सीरिया के अलेप्पो में मिलीं प्रताड़ित लोगों की कब्रें
२६ दिसम्बर २०१६![Syrien syrische Soldaten nach der Zurückeroberung von Aleppo](https://static.dw.com/image/36896370_800.webp)
रूसी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मेजर जनरल इगोर कोनाशेंकोव ने बताया कि अलेप्पो में ऐसी दर्जनों लाशें मिली हैं जिन पर गोलियों के जख्म हैं. गोलियों से मारा जाना इसलिए हैरत की बात है क्योंकि सीरिया का युद्ध ज्यादातर मोर्टार, टैंकों और हवाई हमलों से लड़ा जा रहा है. ऐसे में लोगों को पास से गोली से मारने वाले लोग कौन थे?
मानवाधिकारों के हाल पर नजर रखने वालों और मीडियाकर्मियों ने ऐसे कई लोगों के बयान दर्ज किए हैं जिनसे सामूहिक हत्याओं और संगठित तरीके से शारीरिक प्रताड़ना दिए जाने की पुष्टि होती है. लोगों पर ये जुल्म करने के आरोप कभी सरकारी सेनाओं, कभी विपक्ष तो कभी इस्लामिक स्टेट समूह के लोगों पर लगे. सीरिया प्रशासन भी इन हत्याओं का आरोप विद्रोहियों पर ही लगा रहा है. सरकारी मीडिया में बताया गया कि विद्रोहियों ने औरतों और बच्चों समेत कम से कम 21 नागरिकों की पास से गोली से मारकर जान ले ली.
रूसी वायु सेना ने अलेप्पो पर कब्जा करने में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद की है. अलेप्पो सीरिया का सबसे बड़ा शहर था और कई हफ्तों तक चले तेज संघर्ष के बाद सरकारी सेनाओं ने इसे विद्रोहियों के हाथ से अपने नियंत्रण में ले लिया. रूसी प्रवक्ता ने पूर्वी अलेप्पो पर अपना कब्जा जमा के रखने वाले विद्रोहियों पर ही नागरिकों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया है. उनका मानना है कि विद्रोहियों ने पूरे शहर में जगह जगह फंदे और बारूद बिछा कर आम लोगों की जान खतरे में डाली थी.
संकटग्रस्त इलाकों में अपने स्थानीय स्रोतों के माध्यम से जानकारियां जमा करने वाली ब्रिटेन की संस्था सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने बताया है कि बीते चार दिनों में ही पूर्वी अलेप्पो में सीरियाई सेना के कम से कम 63 लोग ऐसे ही फंदों में फंस कर मारे गए हैं.
अलेप्पो पर नियंत्रण के बाद से सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद का आत्मविश्वास बढ़ा है. क्रिसमस के दिन असद ने राजधानी दमिश्क के पास एक ईसाई अनाथालय का दौरा किया. फेसबुक पर पोस्ट हुईं इस दौरे की तस्वीरों में असद और उनकी पत्नी आस्मा अनाथालय के बच्चों और कर्मचारियों के साथ नजर आ रहे हैं. अलेप्पो पर पूरा नियंत्रण 2011 में शुरू हुए संकट के बाद से असद की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है.
युद्ध शुरू होने से पहले सीरिया की करीब 2.3 करोड़ आबादी में 10 प्रतिशत हिस्सा ईसाई अल्पसंख्यकों का था. इनमें से कई असद सरकार के समर्थक माने जाते हैं.
आरपी/वीके (एपी,एएफपी)