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सीरिया के विरोध प्रदर्शनों में 200 मरेः विपक्ष

१२ अप्रैल २०११

सीरिया की प्रमुख विपक्षी पार्टी डीडीजी ने दावा किया है कि सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुए एक महीने भी नहीं बीते हैं और अब तक 200 लोगों की जान जा चुकी है. डीडीजी ने अरब लीग से सीरिया पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.

तस्वीर: picture alliance / dpa

दमिश्क डिक्लेरेशन ग्रुप यानी डीडीजी ने अरब लीग के महासचिव को भेजे पत्र में लिखा है, "सीरिया के विद्रोह में 200 शहीदों, सैकड़ों घायलों और उतने ही गिरफ्तार लोगों की चीख गूंज रही है. सरकार ने अपने सैनिकों को खुला छोड़ दिया है कि वो शहरों को बंधक बनाएं और नागरिकों पर जुल्म करें, जबकि पूरे सीरिया में प्रदर्शनकारी शांति शांति की पुकार लगा रहे हैं."

तस्वीर: AP

पत्र में अरब लीग से मांग की गई है कि वो सीरिया पर राजनीतिक, कूटनीतिक, और आर्थिक प्रतिबंध लगाए. सीरिया में हाफिज अल असद के उत्तराधिकारियों का शासन है. मौजूदा राष्ट्रपति बशर हाफिज अल असद के बेटे हैं. 11 साल पुरानी बशर की सरकार को पहली बार इतना जबरदस्त विरोध देखना पड़ रहा है. बशर ने इन प्रदर्शनकों का जवाब ताकत से दिया है. चश्मदीदों के मुताबिक सुरक्षा बलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की. सरकार तिकड़म भिड़ा कर लोगों की आजादी को दबाने की कोशिश कर रही है. देश में आपातकाल हटा दिया गया लेकिन इसके तुरंत बाद आतंकविरोधी कानून लागू कर दिया गया. आरोप हैं कि नए कानून की आड़ में लोगों पर जुल्म ढाए जा रहे हैं.

पिछले महीने डेरा शहर से शुरु हुआ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया है. प्रदर्शन कर रहे लोग अभिव्यक्ति की आजादी, संसद का गठन और भ्रष्टाचार को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. उधर सरकार का कहना है कि हिंसा के लिए हथियारबंद घुसपैठिए जिम्मेदार हैं और पुलिस और सुरक्षाबलों के जवान भी इस हिंसा का शिकार हुए हैं.

तस्वीर: dapd

पत्र में लिखा गया है कि राष्ट्रपति असद पिछले 11 सालों से बस झूठे वादों का पुलिंदा बांध रहे हैं. सुझाव के लिए बातचीत करने की बजाय उनकी सरकार साजिश रचती रहती है.

दमिश्क डिक्लेरेशन 2005 में प्रमुख नागरिक, इस्लामी और उदारवादी नेताओं के दस्तखत से जारी हुआ जो 41 साल पुराने असद परिवार के शासन को खत्म करने की मांग कर रहा है. इनकी मांग है कि एक लोकतांत्रिक सत्ता तंत्र कायम किया जाए. इसके साथ ही आपातकाल और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदी को खत्म करने की भी मांग है. 1963 में तख्तापलट के जरिए सत्ता में आई बाथ पार्टी ने देश में विपक्ष को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. डीडीजी से जुड़े ज्यादातर नेताओं ने राजनीतिक कैदी के रूप में लंबा वक्त जेल में बिताया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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