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युद्ध अपराध के लिए असद को दोषी ठहरा सकता है जर्मनी

२७ नवम्बर २०२०

जर्मनी के संघीय अभियोजक सीरिया में रासायनिक हमले के सबूतों की जांच कर रहे हैं. डीडब्ल्यू और जर्मन पत्रिका डेयर श्पीगल ने उन गवाहों और खुफिया रिपोर्टों को देखा है जिनके आधार पर यह मुकदमा चल रहा है.

Syrien Ein Schatten fällt auf die Fahne mit dem Portait von Präsident Bashar Assad
तस्वीर: Muzaffar Salman/AP Photo/picture-alliance

उस रात रॉकेटों का शोर कुछ अलग था. इस बार उनके गिरने से वैसा धमका नहीं हुआ जो आमतौर पर सीरिया के विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाके में होता था.

21 अगस्त 2013 को जहरीली सारिन गैस से भरे रॉकेट पूर्वी घौटा के इलाके में दागे गए. ठंडे मौसम ने इस नर्व गैस को कम ऊंचाई वाली इमारतों तक फैलने में मदद दी. विद्रोहियों का गढ़ माना जाने वाले इलाके में यह गैस पूरी तरह फैल गई.

तीन बच्चों की मां और प्रशिक्षित नर्स एमान एफ बताती हैं, "वो किसी फैसले के दिन जैसा था. ऐसा लगा जैसे लोगों पर किसी कीटनाशक का स्प्रे कर उन्हें चींटियों की तरह मार दिया गया हो. बहुत से लोग सड़कों पर, रुकी हुई गाड़ियों के अंदर ही मर गए और एक के ऊपर एक लोग इस तरह पड़े थे (जैसे कि वो भागते हुए मर गए)."

रासायनिक हथियार सारीन ने इन लोगों को अपनी चपेट में लिया था. इस गंधहीन गैस की मौजूदगी का पता सिर्फ तभी चलता है जब यह शरीर के श्वसनतंत्र को बेकार करना शुरू कर चुकी होती है. ज्यादातर मामलों में इसके शिकार दम घुटने से मर जाते हैं. इस हमले के बाद जो लोग बच गए उन्होंने इसके लिए सीरिया की सरकार पर आरोप लगाया.

अक्टूबर में तीन गैर सरकारी संगठनों के एक गुट ने जर्मनी के संघीय अभियोजन कार्यालय में बेनामी लोगों के खिलाफ 2013 में घौटा और 2017 में खान शेखों में सारिन गैस के हमले के लिए आपराधिक शिकायत दर्ज कराई.

तस्वीर: Birgitta Schülke/DW

कितना कारगर है सार्वभौम न्याय का अधिकार

उनका मकसद साफ और रणनीतिक था. 2002 में जर्मनी ने अंतरराष्ट्रीय अपराधों जैसे कि युद्ध अपराध और नरसंहार के लिए सार्वभौम न्याय अधिकार के सिद्धांत को अपनाया. ऐसा करने से जर्मनी को पूरे "अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर असर डालने वाले बेहद गंभीर अपराधों" के खिलाफ न्याय का अधिकार मिलता है भले ही वो अपराध जर्मनी के क्षेत्र में या फिर जर्मन लोगों के खिलाफ नहीं हो.

इसके नतीजे में ओपेन सोसायटी जस्टिस इनिशिएटिव, सीरियन अर्काइव और सीरियन सेंटर फॉर मीडिया एंड फ्रीडम और एक्सप्रेशन ने कार्ल्सरुहे के संघीय अभियोजन कार्यालय में आपराधिक शिकायत दर्ज कराई. यहां की युद्ध अपराध शाखा ने सीरिया में हुए जुल्मों के खिलाफ एक संरचनात्मक जांच 2011 में शुरू की.

कार्ल्सरुहे की युद्ध अपराध शाखा ने डीडब्ल्यू से इस बात की पुष्टि की है कि उसे संघीय अभोयजन के दफ्तर से आपराधिक शिकायत मिली है. हालांकि इस मामले में और ज्यादा जानकारी देने से उसने इनकार किया. अपराध शाखा के प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू से कहा, "हम सबूतों की जांच कर रहे हैं और इस वक्त हम बस इतना ही कह सकते हैं."

ठोस सबूतों की तलाश

जर्मनी में दर्ज कराई गई आपराधिक शिकायत में गवाहों के बयान इस मामले की एक अहम कड़ी हैं. इसमें सेना के उच्चाधिकारी और सीरिया की साइंटिफिक स्टडीज एंड रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक शामिल हैं. यह रिसर्चर सेंटर सीरिया में रासायनिक हथियार कार्यक्रम विकसित करने के लिए जिम्मेदार था.

