सीरिया में अगर रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया गया तो जर्मनी भी युद्ध में कूद सकता है. जर्मन मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका जर्मनी से साथ लड़ने की अपील कर रहा है.
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जर्मनी के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार बिल्ड त्साइटुंग की रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मन और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के बीच सीरिया पर हवाई हमले करने को लेकर चर्चा चल रही है. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस मिलकर सीरिया में हमले की तैयारी कर रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने जर्मनी की विदेश मंत्री उर्सुला फॉन डेय लायन से हमले में शामिल होने की दरख्वास्त की है. दोनों देशों के उच्च स्तरीय मंत्रालयों और सैन्य अधिकारियों की बैठक भी हो चुकी है.
माना जा रहा है कि जर्मनी के टोरनैडो फाइटर जेट अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ सीरिया मिशन में शामिल हो सकते हैं. इससे पहले आखिरी बार 1990 के दशक में जर्मन सेना ने बालकन युद्ध के दौरान विदेश जमीन पर बम गिराए थे.
हालांकि हवाई हमलों में शामिल होने के लिए जर्मनी ने एक शर्त रखी है. पश्चिमी देशों का आरोप है कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद ने अप्रैल 2018 में डूमा में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. रासायनिक हमले में 70 से ज्यादा लोग मारे गए. रासायनिक हमले के आरोप के बाद अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया सरकार के तीन ठिकानों पर बमबारी की थी. सीरियाई राष्ट्रपति के समर्थन में खड़ा रूस रासायनिक हमले के आरोपों को खारिज करता रहा है. अगर जर्मनी हवाई हमलों में शामिल हुआ तो वह रूस से सीधे टकराव का जोखिम मोल लेगा.
जर्मन रक्षा मंत्रालय को आखिरी मंजूरी चासंलर अंगेला मैर्केल से लेनी होगी. मैर्केल पहले कह चुकी हैं कि जर्मनी सीरिया में किसी सैन्य अभियान में शामिल नहीं होगा. मैर्केल ने यह बयान रासायनिक हथियारों के आरोपों से पहले दिया था. फिलहाल जर्मनी की सेना सीरिया में सक्रिय है लेकिन किसी युद्ध मिशन में शामिल नहीं है.
मैर्केल की पार्टी सीडीयू के साथ गठबंधन में शामिल एसपीडी सीरिया में किसी भी तरह के युद्ध में शामिल होने का विरोध कर रही है. एसपीडी की चैयरमैन आंद्रेया नालेस का कहना है कि, "एसपीडी जर्मनी को सीरिया के युद्ध में शामिल होने की इजाजत नहीं देगी, न तो संसद में और न ही सरकार में."
जर्मनी के विदेश और रक्षा मंत्रालय ने बिल्ड त्साइटुंग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है. दोनों मंत्रालयों ने यह जरूर कहा है कि वे "अपने अमेरिकी साझेदारों के साथ गहरे संपर्क में हैं." दोनों मंत्रालयों को लगता है कि अगर रासायनिक हथियार इस्तेमाल हुए हैं तो सीरिया का संकट थमने की जगह और गंभीर होने जा रहा है.
सीरिया में 2011 से गृहयुद्ध छिड़ा हुआ है. अरब बंसत के बाद शुरू हुए संघर्ष में अब तक पांच लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
(सीरिया पर हमला: कौन किसके साथ?)
सीरिया पर हमला: कौन किसके साथ?
सीरिया पर बीती रात हमले के बाद एक अंतरराष्ट्रीय तीखी बहस शुरू हो गई है. एक तरफ जहां सीरिया और राष्ट्रपति असद का समर्थन करने वाले देश इसकी निंदा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अमेरिकी हमले को उचित बताने वाले देश भी लामबंद हैं.
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सीरिया
सीरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा है, "सीरियाई अरब रिपब्लिक क्रूर अमेरिकी, ब्रिटिश और फ्रेंच हमलों की कड़ी निंदा करती है, यह अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन है."
रूसी राष्ट्रपति के दफ्तर से जारी बयान में कहा गया है, "रूस इन हमलों की निंदा करता है, जहां रूसी सेना कानूनी सरकार को आतंकवाद से लड़ने में मदद दे रही है." रूस ने यह भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग कर रहा है.
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चीन
चीन ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में "ताकत का इस्तेमाल" करने के खिलाफ है. चीन ने इस विवाद का राजनीतिक समाधान और "अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में वापस लौटने की मांग की है."
तस्वीर: Reuters/J. Lee
ईरान
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद के प्रमुख क्षेत्रीय सहयोगी ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई ने इन हमलों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रां और ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरीजा मे को "अपराधी" कहा है.
तस्वीर: Reuters/Leader.ir
कतर
खाड़ी देशों की तरफ से प्रतिक्रिया देने वालों में कतर पहला देश था. सरकारी समाचार एजेंसी में जारी बयान में आम लोगों पर सीरियाई सरकार के हमले रोकने के लिए इन हमलों का समर्थन किया गया है.
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नाटो
नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने एक बयान जारी कर हमलों का समर्थन किया है. बयान में कहा गया है. हमले, "सीरिया के लोगों पर सत्ता के और रासायनिक हमले करने की क्षमता को कम कर देंगे."
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संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेस ने अपने बयान में कहा है, "मैं सभी सदस्य देशों से इन खतरनाक परिस्थितियों में संयम दिखाने और ऐसे कदमों से बचने का अनुरोध करता हूं जिससे स्थिति बिगड़ेगी और सीरियाई लोगों की हालत खराब होगी."
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तुर्की
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने कहा है, "हम इस अभियान का स्वागत करते हैं, जिसने डूमा पर हुए हमले के बाद मानवीय अंतरात्मा को थोड़ी राहत दी है." तुर्की ने सीरिया पर "मानवता के खिलाफ अपराध" का आरोप लगाया है.
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यूरोपीय संघ
यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने ट्वीटर पर कहा है कि यूरोपीय संघ इन हमलों का समर्थन करता है और, "न्याय के पक्ष में अपने सहयोगियों के साथ खड़ा रहेगा."
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जर्मनी
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने इन हमलों को एक "जरूरी और वाजिब सैन्य दखलंदाजी कहा है."
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नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया, स्पेन
चेक गणराज्य, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल, रोमानिया, स्लोवेनिया और स्पेन ने इन हमलों का बचाव किया है और इसे रासयानिक हमलों के सबूतों के माध्यम से न्यायोचित बताया है.