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सीनेट में आउटसोर्सिंग विरोध बिल अटका

२९ सितम्बर २०१०

अमेरिकी सीनेट में रिपब्लिकन सांसद आउसोर्सिंग विरोधी बिल को रोकने में कामयाब रहे हैं. इस बिल के तहत उन कंपनियों पर टैक्स का प्रावधान हैं जिनके कर्मचारियों में ज्यादातर अमेरिका से बाहर वाले हैं.

विदेशों में काम करने वाली कंपनियों के लिए नुकसानदेह बिलतस्वीर: Samar Heinein

बिल के विरोध में 52 वोट पड़े जबकि समर्थन में सिर्फ 45 वोट ही जुट पाए. बिल के रास्ते में विपक्षी बाधा को पार करने के लिए कम से कम 60 वोटों की जरूरत थी. इस बिल के तहत वे कंपनियां अमेरिकी कर दाताओं के पैसे का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी जिनके कर्मचारियों में गैर अमेरिकी ज्यादा हैं.

"अमेरिकी नौकरियां पैदा करो और आउटसोर्सिंग को खत्म करो" नाम के इस बिल का मकसद छोटे कारोबारियों को मदद देना है. साथ ही जो कंपिनयां अमेरिका में नौकरियों के अवसर पैदा करने में मदद कर रही है, उन्हें टैक्स में रियायत देने का प्रावधान है. इस बिल को एक लोकप्रिय कदम के तौर पर देखा जा रहा है.

भारतीय आईटी कंपनियों का कहना है कि उन पर इस बिल का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन दूसरे देशों में काम करने वाली अमेरिकी कंपनियों पर इसकी मार पड़ सकती है.
नैशनल एसोसिएशन ऑफ मैन्युफैक्चरर्स (एनएएम) जैसे कई कारोबारी ग्रुप इस बिल का विरोध कर रहे हैं. एनएएम ने सीनेटरों को एक पत्र भी भेजा है जिसमें कहा गया है कि इस बिल के पास हो जाने से अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा और नौकरियां पैदा करने के मौके भी प्रभावित होंगे.

इस बिल को चुनावी हथकंडा बताते हुए रिपब्लिकन सीनेटर ओरिन हैच ने डैमोक्रैट्स को उनके "बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैये" के लिए आड़े हाथ लिया है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था "गंभीर खतरे में" पड़ सकती है. वह कहते हैं, "नाजुक समय में नाजुक कदमों की जरूरत होती है. लेकिन सरकार के इस बिल से पता चलता है कि वह कितनी समझदारी से काम कर रही है. नौकरियों के अवसर पैदा करने वालों पर बोझ डाला जा रहा है. अगर कंपनियों का विदेशी मुनाफा प्रभावित होगा तो वे अपनी घरेलू सुविधाओं को किसी और देश में ले जाने की सोचेंगी. खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का यह तरीका नहीं हो सकता."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

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