सबूत बताते हैं कि राष्ट्रपति असद के छोटे भाई माहेर असद ही वो सैन्य कमांडर थे जिन्होंने अगस्त 2013 में घौटा पर सारिन गैस के हमले का सीधा आदेश दिया था. माहेर असद को सीरिया में दूसरा सबसे ताकतवर शख्स माना जाता है.

हालांकि आपराधिक शिकायत के साथ दर्ज गवाहों के बयान से संकेत मिलता है कि सारिन नर्व एजेंट जैसे रणनीतिक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश सिर्फ राष्ट्रपति असद की मंजूरी पर ही दिया जा सकता है.

समूहिक कब्रों में हमले के पीड़ितों को दफनाया गयातस्वीर: ZUMAPRESS.com/picture-alliance

डीडब्ल्यू ने जिन दस्तावेजों को देखा है उनके आधार पर माना जा सकता है कि राष्ट्रपति असद ने ही अपने भाई को इन हमलों के लिए अधिकार दिया था.

ओपेन सोसायटी जस्टिस इनिशिएटिव की कानूनी टीम के सीनियर लीगल ऑफिसर स्टीव कोस्टास का कहना है, "हमारे पास सबूत है कि (राष्ट्रपति असद) इस फैसले में शामिल थे. मैं यह नहीं कहूंगा कि हमने ये साबित कर दिया है लेकिन निश्चित रूप से हमारे पास ऐसी कुछ जानकारी है जो सारिन हमले में उनके शामिल होने का संकेत देती है."

दस्तावेज दिखाते हैं कि असद के भाई माहेर ने ऑपरेशन के स्तर पर अधिकारिक आदेश दिया था. वहां से एसएसआरसी के विशेष गुट ब्रांच 450 ने सारिन गैस वाले रासायनिक हथियारों को तैयार किया और फिर 155वीं मिसाइल ब्रिगेड ने माहेर की निगरानी में जमीन से जमीन पर मार करने वाले रॉकेटों को दागा.

कोस्टास का कहना है, "हमने दिखाया है कि एसएसआरसी के अंदर एक खास यूनिट थी जिसका नाम ब्रांच 450 था. यह सारिन हमले की योजना और उस पर अमल में प्रमुख रूप से शामिल थी. हमने साबित किया है कि किस तरह से आदेश एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा और यह राष्ट्रपति भवन से कैसे जुड़ा था."

आज की तारीख में आदेशों की कड़ियां (चेन ऑफ कमांड) बताने वाली गवाहियों को सीरिया में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल में असद का हाथ होने का सबसे मजबूत सबूत है.

उच्च स्तर पर अभियोग

हालांकि बड़ा सवाल यह है कि क्या जर्मन अभियोजक किसी को इस आधार पर दोषी मान सकते हैं? अंतरराष्ट्रीय कानून के जानकारों के लिए इतने बड़े स्तर के अभियोग के लिए ठोस सबूतों की जरूरत नहीं होती.  युद्ध अपराध अकसर सशस्त्र सेनाओं के एक तंत्र में किए जाते हैं, अंतरराष्ट्रीय कानून मानता है कि इस तरह के उल्लंघनों के लिए आदेश की कड़ियां (चेन ऑफ कमांड) अधिकार देती हैं.

जर्मनी का संघीय अभियोजन कार्यालय सबूतों की जांच कर रहा है.तस्वीर: Christoph Schmidt/dpa/picture-alliance

लाइडेन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून से जुड़ी फोरम के निदेशक रॉबर्ट हाइंश बताते हैं, "जिन लोगों ने आम सैनिकों को हमले का आदेश दिया या जो कोई भी हमले का इंचार्ज हो उसे इस आदेश के लिए दोषी करार दिया जा सकता है, यहां तक कि अगर किसी ने खुद आदेश नहीं दिया हो लेकिन वह इस आदेश से वाकिफ हो या फिर जिसे पता होना चाहिए उसे भी. सैन्य कमांडर के रूप में काम करने की वजह से उन्हें दोषी करार दिया जा सकता है."

जर्मनी में सार्वभौम न्याय के अधिकार के तहत अब तक सिर्फ एक बार किसी को दोषी करार दिया गया है. 2015 में जर्मन जजों ने रवांडा के हूतू विद्रोही नेता इग्नेस मुरवांश्याका और उनके सहयोगी को युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी माना. मुरवांश्याका पर लगा अभियोग तीन साल बाद पलट दिया गया और दोबारा सुनवाई के इंतजार में ही उनकी मौत हो गई.

इसके अलावा एक बार और इस न्याय के अधिकार के तहत मुकदमा चला है. यह मामला जर्मन शहर कोब्लेंज में चला जिसमें सीरियाई से जुड़े लोगों के खिलाफ कथित सुनियोजित अत्याचार के आरोप हैं.

रिपोर्ट: लुईस सांडर्स, बिर्गिटा शुल्के, जूलिया बायर

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