही मिल जाती है.

तस्वीर: Reuters

समुद्री जहाज की जिम्मेदारी उसके कैप्टेन पर होती है. पिछले साल जब इटली के पास कोस्टा कोनकोर्डिया नाम का जहाज डूबा तो सबसे पहले यही सवाल उठाया गया कि कप्तान ने समय रहते ध्यान क्यों नहीं दिया. क्रूज शिप हो या फिर कारगो शिप कैप्टेन की ट्रेनिंग बहुत जरूरी होती है. जहाज को तूफान से कैसे निकालना है, सही दिशा में कैसे ले जाना है, इस सब के लिए खूब सतर्क रहने की जरूरत होती है. सिर्फ अपने जहाज का ही नहीं, बल्कि दूसरों पर भी ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में समुद्र में जहाज ले कर उतरने से पहले अगर लैब में ही ट्रेनिंग मिल जाए तो काफी फायदा मिलता है.

सिमूलेटर से ट्रेनिंग

खराब मौसम की नकल गोएटेबोर्ग की चार्ल्मर यूनिवर्सिटी के छात्रों के कोर्स का हिस्सा है. बुनियादी सबक है कि लहरें सामने से आएं तो कोई बात नहीं, लेकिन किनारों से नहीं आनी चाहिए. यह सीख ले रहे छात्र हेनरिक गोएरेनसन बताते हैं, "अगर कोई मालवाहक जहाज बहुत ज्यादा हिल रहा है, तो कंटेनरों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ सकता है और माल के बिखरने का खतरा हो सकता है." उनका कहना है कि किसी और जहाज से टक्कर या कार्गो खोना सबसे बड़ा खतरा है.

साल 2006 से इस कॉलेज में सिमूलेटर से ट्रेनिंग दी जाती है. सात प्रोजेक्टरों से बिलकुल असली जैसा माहौल तैयार किया जाता है. शुरुआत करने वालों को इस बात की खुशी है कि उन्हें समुद्र में तबीयत खराब होने का सामना नहीं करना पड़ता है. ट्रेनर लार्स अक्सवी कहते हैं, "यहां यूनिवर्सिटी के स्कूल में हम कठिन मौसम से निबटने की प्रक्रियाओं को सीखते हैं. यहां गति का माहौल तो बनता है लेकिन आपको असली स्थिति का पता नहीं चलता. यह ऐसा तरीका है कि हम खुद को खराब मौसम के लिए किस तरह तैयार करें और उससे कैसे निपटें."

आप भले ही एक मशीन के अंदर होते हैं, पर माहौल बिलकुल हकीकत जैसा ही होता है.तस्वीर: Jade-Hochschule Elsfleth

खराब मौसम के बावजूद

चार साल के कोर्स के दौरान 12 महीने की सिमूलेटर ट्रेनिंग होती है. खास तौर पर कंटेनरों वाले मालवाहक जहाजों के लिए क्योंकि माल के देरी से पहुंचने पर नुकसान होता है. बंदरगाह पर लाखों करोड़ों के माल का इंतजार होता है और ग्राहक को मौसम से कुछ लेना देना नहीं होता. देर हुई तो जुर्माना भी लगता है. इसलिए माल का सही समय पर और सही सलामत पहुंचना जरूरी है. यहां ट्रेनिंग के दौरान ये सब बातें सिखाई जाती हैं. आप भले ही एक मशीन के अंदर होते हैं, पर माहौल बिलकुल हकीकत जैसा ही होता है.

ऐसा माहौल भी बना दिया जाता है कि आप किसी किनारे पर हैं और हवा उलटी तरफ से चल रही है. जहाज तट की ओर जा रहा है और आप इसे नियंत्रित करने की हालत में नहीं हैं, यानि आपको एक बड़े संकट का सामना करना है. जहाजरानी में मौसम से जुड़ी परेशानियों और चुनौतियों से सीधे दो चार होने से पहले अगर ये सिमूलेटर ट्रेनिंग कोई कर ले तो उसे असली हालात में थोड़ा फायदा इस अनुभव का तो निश्चित ही मिलेगा.

रिपोर्टः क्रिस्टोफ कोबर/आभा मोंढे

संपादनः ईशा भाटिया

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